नई दिल्ली: दुनिया के मौजूदा हालात को देखते हुए भारत का सबसे ज्यादा फोकस अपने रक्षा क्षेत्र को अपग्रेड करने पर है। भारतीय सेना युद्ध की चुनौतियों से निपटने के लिए नई टेक्नीक और हथियारों की खरीद पर खर्च कर रही है। सेना अपने सैनिकों को और ताकतवर बनाने के लिए उन्हें नए हथियारों से लैस करनी योजना पर तेजी से आगे बढ़ रही है। उसी कड़ी में सेना अब भविष्य के युद्ध को ध्यान में रखते हुए नई जेनरेशन और तकनीक के हथियार शामिल कर रही है। इसी क्रम में टी-72 टैंक की जगह सेना अब नए युद्धक वाहन खरीदने वाली है। लंबे समय तक सेना में अपनी सेवा देने वाले टी-72 टैंक को सेना अब हटाने वाली है। आइए जानते हैं सेना के पास दुश्मनों को नेस्तनाबूत करने वाले कितने युद्धक टैंक हैं।
टी-90 भीष्म टैंक
भारतीय सेना के पास अभी 2000 से ज्यादा T-90 भीष्म टैंक हैं। यह भारतीय सेना का मेन बैटल टैंक है। टी-90 दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला टैंक है। अल्जीरिया, अजरबैजान, इराक, सीरिया, तुर्कमेनिस्तान, युगांडा और वियतनाम में भी यह टैंक है। वर्तमान में भारत में तमिलनाडु के अवाडी की हैवी व्हीकल्स फैक्टरी में टी-90 टैंकों को तैयार किया जाता है। भारत को 2005 में इन टैंकों की डिलीवरी शुरू हुई थी। मौजूदा समय में भीष्म के अंदर लगने वाले कई सारे पार्ट्स स्वदेशी हैं। T-90 टैंक को सामान्य रास्ते पर 60 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चलाया जा सकता है। वहीं उबड़खाबड़ रास्ते पर इसकी अधिकतम रफ्तार 50 किलोमीटर प्रतिघंटे के करीब होती है।
BMP-2 टैंक
BMP-2 युद्धक टैंक कुछ साल पहले तक रूस से खरीदा जाता था, लेकिन अब भारत खुद ही इसे बनाता है। इसकी खासियत ये है कि यह 30mm वाली मशीनगन से लैस होता है और युद्ध के वक्त 360 डिग्री यानी हर तरफ घूमकर दुश्मन पर हमला कर सकता है। इस टैंक का वजन इतना कम होता है कि इसे पहाड़ी क्षेत्रों में ले जाना आसान होता है। वर्तमान में इस टैंक की तैनाती चीन सीमा पर सबसे ज्यादा है। बीएमपी-2 टैंक का वजन 14 हजार किलोग्राम है और अपने वजन के कारण ही यह टैंक फिलहाल सबसे खतरनाक हथियारों में से एक है।
टी-72 टैंक
भारतीय सेना में 2,400 से ज्यादा टी-72 टैंक हैं। इन टैंक्स के अपग्रेड करने के लिए फ्रांस, पोलैंड और रूस भेजना पड़ता है। जो काफी खर्चीला काम है। इस टैंक को 1960 के दशक में रूस में बनाया गया था। 1973 में इसे सोवियत सेना में शामिल किया गया था। सेना टी-72 टैंक को अपग्रेड करने की तैयारी भी कर रही है। सेना को रक्षा मंत्रालय से अपने T-72 टैंकों के लिए मौजूदा 780 हॉर्स पावर के इंजन की जगह 1000 हॉर्स पावर के इंजन लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है। इस 2,300 करोड़ रुपये की योजना के तहत 200 इंजन सीधे आयात किए जाएंगे, जबकि 800 भारत में बनाए जाएंगे। एक अधिकारी ने बताया कि T-72 भी थर्मल साइट्स, फायर डिटेक्शन और सप्रेशन, और अन्य सिस्टम प्राप्त कर रहे हैं। इस टैंक का वजन 41 हजार किलोग्राम है। टी-72 टैंक में तीन जवान (क्रू) के बैठने की जगह है। टी-72 टैंक के कैनन की लेंथ 9,530 एमएम है। इस टैंक की ऊंचाई 2,190 एमएम है। टी-72 टैंक की चौड़ाई 3,460 एमएम है। यह टैंक सड़क पर अधिकतम 60 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ सकता है। टी-72 टैंक कच्चे रास्तों पर 35-45 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ सकता है।
अर्जुन टैंक
अर्जुन टैंक को भारतीय सेना के लिए DRDO की कॉम्बैट वीइकल रिसर्च एंड डिवेलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट (CVRDE) ने विकसित किया है। अर्जुन टैंक का नाम महान धनुर्धर अर्जुन के नाम पर रखा गया है। अर्जुन की तरह इसका निशाना भी अचूक बताया जाता है। 2004 से अर्जुन टैंक भारतीय सेना की सेवा में है। अर्जुन टैंक तीसरी पीढ़ी का बैटल टैंक है जिसमें 120mm की तोप लगी है। अर्जुन टैंक में चार लोगों के बैठने की जगह है। इसके क्रू में कमांडर, गनर, लोडर और ड्राइवर रहते हैं। अर्जुन टैंक के कई वैरिएंट्स डिवेलप किए गए हैं। मेन जेनरेशन में Arjun MK1 और Arjun MK1A है। इसके अलावा इसी डिजाइन के बेसिस पर भीम SPH, अर्जुन कैटापुल्ट सिस्टम, ब्रिज लेयर टैंक, अर्जुन ARRV को भी डिवेलप किया गया है। 10.6 मीटर लंबे Arjun MK1 टैंक का वजन 58.5 टन है। वहीं Arjun MK1A का वजन 68 टन तक पहुंच जाता है।