H-1B Visa Salary Hike : अमेरिका में नौकरी का सपना देखने वाले और वहां काम कर रहे विदेशी पेशेवरों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आ रही है। अगर आप भी H-1B वीजा पर अमेरिका में काम कर रहे हैं या जाने की योजना बना रहे हैं, तो जल्द ही आपकी सैलरी में भारी इजाफा हो सकता है। यूएस डिपार्टमेंट ऑफ लेबर (US Department of Labor) ने एक ऐसा नया प्रस्ताव तैयार किया है जो भारतीय आईटी पेशेवरों समेत लाखों विदेशी कर्मचारियों की किस्मत बदल सकता है।
कंपनियों की मनमानी पर लगेगी लगाम
क्या आप जानते हैं कि अमेरिका जल्द ही H-1B प्रोफेशनल्स की सैलरी बढ़ाने की तैयारी कर रहा है? जी हां, इसका सीधा मतलब यह है कि अब अमेरिकी कंपनियां विदेशी कर्मचारियों को कम वेतन (Low Pay) पर हायर नहीं कर पाएंगी। नए प्रस्ताव के तहत H-1B वीजा और ग्रीन कार्ड प्रोग्राम के जरिए आने वाले कर्मचारियों की न्यूनतम सैलरी (Minimum Wage) को अपडेट किया जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि विदेशी कामगारों को उनकी योग्यता के अनुसार सही और ‘फेयर सैलरी’ मिले।
ट्रंप सरकार के नियम की वापसी?
इस नए प्रस्ताव के तार इतिहास से भी जुड़े हैं। साल 2021 में डोनाल्ड ट्रंप की तत्कालीन सरकार ने H-1B वर्कर्स की सैलरी बढ़ाने के लिए एक सख्त नियम बनाया था। उस समय ‘चार लेवल सैलरी सिस्टम’ को बदलकर न्यूनतम वेतन काफी बढ़ा दिया गया था। हालांकि, बाद में जो बाइडेन (Joe Biden) प्रशासन ने इस नियम को रद्द कर दिया था। लेकिन अब एक बार फिर उसी तर्ज पर सैलरी रूल्स को सख्त करने की तैयारी चल रही है, जिससे विदेशी कर्मचारियों का शोषण रोका जा सके।
कब से लागू होगा नया नियम?
फिलहाल यह प्रस्ताव ‘ऑफिस ऑफ मैनेजमेंट एंड बजट’ (OMB) को भेजा गया है। वहां से रिव्यू होने के बाद इसे फेडरल रजिस्टर में प्रकाशित किया जाएगा। इसके बाद आम लोगों को अपने सुझाव और आपत्तियां देने के लिए 60 दिन का समय मिलेगा। यानी यह नियम पूरी तरह से कानून बनने में अभी कुछ महीनों का समय लग सकता है। लेकिन जिस दिशा में कदम बढ़ाए गए हैं, उससे यह तय है कि आने वाले दिनों में विदेशी कर्मचारियों की जेब भारी होने वाली है।
फायदा और नुकसान: सिक्के के दो पहलू
इस बदलाव का असर दोतरफा होगा। एक तरफ, H-1B वीजा धारकों के लिए यह किसी लॉटरी से कम नहीं है क्योंकि उन्हें अब पहले से ज्यादा वेतन मिलेगा और उनकी वैल्यू बढ़ेगी। वहीं दूसरी तरफ, अमेरिकी कंपनियों के लिए यह एक चुनौती बन सकता है। विदेशी कर्मचारियों को हायर करना अब उनके लिए महंगा सौदा साबित होगा। ऐसे में यह भी संभव है कि लागत बचाने के लिए कुछ कंपनियां अब विदेशी की बजाय स्थानीय अमेरिकी नागरिकों (Local Hiring) को नौकरी देने पर ज्यादा जोर दें।
विश्लेषण: भारतीय टेक प्रोफेशनल्स पर असर
भारत के हजारों आईटी प्रोफेशनल H-1B वीजा के जरिए अमेरिका में काम करते हैं। उनके लिए यह खबर राहत लेकर आई है। लेकिन इसका एक पहलू यह भी है कि पहले H-1B वीजा की फीस बढ़ाकर $1 लाख कर दी गई थी और अब सैलरी बढ़ने से कंपनियों पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा। इसका सीधा असर हायरिंग की संख्या पर पड़ सकता है। हो सकता है कि कंपनियां अब ‘मात्रा’ की बजाय ‘गुणवत्ता’ पर ज्यादा ध्यान दें और केवल अति-कुशल (Highly Skilled) विदेशी कर्मचारियों को ही बुलाएं।
जानें पूरा मामला
अमेरिका में H-1B वीजा एक नॉन-इमिग्रेंट वीजा है जो अमेरिकी कंपनियों को विशेषज्ञता वाले पदों पर विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने की अनुमति देता है। लंबे समय से यह बहस चल रही थी कि कंपनियां सस्ते श्रम के लिए विदेशी कर्मचारियों का इस्तेमाल करती हैं, जिससे स्थानीय अमेरिकियों की नौकरियां प्रभावित होती हैं। इसी को संतुलित करने के लिए न्यूनतम वेतन बढ़ाने का यह प्रस्ताव लाया गया है।
मुख्य बातें (Key Points)
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अमेरिका H-1B और ग्रीन कार्ड वर्कर्स की न्यूनतम सैलरी बढ़ाने की तैयारी में है।
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नए नियम के बाद कंपनियां विदेशी कर्मचारियों को कम वेतन पर नहीं रख पाएंगी।
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यह प्रस्ताव 2021 के ट्रंप प्रशासन के नियमों जैसा ही सख्त हो सकता है।
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नियम लागू होने से कर्मचारियों को फायदा होगा, लेकिन कंपनियों की लागत बढ़ेगी।
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फिलहाल प्रस्ताव रिव्यू के लिए भेजा गया है, अंतिम फैसला कुछ महीनों में आएगा।






