Central Excise Amendment Bill 2025: संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन केंद्र सरकार ने तंबाकू कंपनियों पर एक बड़ा ‘बम’ फोड़ा है। सरकार ने लोकसभा में दो ऐसे नए विधेयक पेश किए हैं, जिनका सीधा असर पान मसाला, गुटखा और सिगरेट के शौकीनों की जेब पर पड़ने वाला है। अगर आप सोच रहे थे कि जीएसटी कंपनसेशन सेस खत्म होने के बाद ये चीजें सस्ती हो जाएंगी, तो सरकार ने उस उम्मीद पर पानी फेर दिया है।
दरअसल, 1 दिसंबर, सोमवार को सरकार ने दो नए टैक्स कानून पेश किए हैं- ‘केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2025’ और ‘स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025’। इन बिलों को लाने का मुख्य मकसद यह सुनिश्चित करना है कि हानिकारक उत्पादों के दाम किसी भी हाल में कम न हों और सरकार का खजाना भरता रहे।
सस्ती नहीं होंगी सिगरेट और गुटखा
जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए एक ‘जीएसटी कंपनसेशन सेस’ लगाया गया था। यह एक अस्थायी (Temporary) टैक्स था, जिसे खत्म होना था। सरकार को डर था कि अगर यह सेस खत्म हो गया, तो तंबाकू उत्पादों की कीमतें गिर जाएंगी और सरकार को राजस्व का भारी नुकसान होगा। साथ ही, सस्ती होने पर लोग इनका सेवन ज्यादा करेंगे। इसी ‘सेस’ की जगह लेने के लिए और टैक्स की दरों को बरकरार रखने के लिए सरकार ये नए बिल लेकर आई है। अब इन पर हमेशा के लिए ‘सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी’ और नया ‘सेस’ लगाने की तैयारी है।
मशीन की क्षमता पर लगेगा टैक्स, चोरी रुकेगी
‘स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025’ के तहत एक क्रांतिकारी बदलाव किया गया है, जो शुरुआत में पान मसाला और गुटखा कंपनियों पर लागू होगा। अब तक सरकार उत्पादन (Production) के आधार पर टैक्स लेती थी, लेकिन कंपनियां अक्सर कम उत्पादन दिखाकर टैक्स चोरी करती थीं।
नए नियम के मुताबिक, अब टैक्स ‘मशीन की क्षमता’ (Machine Capacity) के हिसाब से लगेगा। उदाहरण के लिए, अगर किसी मशीन की क्षमता एक दिन में 100 किलो गुटखा बनाने की है, और कंपनी दावा करती है कि उसने सिर्फ 75 किलो बनाया, तो भी सरकार 100 किलो के हिसाब से ही टैक्स वसूलेगी। सरकार का मानना है कि इससे अंडर-रिपोर्टिंग रुकेगी और कंपनियां टैक्स नहीं बचा पाएंगी।
सिगरेट पर टैक्स की भारी-भरकम दरें
‘सेंट्रल एक्साइज अमेंडमेंट बिल 2025’ के तहत सिगरेट पर लगने वाले टैक्स की दरें काफी ऊंची प्रस्तावित की गई हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक:
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छोटी सिगरेट (65 mm से कम): प्रति 1000 स्टिक पर करीब 2700 रुपये की एक्साइज ड्यूटी लगेगी।
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बड़ी सिगरेट (65 mm से ज्यादा): प्रति 1000 स्टिक पर 4500 रुपये से लेकर 5200 रुपये तक का टैक्स लगाया जाएगा।
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कच्चा तंबाकू: अन-मैन्युफैक्चर्ड तंबाकू पर 60 से 70% तक की प्रभावी ड्यूटी लगाने का प्रावधान है।
क्या है पृष्ठभूमि?
जब 2017 में जीएसटी लागू हुआ था, तो राज्यों ने वैट और एंट्री टैक्स जैसे अधिकार छोड़ दिए थे। केंद्र ने वादा किया था कि 5 साल तक (2022 तक) राजस्व नुकसान की भरपाई की जाएगी, जिसके लिए ‘जीएसटी कंपनसेशन सेस’ लाया गया। यह सेस लग्जरी कारों, पान मसाला, सिगरेट और कोयला जैसी चीजों पर लगता था। कोविड के कारण इसे लोन चुकाने के लिए आगे बढ़ाया गया था। अब चूंकि यह खत्म हो रहा था, इसलिए सरकार ने हेल्थ और नेशनल सिक्योरिटी के नाम पर नया टैक्स स्ट्रक्चर तैयार किया है।
जेब पर कितना असर?
विशेषज्ञों का मानना है कि इन नए कानूनों के लागू होने के बाद सिगरेट, तंबाकू और पान मसाला की कीमतों में अचानक 10 से 20% तक की बढ़ोतरी हो सकती है। हालांकि, इसका एक नकारात्मक पहलू भी है। टैक्स बहुत ज्यादा बढ़ने से अवैध सिगरेट और तस्करी वाले तंबाकू का काला बाजार पनप सकता है। साथ ही, चूंकि अब यह पैसा सीधे केंद्र के एक्साइज खाते में जाएगा, तो राज्यों को मिलने वाले राजस्व में कमी आ सकती है, जिसका वे विरोध कर सकते हैं।
मुख्य बातें (Key Points)
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सरकार ने संसद में दो नए टैक्स विधेयक पेश किए हैं।
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जीएसटी कंपनसेशन सेस की जगह अब परमानेंट सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी और नया सेस लगेगा।
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पान मसाला और गुटखा पर अब उत्पादन के बजाय ‘मशीन की क्षमता’ के आधार पर टैक्स लगेगा।
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बड़ी सिगरेट पर प्रति 1000 स्टिक 5200 रुपये तक का टैक्स प्रस्तावित है।
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विशेषज्ञों के मुताबिक, इन उत्पादों के दाम भविष्य में 10-20% तक बढ़ सकते हैं।






