अमृतसर (The News Air) केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने बजट-2023 पेश किया है। वित्त मंत्री ने साल 2023 के बजट में किसानों का खास ध्यान रखा है और किसानों की कमाई में इजाफा करने के लिए कई कदम उठाए हैं। लेकिन पंजाब के किसानों को अभी भी इन योजनाओं पर विश्वास नहीं है। उनका कहना कि इस बजट से भी बड़े घरानों को ही फायदा पहुंचेगा।
किसान नेता सरवण सिंह पंधेर।
वित्त मंत्री ने ऐलान किया है कि किसानों के लिए सहकार से समृद्धि प्रोग्राम चलाया जाएगा। इसके जरिए 63000 एग्री सोसायटी को कंप्यूटराइज्ड किया जाएगा। इससे किसानों को समृद्ध बनाने में मदद मिलेगी। इससे किसानों के लिए डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किए जाएंगे। यहां से किसानों को खेती संबंधित प्लानिंग, लोन, इंश्योरेंस और फसलों के उत्पादन को किस तरह से बढ़ाया जाए। लेकिन किसानों का कहना है कि इससे पहले किए गए वादे अभी तक केंद्र ने पूरे नहीं किए हैं, जो मांगें किसानों की थी उन्हें इग्नोर कर दिया गया है।
स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने की बात
किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के नेता सरवण सिंह पंधेर का कहना है कि भारत सरकार एग्रीकल्चर सेक्टर के स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए बेहतर फंड मुहैया कराएगी। लेकिन अभी तक सरकार को देख स्टार्टअप के लिए आए युवाओं को सिर्फ आइडिया ही दिया जाता है और कोई फायनेंशियल फंड नहीं दिया जाता।
पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप
बजट 2023 में कॉटन की फसल पर ज्यादा ध्यान दिया गया है। सरकार ने कहा है कि वह एक पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप तैयार करेगी। लेकिन किसान इससे भी खफा हैं। किसानों का कहना है कि पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के आधार पर बनी चीनी मिलों में किसानों के करोड़ों रुपए फंसे हुए हैं। ऐसा ही इन पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप से किसानों की मुश्किलें बढ़ेंगी।
पंजाब में मिलेट खेती पूरी तरह से इग्नोर है
वित्त मंत्री ने कहा कि भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा मिलेट का एक्सपोर्टर है और सबसे बढ़ा उत्पादक। इसके लिए जो रिसर्च सेंटर बनाने की बात कही गई है, उसे भी हैदराबाद को दे दिया गया है। अगर पंजाब में मिलेट की बात करें तो यहां सिर्फ बाजरा और जवार की खेती की जाती है।
1950 में पंजाब में बाजरा व जवार 11 लाख हेक्टर में की जाती थी। अब यह सिर्फ कुछ 1000 हेक्टर तक सीमित हो चुकी है। केंद्र का यह प्लान पंजाब के किसानों के लिए भी कुछ खास नहीं है। किसानों का कहना है कि अगर उन्हें बाजरा-जवार उगाने के लिए कुछ खास बजट दिया जाता है तो किसान गेहूं-चावल की खेती की तरफ मुड़ सकते हैं।