Pakistan Political Crisis: पाकिस्तान में राजनीतिक हलचल अब भी जारी है। देश की सर्वोच्च अदालत ने गुरुवार को नेशनल असेंबली (National Assembly) के डिप्टी स्पीकर के फैसले को रद्द कर दिया। डिप्टी स्पीकर ने प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion) को खारिज कर दिया था। इस प्रस्ताव पर नेशनल असेंबली में अब 9 अप्रैल को वोटिंग होगी
पढ़ें सवाल-जवाब का पूरा सिलसिला
सवाल- यह न केवल PPP बल्कि पूरे विपक्ष के लिए एक बड़ी जीत है। आप इस पर क्या कहना चाहते हैं?
जवाब- मैं कहूंगा कि यह देश में लोकतंत्र, संविधान और कानून की बड़ी जीत है। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट का जो यह फैसला आया है, उसने इसकी नींव रखी है कि देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया और संवैधानिक शासन में किसी को भी हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
सवाल- यह प्रक्रिया कैसे शुरू हुई?
जवाब: पाकिस्तान में जो हो रहा था, उसे देखते हुए इमरान खान की सरकार के खिलाफ काफी नाराजगी थी। महंगाई थी, असुरक्षा थी और संस्थान ठीक से काम नहीं कर रहे थे। इसके चलते विपक्षी दलों ने संविधान के तहत इमरान खान को हटाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर ‘अविश्वास प्रस्ताव’ लाने का फैसला किया। इसमें वे दल भी शामिल हुए, जो पहले सरकार के साथ थे। इमरान खान के निर्देशों के पर नेशनल असेंबली के स्पीकर ने अविश्वास प्रस्ताव में देरी कराई और फिर इसे रद्द कर दिया। इसके बाद हम अदालत गए… और अदालत ने निर्देश दिया कि संविधान में कानून की प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए।
नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के लिए 3 अप्रैल का दिन तय किया गया था। सदन में कुल 342 सीट हैं और विपक्ष में 172 से ज्यादा सदस्य थे। उस दिन इमरान खान को प्रधानमंत्री के पद से हटा दिया गया होता।
सवाल: आप वहां अदालत में थे और सुप्रीम कोर्ट की सभी 3 से 4 सुनवाई में लगातार उपस्थित रहे। एक समय ऐसा लगा कि कोर्ट का झुकाव आम चुनाव कराने की ओर था, लेकिन किसी तरह चुनाव आयोग तैयार नहीं हुआ और वह अक्टूबर तक का समय चाहता था। क्या आपको लगता है कि यह आदेश एक मजबूरी है या सिर्फ एक तर्क है, जिसे सुप्रीम कोर्ट देने की कोशिश कर रहा था?
जवाब: मैं मुख्य वकील था, जिसने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) की ओर से दलीलें शुरू कीं, जिसका मैं प्रतिनिधित्व कर रहा था। 4 अप्रैल को पूरे दिन मैंने मामले की दलील दी। मैंने अदालत के सामने तर्क दिया कि अविश्वास प्रस्ताव को रद्द करना गैरकानूनी और असंवैधानिक है। अगर अविश्वास प्रस्ताव को रद्द करने को कोर्ट असंवैधानिक घोषित कर देता है, तो इसका नतीजा यह होता है कि राष्ट्रपति का प्रधानमंत्री की सलाह पर नेशनल असेंबली को भंग करना अवैध घोषित किया जाना चाहिए।
मुझे लगता है कि अदालत बहुत साथ थी कि अविश्वास प्रस्ताव (NCM) को संविधान के तहत बिना वोटिंग के रद्द करना गैरकानूनी है। हालांकि, उन्होंने टिप्पणियां दीं…लेकिन यह कोई फैसला नहीं था। मगर जब वे थोड़े समय बाद फिर से इक्ट्ठा हुए, तो उन्होंने कानून और संविधान के अनुसार फैसले की घोषणा की। यह सुप्रीम कोर्ट का दिया गया एक महान निर्णय है। मुझे इसके लिए सर्वोच्च न्यायालय और निर्णय सुनाने वाले माननीय जजों को सलाम करना चाहिए।
सवाल: कल वो दिन है, जब NCM फिर से शुरू होगा। क्या आपको इमरान खान की कोई योजना, कुछ भी दिखाई देता है कि वह कुछ ऐसा कर सकते हैं, जो फिर से इस प्रक्रिया को रोक देगा?
जवाब: यह कहना मुश्किल होगा। इमरान खान जो कुछ भी करेंगे, उसका नतीजा गलत होगा। देश में लोकतांत्रिक शासन और संवैधानिक शासन की अवमानना होगी। मुझे लगता है कि उन्हें हार माननी चाहिए। उन्हें माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वीकार करना चाहिए। उन्हें नेशनल असेंबली के सामने जाना चाहिए।
अगर उनके पास संख्या 172 से ज्यादा है, तो उन्हें अपने पक्ष में विश्वास मत के मिल जाएगा। अगर उनके पास वह नहीं है, तो उन्हें देश में अराजकता और अनिश्चितता और अस्थिरता पैदा करने के बजाय सम्मानपूर्वक विपक्ष में बैठना चाहिए और विपक्ष की भूमिका निभानी चाहिए।