लाहौर, 18 अगस्त (The News Air)
पाकिस्तान के लाहौर स्थित किले में लगी महाराणा रणजीत की मूर्ति को तोड़ने की कड़ी निंदा हो रही है। मामला मंगलवार का है। बता दें कि यह मूर्ति 2019 में हुए अनावरण के बाद से तीसरी बार तोड़ी गई है। अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी(Taliban is back) से पाकिस्तान सबसे अधिक खुश है। यहां के कट्टरपंथी भी हिंसक होते जा रहे हैं। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आने के बाद कट्टरपंथी संगठन निशाने पर हैं। इसे लेकर सोशल मीडिया पर भी कमेंट्स आ रहे हैं। लेकिन शर्म की बात ये है कि इनमें से ज्यादातर कट्टरपंथी विचारधारा के हैं।
इस घटना के पीछे कट्टरपंथी समूह तहरीक-ए-लब्बैक की हरकत मानी जा रही है। हैरानी की बात ये है कि ज्यादातर पाकिस्तानी आरोपी के समर्थन में है। पढ़िए कुछ tweet…
एक ने लिखा-#सीधे जन्नत में जाएगा अब तो ये…इस पर जवाब मिला- अगर ये जन्नत में जाएगा, तो मैं बाहर ही ठीक हूं।
#अच्छा कोशिश, जो इस आदमी को मेडल दिलाएगी। रणजीत सिंह मुस्लिम के हीरो नहीं हैं।
#क्या बात है माशाअल्लाह!
#ये है पाकिस्तान की असली पहचान…ये नहीं जानते कि दूसरे धर्मों का सम्मान कैसे करें?
#सिखों के लिए अच्छा सबक।
शहर के पुलिस अधिकारी (CCPO) गुलाम मोहम्मद डोगरा ने बताया कि आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। पकड़े गए आरोपी का नाम रिजवान है। पुलिस अधिकारी के मुताबिक, मूर्ति को तोड़ने के लिए हथोड़े का इस्तेमाल किया गया था। घटना के बाद तुरंत पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे थे।
घटना का जानकारी मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और दो उपद्रवियों को गिरफ्तार कर लिया। प्रतिमा का 2 साल पहले ही अनावरण हुआ था। ये दोनों आरोपी साजिश करके किले में दाखिल हुए थे। इसमें से एक ने खुद को विकलांग बताया था, जबकि दूसरे ने उसका सहयोगी। जिसने खुद को विकलांग बताया था, उसने सबसे पहले मूर्ति को लोहे की छड़ से मारा। इसके बाद दोनों ने मूर्ति नीचे गिरा दी।
यह फोटो जून, 2019 का है, जब महाराजा रणजीत सिंह की मूर्ति का अनावरण किया गया था। इस दौरान पंजाब के पर्यटन मंत्री राजा यासिर हुमायूं सरफराज और भारत से पहुंचे अधिकारी मौजूद थे।
संघीय सूचना और प्रसारण मंत्री(Federal Minister for Information and Broadcasting) फवाद चौधरी ने इस बर्बरता की निंदा की। उन्होंने tweet करके कहा कि “निरक्षरों का यह झुंड वास्तव में दुनिया में पाकिस्तान की छवि के लिए खतरनाक है।”
प्रतिमा का जून, 2019 को महाराजा की 180वीं पुण्यतिथि पर अनावरण किया गया था। यह 9 फीट ऊंची थी। सिख साम्राज्य के पहले महाराजा रणजीत सिंह ने करीब 40 साल तक पंजाब पर शासन किया था। 1893 में उनकी मृत्यु हुई थी। उन्हें शेर-ए-पंजाब कहते थे। (टूटी पड़ी मूर्ति)