• About
  • Privacy & Policy
  • Contact
  • Disclaimer & DMCA Policy
🔆 सोमवार, 29 दिसम्बर 2025 🌙✨
The News Air
No Result
View All Result
  • होम
  • राष्ट्रीय
  • पंजाब
  • राज्य
    • हरियाणा
    • चंडीगढ़
    • हिमाचल प्रदेश
    • नई दिल्ली
    • उत्तर प्रदेश
    • उत्तराखंड
    • पश्चिम बंगाल
    • बिहार
    • मध्य प्रदेश
    • महाराष्ट्र
    • राजस्थान
  • अंतरराष्ट्रीय
  • सियासत
  • नौकरी
  • LIVE
  • बिज़नेस
  • काम की बातें
  • वेब स्टोरी
  • स्पेशल स्टोरी
  • टेक्नोलॉजी
  • खेल
  • लाइफस्टाइल
    • हेल्थ
    • धर्म
    • मनोरंजन
  • होम
  • राष्ट्रीय
  • पंजाब
  • राज्य
    • हरियाणा
    • चंडीगढ़
    • हिमाचल प्रदेश
    • नई दिल्ली
    • उत्तर प्रदेश
    • उत्तराखंड
    • पश्चिम बंगाल
    • बिहार
    • मध्य प्रदेश
    • महाराष्ट्र
    • राजस्थान
  • अंतरराष्ट्रीय
  • सियासत
  • नौकरी
  • LIVE
  • बिज़नेस
  • काम की बातें
  • वेब स्टोरी
  • स्पेशल स्टोरी
  • टेक्नोलॉजी
  • खेल
  • लाइफस्टाइल
    • हेल्थ
    • धर्म
    • मनोरंजन
No Result
View All Result
The News Air
No Result
View All Result
Home लाइफस्टाइल

परशुराम जयंती – निबंध, जीवनी व रोचक प्रसंग | Parshuram Jayanti

The News Air Team by The News Air Team
शुक्रवार, 21 अप्रैल 2023
A A
0
परशुराम जयंती निबंध, जीवनी व रोचक प्रसंग
104
SHARES
691
VIEWS
ShareShareShareShareShare
Google News
WhatsApp
Telegram

 परशुराम जयंती – निबंध, जीवनी व रोचक प्रसंग 

Parshuram Jayanti Essay Biography in Hindi

Parashuram Jayanti Date : 22 April 2023

 परशुराम जयंती निबंध, जीवनी व रोचक प्रसंग | Parshuram Jayanti Essay Biography in Hindi

भगवान परशुराम विष्णु अवतार हैं। वह चिरंजीवी यानी अमर हैं। इनके अलावा भी कई महात्मा चिरंजीवी हैं जैसे की हनुमानजी, विभीषण महाराज, बलि राजा, वेद व्यास, अश्वत्थामा, और कृपाचार्य। भारत में जम्मू कश्मीर, उत्तर प्रदेश, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और महाराष्ट्र में परशुराम के कई भव्य मंदिर स्थित है।पौराणिक तथ्यों के अनुसार महर्षि जमदग्रि की तपोभूमि तथा भगवान परशुराम की जन्मस्थली जानापाव, इंदौर की महू तहसील के राजपुरा कुटी (जानापाव कुटी) गांव में स्थित है तथा इनके अस्तित्व का प्रमाण महाभारत, भागवत पुराण और कल्कि पुराण में मिलता है।

परशुराम जी बहुत बड़े शिव भक्त माने जाते हैं उन्हें भोलेनाथ की तरफ से कई वरदान भी मिले हैं। यह विष्णु भगवान के छठे अवतार होने के साथ साथ “आवेश” अवतार भी कहे गए हैं। संसार में जहाँ भी अन्याय और अत्याचार चरम पर पहुँचता है वहां परशुराम प्रकट हो कर अपना रौद्र रूप दिखाते हैं और बुरी शक्तियों का जड़ से विनाश करते हैं| इनका

यह भी पढे़ं 👇

Weather Update New Year 2026

नए साल पर कुदरत का ‘डबल अटैक’, पहाड़ों पर बर्फबारी तो मैदानों में Cold Wave Alert

शनिवार, 27 दिसम्बर 2025
Social Media Ban

क्या भारत में भी लगेगा 16 साल से कम उम्र के बच्चों पर Social Media Ban?

शनिवार, 27 दिसम्बर 2025
Divorce

3 साल के रिश्ते के बाद की शादी, 24 घंटे में ही हो गया Divorce

शनिवार, 27 दिसम्बर 2025
2025 Year Ender

2025 Year Ender: जनता की आवाज खामोश, वोट चोरी से लेकर ट्रंप तक – साल भर क्या-क्या हुआ?

शुक्रवार, 26 दिसम्बर 2025
  • जन्म
  • परशुराम नामकरण
  • माता का वध
  • पिता से वरदान
  • अपने शिष्य भीष्म से युद्ध
  • हैहय राजवंश का 21 बार विनाश, और
  • गणेश जी से युद्ध

ऐसे कई रोचक प्रसंग हैं जिनके बारे में इस लेख में संक्ष्पित में वर्णन किया गया है|

परशुराम के जन्म की कथा

प्राचीन समय में कन्नौज में गाधि नामक सम्राट का राज्य था। उनकी एक गुणवान व रूपवान पुत्री थी जिनका नाम सत्यवती था। राजा गाधि ने अपनी कन्या का संबंध भृगु नंदन पुत्र (एक ऋषि) के साथ किया। स्वसुर भृगु ऋषि ने जब पुत्रवधु सत्यवती से वर मांगने को कहा तो उन्होंने अपने और अपनी माता के लिए एक-एक पुत्र का वर मांगा।

जिस पर भृगु ने उन्हें दो चरु पात्र दिए, साथ में कहा कि जब तुम्हारी माता और तुम ऋतू स्नान कर लो तब तुम्हारी माता पुत्र इच्छा की कामना के साथ पीपल के पेड़ का आलिंगन करे और तुम्हे उसी कामना के साथ गूलर के पेड़ का आलिंगन करना होगा। इसके बाद मेरे द्वारा दिए इन चरुओं का अलग अलग सेवन करना है।

इधर जब सत्यवती की माता को यह ज्ञान हुआ की ऋषि भृगु ने अपनी पुत्रवधु को उत्तम संतान प्राप्ति का वर दिया है तो उसने चरु बदल दिया, इस प्रकार गलती से सत्यवती ने अपनी माता वाले चरु का सेवन कर लिया।

सत्यवती की माता के छल को भृगु ऋषि ने योग विद्या से पकड़ लिया, फिर उन्होंने यह बात अपनी पुत्रवधु सत्यवती को भी बता दी। फिर वह उस से बोले की तुम्हारी संतान ब्राह्मण होते हुए भी क्षत्रिय जैसा व्यवहार करेगी। और तुम्हारी माता की संतान “इसके उलट” क्षत्रिय संतान होते हुए भी ब्राह्मण जैसा व्यवहार करेगी।

इस पर सत्यवती ने भृगु ऋषि से विनती की के उनका पुत्र ब्राह्मण जैसे ही आचरण करे, भले ही पौत्र (बेटे का बेटा) क्षत्रिय जैसा आचरण करे। दयालु ऋषि भृगु ने पुत्रवधु की यह विनती स्वीकार् कर ली।

समय का चक्र घूमने लगा, सत्यवती को एक तेजवंत पुत्र हुआ, जिसका नाम जमदग्नि रखा गया। इनका विवाह प्रसन्नजीत की पुत्री रेणुका से हुआ। रेणुका के 5 पुत्र हुए जिनका नाम रुक्मवान, सुषेणु, वसु और विश्वावसु और परशुराम था। पुराणों के अनुसार भगवान परशुराम का जन्म वैशाख शुक्ल तृत्या के दिन हुआ था।

 जन्म से नाम राम था, फिर “परशुराम” कैसे बने 

परशुराम का नामकरण होने की यह कथा बहुत प्रचलित है, जमदग्नि ने अपने छोटे पुत्र राम (परशुराम) को हिमालय जा कर शिव की घोर तपस्या करने को कहा। उनके कठिन तप से भोलेनाथ प्रसन्न हुए और उन्हें दर्शन दिए और असुरों के नाश का आदेश दिया।  शिव की आज्ञा अनुसार राम ने आचरण किया, जिस से प्रसन्न हो कर शिव ने उन्हें “परशु” अस्त्र दिया। तभी से वह राम से “परशुराम” कहे जाने लगें। महर्षि परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार कहे जाते हैं। वह ऋषि जमदग्नि और उनकी क्षत्रिय पत्नी रेणुका के पुत्र थे। इस प्रकार परशुराम आधे ऋषि और आधे क्षत्रिय माने जाते हैं। परशुराम की कुल तीन संतान थीं, जिसमें दो पुत्र च्यवन और ऋचिक और एक पुत्री रेणुका थी।

 परशुराम जयंती - निबंध, जीवनी व रोचक प्रसंग | Parshuram Jayanti Essay Biography in Hindi

विष्णु भगवान के 10 अवतार की बात कही जाती है, लेकिन वास्तव में उनके अनंत अवतार है। श्रीमद भागवत अनुआर उनके 22 मुख्य अवतार कहे गए हैं। कहा जाता है की भागवान के अवतार में भी विभाग होते हैं, जैसे की कृष्ण अवतार, यह भी विष्णु भगवान के अवतार है लेकिन इन्हें संपूर्ण अवतार माना जाता है। लेकिन कुछ अवतार अंश अवतार कहे गए हैं, कुछ शक्तवेश अवतार होते हैं। विष्णु भगवान सृष्टि का संतुलन बनाए रखने के लिए आवश्यकता अनुसार अवतार लेते हैं, तथा उद्देश्य पूर्ण होने पर अपने धाम लौट जाते हैं। धार्मिक ग्रंथों का गहन अध्ययन करें तो प्रतीत होता है कि, विष्णु के हर एक अवतार का अलग अलग महत्त्व है।

हैहय राजवंश का 21 बार सर्वनाश 

एक समय हैहय राजवंश अधिपति कार्तिवीर अर्जुन जमदग्नि ऋषि के आश्रम पहुंचे, वहां उनका अच्छा आदर सत्कार हुआ, उस आश्रम में एक कामधेनु गाय थी। उस स्थान की उज्वलता और भव्यता का कारण वही कामधेनु गाय थी, इस लिए कार्तिवीर अर्जुन किसी को बताये बिना उस गाय को वहां से चुरा ले गए। जब यह बात परशुराम को पता चली तो वह कार्तिवीर अर्जुन से युद्ध करने गए और उसकी सहस्त्र भुजाएं काट दी फिर उसका वध कर दिया। इसका बदला लेते हुए कार्तिवीर अर्जुन के पुत्रों ने परशुराम की अनुपस्थिति में  उनकी माता और जमदग्नि ऋषि का वध कर दिया।

इस घटना से परशुराम इतने क्रोधित हुए की उन्होंने संसार से हैहय राजवंश का विनाश करने की प्रतिज्ञा ले ली। इस तरह उन्होंने एक या दो बार नहीं कुल इक्कीस बार पृथ्वी से हैहय राजवंश का संपूर्ण नाश कर दिया। लेकिन वह हर युद्ध में गर्भवती महिलाओं को जीवित छोड़ दिया करते थे। कहा जाता है कि परशुराम ने हैहय राजवंश के क्षत्रियों का विनाश कर के लहू के पांच सरोवर भर दिये थे। तब महर्षि ऋचीक ने प्रकट हो कर विष्णु के छठे अवतार (आवेश अवतार) परशुराम को यह विनाश रोकने को कहा था।

 परशुराम जयंती - निबंध, जीवनी व रोचक प्रसंग | Parshuram Jayanti Essay Biography in Hindi

परशुराम और भगवान गणेश का युद्ध

एक समय परशुराम भगवान शिव से मिलने कैलाश गए, उस समय भोलेनाथ ध्यान में थे, इस लिए उनके पुत्र गणेश ने परशुराम को भीतर जाने से रोक दिया। इस बात पर परशुराम आवेश में आ गए और गणेश और उनका भयंकर युद्ध आरंभ हो गया। तब परशुराम ने अपने अस्त्र से घात किया जिसमें गणेश जी का एक दांत टूट गया, इस घटना के बाद से उन्हें “एक दन्त” कहा जाने लगा। यह भी कहा जाता है कि, उसी खंडित दांत से गणपति भगवान ने महाभारत लिखी थी।

 परशुराम जयंती - निबंध, जीवनी व रोचक प्रसंग | Parshuram Jayanti Essay Biography in Hindi

पिता की आज्ञा से माता का वध किया

एक दिन परशुराम की माता रेणुका स्नान करने गईं, स्नान के बाद घर लौटते वक्त उन्होंने राजा चित्ररथ को जल विहार करते देखा, यह देख कर उनका मन विचलित हुआ, आश्रम आते ही ऋषि जमदग्नि को अपनी योग शक्ति से इस घटना का सारा वृतांत पता चल गया, वह बहुत क्रोधित हुए।  उसी समय उनके चारो बड़े पुत्र भी जंगल से घर लौटे।

ऋषि जमदग्नि ने अपने चारों बड़े पुत्र रुक्मवान, सुषेणु, वसु और विश्वावसु से बारी बारी कहा, की वह अपनी अपराधिनी माता का सिर काट दे। लेकिन उन में से किसी ने पिता की यह बात नहीं मानी। यह देख उन्होंने अपने चारों पुत्रों की बुद्धि क्षीण हो जाने का भयंकर शाप दे दिया।

अंत में ऋषि नें परशुराम से कहा तो उन्होंने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए, अपनी माता रेणूका का सिर काट दिया। यह देख कर ऋषि जमदग्नि बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने अपने छोटे बेटे परशुराम को वरदान मांगने को कहा। तब उन्होंने पिता से तीन वरदान मांगे। जो इस प्रकार थे।

Parshuraam Killed His Mother

पहला : उनकी मृत माता को पुनः जीवनदान मिले और उन्हें उनकी भूल पर क्षमा किया जाए।

दूसरा : उनके सभी भाइयों की दशा पहले की तरह ठीक हो जाए, और उन पर पिता की कृपा छाया बनी रहे।

तीसरा : उन्हें खुद को (परशुराम को) लंबी आयु मिले और उनका कभी पराजय न हो सके।

“युद्ध कला में माहिर परशुराम : धार्मिक पुस्तकों अनुसार परशुराम ने द्रोणाचार्य, भीष्म, और कर्ण जैसे महावीर योद्धाओं को शिक्षा दी थी।”

रामायण काल में  जब राम और परशुराम का सामना हुआ

भगवान श्री राम सीता के स्वयंवर में गए। जहाँ शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने की चुनौती रखी गई थी, उस समारोह में धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाते हुए श्री राम से शिव का धनुष टूट गया था। धनुष टूटने की आवाज़ सुन कर परशुराम वहां प्रकट हुए, वह अत्यंत क्रोध में थे। वह इस घटना पर राम-लक्ष्मण से लड़ पड़े। उस घटना के समय भगवान राम ने विष्णु भगवान के शारंग धनुष पर वाण लगा कर संधान किया तो परशुराम उनकी हकीकत जान गए और शांत हो गए।

इसी दिव्य प्रसंग के समय श्री राम ने सुदर्शन चक्र परशुराम को सौंपा और उसे कृष्ण अवतार तक संभाल कर रखने को कहा, महाभारत युग में जब कृष्ण भगवान धर्म की स्थापना करने के अभियान पर निकले तब परशुराम जी ने उन्हें वह सुदर्शन चक्र सौप दिया । यह प्रसंग कृष्ण के गुरु सांदीपनि के आश्रम में हुआ था।

 परशुराम जयंती - निबंध, जीवनी व रोचक प्रसंग | Parshuram Jayanti Essay Biography in Hindi

द्रौण और परशुराम की मुलाकात 

जब परशुराम जी अपने जीवन की सारी कमाई ब्राह्मणों को दान दे रहे थे तब आचार्य द्रोण उनके पास गए। द्रोण के आने तक परशुराम सब कुछ दान कर चुके थे। इस लिए परशुराम ने दयाभाव से उन्हें मनपसंद अस्त्र शस्त्र चुनने को कहा।

तब परशुराम से द्रौण ने सभी अस्त्र शस्त्र मंत्रों सहित मांग लिए, जिस पर परशुराम ने उन्हें एवमस्तु कहा। यानी ऐसा ही हो, इसी वजह से द्रौण शस्त्र विद्या में निपुण बने। जब तक उनके हाथ में शस्त्र रहते, तब तक उन्हें हराना असंभव था।

परशुराम और भीष्म का युद्ध

अंबा, अम्बिका और अम्बालिका हरण, उसके बाद शैल्य से युद्ध, और अम्बा को लौटना, इस प्रकरण में एक नारी का तिरस्कार और अपमान हुआ, यह बात परशुराम भला कैसे सह लेते, वह तुरंत अंबा की याचिका पर अपने ही शिष्य भीष्म के सामने युद्ध करने आए, भीष्म नें उन्हें घायल किया, शस्त्र रहित कर दिया, लेकिन गुरु परशुराम पीछे नहीं हटे, उन्होंने अपने शिष्य भीष्म से कहा, या तो मेरा वध करो, या पराजय स्वीकार करो, तब भीष्म ने गुरु की मर्यादा रखते हुए उनको प्रणाम किया और पीछे हट कर के लौट गए।

bhishma parshuram

परशुराम नें जब कर्ण को दिया शाप 

दानवीर कर्ण को भी परशुराम ने शस्त्र विद्या सिखाई, दरअसल कर्ण के पालक माता-पिता राधा और अधिरथ को वह नदी में बह रहे पालने में मिला था। इस लिए उसे खुद को भी यह पता नहीं था कि वह सूत पुत्र है, ब्राह्मण या क्षत्रिय। गुरुकुल में विद्या लेते समय एक दिन दो पहर में बिच्छु कर्ण की जांघ पर डंख देने लगा, उसी समय उसके गुरु परशुराम कर्ण की गोद में सिर रख कर सो रहे थे।

गुरु के विश्राम में खलल न हो, इस लिए कर्ण डंख सहता रहा, उसका लहू बहता रहा। तभी अचानक गुरु की नींद खुली, उन्होंने कर्ण से क्रोध में कहा, एक ब्राह्मण या सूत्र पुत्र में इतनी सेहनशक्ति असंभव है, तुम यक़ीनन एक क्षत्रिय हो, तुमने जान बूझ कर अपनी जाती छिपाई, कपट से विद्या हासिल की है। इस लिए जब तुम्हे अपनी विद्या की सर्वाधिक आवश्यकता होगी, तुम इसे भूल जाओगे। परशुराम के शाप के प्रभाव से महाभारत के अंतिम युद्ध में कर्ण के साथ ऐसा ही हुआ और वह अर्जुन के हाथों मारा गया।

आज कहां है चिरंजीवी परशुराम ?

धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि अंत में परशुराम जी ने अश्वमेघ यज्ञ किया और सप्तद्वीप रूपी पृथ्वी को महर्षि कश्यप को दान में दे दिया।  जिसके उपरांत वह महेन्द्र पर्वत चले गए। यह स्थान हाल के समय में ओड़िसा राज्य में स्थित है। कहा जाता है कि आज भी वह इसी क्षेत्र में गुप्त स्थानों पर रह कर तपस्या में लीन रहते हैं। भविष्य में जब कल्कि अवतार होगा तब परशुराम उनके गुरु बनेंगे और उन्हें युद्ध की शिक्षा देंगे। परशुराम जी से प्रेरणा ले कर कल्कि अवतार शिव की तपस्या करेंगे और धर्म स्थापना युद्ध के लिए दिव्यास्त्र एकत्रित करेंगे।

परशुराम जयंती पर पूजा विधि

परशुराम जयंती शनिवार के दिन, 22 अप्रैल, 2023 को है। अक्षय तृतीया के दिन सबह “ब्रह्म मुहूर्त” में स्नान करके एक स्वच्छ पीले वस्त्र पर भगवान परशुराम की प्रतिमा को स्थापित करें। इसके पश्चात, उसके सामने धूप दीप अगरबत्ती जलाकर फूल फल चढाकर भगवान परशुराम की पूजा और आरती करें, फिर भगवान परशुराम के सामने अपनी मनोकामना व्यक्त करें। पूजा के उपरांत यथाशक्ति दान भी करना चाहिए।

Read Also :

परशुराम जयंती / Parshuram Jayanti के अवसर पर प्रस्तुत यह निबंध ( Lord Parshuram Short Essay In  Hindi ) कैसा लगा, यह कमेन्ट कर के ज़रूर बताइयेगा|

यदि आपके पास Hindi में कोई article, inspirational story या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी Id है:[email protected].पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!

Related Posts

Weather Update New Year 2026

नए साल पर कुदरत का ‘डबल अटैक’, पहाड़ों पर बर्फबारी तो मैदानों में Cold Wave Alert

शनिवार, 27 दिसम्बर 2025
Social Media Ban

क्या भारत में भी लगेगा 16 साल से कम उम्र के बच्चों पर Social Media Ban?

शनिवार, 27 दिसम्बर 2025
Divorce

3 साल के रिश्ते के बाद की शादी, 24 घंटे में ही हो गया Divorce

शनिवार, 27 दिसम्बर 2025
2025 Year Ender

2025 Year Ender: जनता की आवाज खामोश, वोट चोरी से लेकर ट्रंप तक – साल भर क्या-क्या हुआ?

शुक्रवार, 26 दिसम्बर 2025
Jingle Bells History and Meaning

क्रिसमस का नहीं है ‘जिंगल बेल्स’, जानिए इस गाने का Secret History

शुक्रवार, 26 दिसम्बर 2025
Telegram CEO

DNA साबित करो और अरबों की दौलत पाओ, Telegram CEO का अजीबोगरीब ऑफर

शुक्रवार, 26 दिसम्बर 2025
0 0 votes
Rating
Subscribe
Notify of
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments
The News Air

© 2025 THE NEWS AIR

GN Follow us on Google News

  • About
  • Privacy & Policy
  • Contact
  • Disclaimer & DMCA Policy

हमें फॉलो करें

No Result
View All Result
  • प्रमुख समाचार
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • सियासत
  • राज्य
    • पंजाब
    • चंडीगढ़
    • हरियाणा
    • हिमाचल प्रदेश
    • नई दिल्ली
    • महाराष्ट्र
    • पश्चिम बंगाल
    • उत्तर प्रदेश
    • बिहार
    • उत्तराखंड
    • मध्य प्रदेश
    • राजस्थान
  • काम की बातें
  • नौकरी
  • बिज़नेस
  • वेब स्टोरी
  • टेक्नोलॉजी
  • मनोरंजन
  • धर्म
  • हेल्थ
  • स्पेशल स्टोरी
  • लाइफस्टाइल
  • खेल

© 2025 THE NEWS AIR