चंडीगढ़, 22 जनवरी (The News Air): लुधियाना (Ludhiana) में तालिबानी सज़ा की घटना ने न केवल मानवता को शर्मसार किया बल्कि बच्चों के अधिकारों की धज्जियां उड़ा दीं। एक कपड़ा फैक्ट्री के मालिक ने चोरी के आरोप में एक मां और उसकी तीन बेटियों का मुंह काला कर “मैं चोर हूं” की तख्ती पहनाकर घुमाया। इस हृदयविदारक घटना पर पंजाब राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (Punjab State Commission for Protection of Child Rights) के चेयरमैन कंवरदीप सिंह ने स्वतः संज्ञान लेते हुए सख्त कदम उठाने का निर्देश दिया।
घटना का विवरण
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कपड़ा फैक्ट्री मालिक ने चोरी के संदेह में पीड़ित परिवार के साथ अमानवीय व्यवहार किया। चारों को सार्वजनिक रूप से अपमानित किया गया, और इस पूरी घटना की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दी गईं। चेयरमैन कंवरदीप सिंह ने इसे बच्चों के अधिकारों और मानवता का गंभीर उल्लंघन करार दिया।
चेयरमैन ने दिए सख्त आदेश
बाल अधिकार आयोग के चेयरमैन ने इस घटना पर तुरंत कार्रवाई करते हुए पुलिस कमिश्नर लुधियाना (Police Commissioner Ludhiana) और डिप्टी कमिश्नर (Deputy Commissioner) को निम्नलिखित निर्देश दिए:
- जुवेनाइल जस्टिस (Juvenile Justice) अधिनियम 2015 की धारा 75 और 79 के तहत केस दर्ज करें।
- बाल श्रम (निवारण और नियंत्रण) अधिनियम 1986 और भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की संबंधित धाराओं में शामिल करते हुए दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें।
- बच्चियों की तस्वीरें और वीडियो वायरल करने वालों पर जुवेनाइल जस्टिस अधिनियम की धारा 74 के तहत मामला दर्ज करें।
- कार्रवाई की रिपोर्ट 23 जनवरी तक आयोग को प्रस्तुत करें।
डिप्टी कमिश्नर को भी दिए निर्देश
डिप्टी कमिश्नर को भी फैक्ट्री मालिक और अन्य दोषियों पर बाल श्रम अधिनियम के तहत सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही 7 दिनों के भीतर विस्तृत रिपोर्ट आयोग को सौंपने को कहा गया है।
बाल अधिकारों का हनन बर्दाश्त नहीं
कंवरदीप सिंह ने कहा कि बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन किसी भी हाल में स्वीकार्य नहीं है। बच्चों को शोषण और अपमान से बचाने के लिए कानून सख्त है और इस मामले में सभी दोषियों को कठोर सजा दी जाएगी।
जनता में रोष
लुधियाना की यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल होते ही जनता के बीच गुस्से का कारण बन गई। लोग दोषियों के खिलाफ कड़ी सजा की मांग कर रहे हैं। बच्चों के साथ हुए इस अमानवीय व्यवहार ने समाज को झकझोर कर रख दिया है।
लुधियाना की घटना न केवल कानून का उल्लंघन है बल्कि मानवता पर भी एक बड़ा सवाल खड़ा करती है। बाल अधिकार संरक्षण आयोग और प्रशासन का यह कड़ा कदम एक उदाहरण पेश करेगा। अब यह देखना बाकी है कि दोषियों को न्याय कब और कैसे मिलता है।