Personal Loan Apps: डिजिटल लेंडिंग ऐप्स कर्जों की वसूली के चलते कई बार गलत तरीके अपनाती हैं। अब इसे लेकर गूगल (Google) गंभीर हुई है। इसने अपने प्ले स्टोर पर ऐप्स के लिए पर्सनल लोन पॉलिसी को और सख्त कर दिया है। अब पर्सनल लोन ऐप्स फोटोज, वीडियोज, कांटैक्ट्स, लोकेशन, कॉल लॉग्स जैसी संवेदनशील जानकारियों को नहीं देख सकेंगे। गूगल की यह नई पॉलिसी अगले महीने के आखिरी यानी 31 मई 2023 से लागू होगी। एपल (Apple) में इस प्रकार की पॉलिसी पहले ही लागू हो चुकी है। एपल ने अपने ऐप स्टोर पर डेटा न्यूट्रीशन लेबल लगाया है जिससे यूजर्स को पता चल जाता है कि डेवलपर्स कौन सा डेटा लेगा और इसका इस्तेमाल किस तरीके से होगा।
Google ने जारी किया डिक्लेरेशन फॉर्म
गूगल ने सभी ऐप्स को भारत में पर्सलन लोन ऐप डिक्लेरेशन पूरा करने को कहा है और इस डिक्लेरेशन को लेकर जरूरी डॉक्यूमेंट्स सबमिट करने को कहा है। उदाहरण के लिए अगर किसी फर्म को आरबीआई से पर्सनल लोन बांटने की मंजूरी मिली है तो उन्हें इस लाइसेंस की एक कॉपी रिव्यू के लिए दाखिल करनी होगी। वहीं अगर कोई ऐप सीधे कर्ज देने की बजाय रजिस्टर्स एनबीएफसी या बैंकों की तरफ से लोन मुहैया करा रहा है तो उसे यह बात डिक्लेरेशन में दिखाना होगा। वहीं डिक्लेरेशन में सभी रजिस्टर्ड एनबीएफसी और बैंकों की भी डिटेल्स ऐप के डिस्क्रिप्शन में दिखाना होगा।
कम से कम एक हफ्ते लगेगा रिव्यू में
यह डिक्लेरेशन फॉर्म पर्सनल लोन ऐप जारी करने से पहले पूरा कर सबमिट करना होगा। ऐप सबमिट करने से पहले यह सुनिश्चित करना होगा कि इसे गूगल प्ले कंसोल में फाइनेंस कैटेगरी में फाइल किया जा रहा है और डेवलपर अकाउंट नाम डिक्लेरेशन में दिए गए एसोसिएटेड रजिस्टर्ड बिजनेस नाम से मैच होना चाहिए। इसके अलावा ऐप गूगल प्ले पॉलिसी की शर्तों को पूरा करता हो। इस डिक्लेरेशन फॉर्म को गूगल कम से कम एक हफ्ते में रिव्यू करेगी और फिर उसी के हिसाब से इसकी लॉन्च डेट फिक्स होगी।
Apple में ऐप्स पर सख्त कंट्रोल
एपल में हमेशा से ऐप स्टोर पर सख्त क्वालिटी कंट्रोल रहा है। हालांकि जब बात यूजर्स के डेटा प्राइवेसी की आती है तो यह सख्ती और बढ़ जाती है। अगर कोई ऐप या डेवलपर नियमों का उल्लंघन करता है तो उसे ऐप स्टोर से हटा दिया जाता है। एपल में यूजर को सिर्फ ऐप के होम पेज पर जाकर स्क्रॉल करना है और यहां देख सकते हैं कि कौन सा डेटा कलेक्ट होगा। इसके अलावा इंस्टॉलेशन के बाद भी यूजर्स के पास ऐप्स के एक्सेस को कंट्रोल करने की पॉवर रहती है जैसे कि डेटा, कांटैक्ट्स और पिक्चर्स जैसे सेंसेटिव इनफॉर्मेशन के मामले में।






