नई दिल्ली (New Delhi) 21 जनवरी (The News Air): आज रात आकाश में खगोलीय घटना ‘प्लैनेटरी परेड (Planetary Parade 2025)’ का अद्भुत नजारा देखने को मिलेगा। इस दुर्लभ घटना में 6 ग्रह—शुक्र (Venus), मंगल (Mars), बृहस्पति (Jupiter), शनि (Saturn), अरुण (Uranus) और वरुण (Neptune)—एक सीधी लाइन में आ जाएंगे।
- खास बात यह है कि इनमें से चार ग्रहों को आप बिना किसी टेलीस्कोप के नग्न आंखों से देख सकेंगे।
- यह नजारा भारत समेत पूरी दुनिया में दिखाई देगा।
क्या है प्लैनेटरी परेड? : जब पृथ्वी समेत कई ग्रह सूर्य के एक ही तरफ आकर एक सीधी रेखा में दिखाई देते हैं, तो इस खगोलीय स्थिति को प्लैनेटरी परेड या ग्रहों की परेड (Planetary Alignment) कहा जाता है।
- यह घटना काफी दुर्लभ होती है और अंतरिक्ष में ग्रहों की गति और स्थिति पर निर्भर करती है।
- 21 जनवरी 2025 को यह साल की पहली परेड होगी। अगली परेड 8 मार्च को देखने को मिलेगी।
कैसे देखें यह नजारा?
- समय:
- भारत में यह नजारा आज रात 8:30 बजे से 11 बजे तक सबसे अच्छे तरीके से देखा जा सकेगा।
- यह रातभर अलग-अलग समय पर भी दिखाई देगा, लेकिन शुरुआती घंटे देखने के लिए सबसे उपयुक्त होंगे।
- स्थान:
- खुले और अंधेरे स्थानों का चयन करें, जहां कृत्रिम रोशनी न हो।
- शहर से दूर ग्रामीण इलाकों में यह दृश्य ज्यादा साफ दिखाई देगा।
- उपकरण:
- शुक्र (Venus), मंगल (Mars), बृहस्पति (Jupiter) और शनि (Saturn) बिना किसी उपकरण के दिखेंगे।
- अरुण (Uranus) और वरुण (Neptune) को देखने के लिए टेलीस्कोप की जरूरत होगी।
NASA ने क्या कहा? : अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने इस घटना को लेकर कहा है कि ग्रहों की यह स्थिति दुर्लभ है।
- वैज्ञानिकों के मुताबिक, ग्रहों की इस परेड से अंतरिक्ष के रहस्यों को समझने में नई जानकारियां मिल सकती हैं।
- मार्च में होने वाली दूसरी परेड में और ज्यादा ग्रह इस रेखा में शामिल होंगे।
दूसरी परेड कब होगी? : अगली प्लैनेटरी परेड 8 मार्च 2025 को होगी, जिसमें बुध (Mercury) भी शामिल होगा। उस परेड में कुल 7 ग्रहों का नजारा मिलेगा।
- मार्च की परेड में मौसम का साफ होना और भी महत्वपूर्ण होगा।
खगोल विज्ञान प्रेमियों के लिए खास अवसर : प्लैनेटरी परेड अंतरिक्ष प्रेमियों और खगोल विज्ञान में रुचि रखने वालों के लिए खास मौका है।
- भारत में इसे कई एस्ट्रोनॉमी सोसाइटीज (Astronomy Societies) लाइव स्ट्रीम करने की भी तैयारी कर रही हैं।
- वैज्ञानिक और खगोलविद इस घटना को रिकॉर्ड करने की योजना बना रहे हैं।