Corporate Political Nexus India: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हुए दो बड़े फैसले सुनाए जिसमें अरावली पर अपने ही पुराने फैसले पर रोक लगा दी और उन्नाव कांड के दोषी को इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा दी गई जमानत पर भी स्टे लगा दिया। इसी बीच देश की राजनीति में एक नई बहस छिड़ गई है जब शरद पवार और गौतम अडानी की 30 साल पुरानी दोस्ती की तस्वीरें सामने आईं और राहुल गांधी के कॉर्पोरेट विरोधी रुख के बीच यह सवाल उठने लगा कि क्या विपक्ष भी उसी कॉर्पोरेट नेक्सस का हिस्सा है जिसके खिलाफ वह लड़ाई लड़ने का दावा करता है।
सुप्रीम कोर्ट ने बचाई अपनी साख
सुप्रीम कोर्ट की साख जब कटघरे में नजर आने लगी थी तब कोर्ट ने अपनी ताकत दिखाई। अरावली पर सुप्रीम कोर्ट के ही पुराने फैसले पर खुद सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी। इसके साथ ही उन्नाव कांड के दोषी को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जो जमानत दी थी उस पर भी रोक लगा दी गई। इन दोनों फैसलों से यह संदेश गया कि इस देश में न्याय जिंदा है और सुप्रीम कोर्ट की मौजूदगी का मतलब अभी भी है।
यह फैसले ऐसे मौके पर आए जब न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर सवाल उठ रहे थे। जब नौकरशाही, मीडिया और संस्थाएं एक खास दिशा में झुकती नजर आ रही थीं तब सुप्रीम कोर्ट का यह कदम एक उम्मीद की किरण बनकर सामने आया।
शरद पवार और अडानी की 30 साल पुरानी दोस्ती
महाराष्ट्र की राजनीति में एक तस्वीर ने पूरे देश को चौंका दिया। बारामती में शरद पवार के परिवार ने गौतम अडानी और उनकी पत्नी प्रीति अडानी का भव्य स्वागत किया। इस मौके पर शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने खुलकर कहा कि अडानी परिवार के साथ उनके 30 सालों का प्यार का रिश्ता रहा है।
खुद गौतम अडानी ने भी कहा कि पवार साहब को जानने का सौभाग्य उन्हें तीन दशकों से मिला है और उनसे जो सीखने को मिला उसका कोई मुकाबला नहीं है। यह बयान और तस्वीरें उस समय सामने आईं जब राहुल गांधी लगातार अडानी-अंबानी के खिलाफ मुहिम चला रहे हैं।
राहुल गांधी ने दो बार अडानी से मिलने से किया इनकार
राहुल गांधी की राजनीति इस मामले में बिल्कुल साफ है। दो मौकों पर जब अडानी सामने खड़े थे तब राहुल गांधी ने न देखना सही समझा और न हाथ मिलाना।
पहला मौका था जब शरद पवार का जन्मदिन दिल्ली में मनाया जा रहा था और वहां अडानी की मौजूदगी थी। राहुल गांधी वहां पहुंचे, पवार साहब को बधाई दी और बिना अडानी की तरफ देखे निकल गए।
दूसरा मौका लंदन के एक होटल में था जब सैम पित्रोदा के माध्यम से अडानी मिलना चाहते थे। जब राहुल को पता चला कि वहां अडानी मौजूद हैं तो उन्होंने सैम पित्रोदा को भी आड़े हाथों ले लिया और वहां से निकल गए।
राहुल गांधी का कॉर्पोरेट विरोधी रुख
राहुल गांधी खुलकर कहते रहे हैं कि नरेंद्र मोदी जनता के चुने हुए प्रधानमंत्री नहीं बल्कि अंबानी-अडानी के औजार हैं। उनके मुताबिक नोटबंदी कॉर्पोरेट के लिए लाई गई, जीएसटी कॉर्पोरेट के लिए लाया गया, तीन काले कानून कॉर्पोरेट के लिए लाए गए और धारावी भी कॉर्पोरेट को सौंपी गई।
भारत जोड़ो यात्रा का अंत जब मुंबई में हुआ तब धारावी से गुजरते हुए राहुल गांधी ने कहा था कि यह धारावी अडानी को सौंपी जा रही है जिसका मतलब है एक लाख करोड़ रुपए और गरीबों से उनकी रिहाइश और रोजगार छीनना।
विपक्षी नेताओं की कॉर्पोरेट से नजदीकियां
सवाल यह उठता है कि जब राहुल गांधी इतनी स्पष्ट राजनीति कर रहे हैं तो विपक्ष के बाकी नेता किस दिशा में जा रहे हैं। ममता बनर्जी अडानी के साथ प्रोजेक्ट्स पर काम करती दिखती हैं। तेलंगाना के कांग्रेसी मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी भी अडानी के साथ नजर आते हैं। राजस्थान में अशोक गहलोत भी अडानी के प्रोजेक्ट के साथ खड़े रहे।
मुकेश अंबानी के बेटे की शादी में विपक्ष की पूरी कतार नजर आई जिसमें अखिलेश यादव, लालू यादव परिवार और कांग्रेस के कई नेता शामिल थे। लेकिन राहुल गांधी उस शादी में नहीं पहुंचे।
1% के पास 47% संपत्ति का सच
भारत में 1% लोगों के पास देश की 47% संपत्ति है। इस 1% के दायरे में अंबानी और अडानी का नाम सबसे ऊपर है क्योंकि सिर्फ इनकी संपत्ति के दायरे में भारत का 20 से 25% हिस्सा आ जाता है।
राहुल गांधी इस असमानता को सामने लाते हुए कहते हैं कि 50 साल में सबसे ज्यादा बेरोजगारी आज है। अरबपति बच्चों की शादी में हजारों करोड़ खर्च करते हैं, 10-15 करोड़ की घड़ियां पहनते हैं, जबकि आम आदमी को अपने बच्चों की शादी के लिए कर्ज लेना पड़ता है।
पार्थ पवार पर 10,800 करोड़ के घोटाले का आरोप
शरद पवार के बेटे पार्थ पवार पुणे में 10,800 करोड़ के जमीन घोटाले में फंसे हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने राज्य के रेवेन्यू को नुकसान पहुंचाते हुए गलत तरीके से जमीन हथियाई। और हैरानी की बात यह है कि उसी जगह पर अडानी, शरद पवार और पार्थ पवार एक साथ मौजूद नजर आए।
जब प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय रैली में अजीत पवार को 65,000 करोड़ का आरोपी बताया था तब लगा था कि शायद अब शरद पवार की राजनीतिक समझ जाग जाएगी और वे राहुल गांधी के साथ कांधे से कांधा मिलाकर लड़ेंगे। लेकिन हुआ इसके उलट।
महाराष्ट्र में परिवार एकजुट होने की राजनीति
पुणे के पिंपरी-चिंचवाड़ नगर निगम चुनाव में हैरान करने वाला मोड़ आया। बीजेपी के साथ रहने वाले अजीत पवार और राहुल गांधी के साथ रहने वाले शरद पवार एक साथ आ गए। परिवार एकजुट होने की यह कहानी उसी तर्ज पर है जैसे बीएमसी चुनाव को लेकर उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक साथ आए।
लेकिन इस परिवार के दायरे को गहराई से देखें तो यह परिवार कॉर्पोरेट से बनता है। यह परिवार राजनीतिक दूरियां मिटाने से नहीं बल्कि कॉर्पोरेट के पैसे से बनता है।
राहुल गांधी अकेले क्यों पड़ गए?
राहुल गांधी लगातार कॉर्पोरेट-सत्ता नेक्सस को उभारते हुए मोदी सरकार पर निशाना साधते रहे हैं। लेकिन इस पूरी कतार में वे खुद अकेले पड़ते नजर आ रहे हैं। उनके अपने साथी, सहयोगी, यहां तक कि उनकी अपनी पार्टी के नेता भी उसी लीक पर चल रहे हैं जहां वे कॉर्पोरेट के पैसे से हटकर सोच नहीं सकते।
विपक्ष की राजनीति का सच यह है कि सरकार मिल जाए तो चलाने के लिए कॉर्पोरेट का पैसा चाहिए। सरकार नहीं मिली है तो सरकार के साथ खड़े होने के लिए भी कॉर्पोरेट का साथ चाहिए।
ईडी की 50 घंटे पूछताछ का जवाब
राहुल गांधी से ईडी ने 5 दिन तक लगातार 50 घंटे पूछताछ की। जब वे बाहर निकले तो उन्होंने कहा कि मैं बुलाया नहीं गया था, मैं तो देखने आया था कि कौन लोग हैं जो मुझे बुला रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि एक बार हमारी सरकार आई तो किसी को छोड़ेंगे नहीं।
यह बात धमकी नहीं बल्कि उन परिस्थितियों का संकेत है जिसमें वे जानते हैं कि एक पूरी कतार कैसे करप्ट है।
अमित शाह का पलटवार
गुजरात में मौजूद गृह मंत्री अमित शाह ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि राहुल गांधी ऐसे मुद्दे उठाते हैं जिनके सरोकार जनता से होते नहीं हैं। उन्होंने दावा किया कि हमारे मुद्दे जनता से जुड़े हैं इसीलिए हम हर चुनाव जीतते हैं।
शाह ने आगे कहा कि हम तमिलनाडु भी जीतेंगे, बंगाल भी जीतेंगे और 2029 भी जीतेंगे। इसके जवाब में राहुल गांधी का तर्क यह है कि कॉर्पोरेट का पैसा, इलेक्शन कमीशन और पूरा सिस्टम सत्ता पक्ष के साथ है तो विपक्ष कैसे टिकेगा।
राहुल गांधी के चार बड़े मुद्दे
राहुल गांधी ने जो चार मुद्दे खुलकर उठाए वे इस देश को बेचैन करने वाले रहे क्योंकि वे लोगों से सरोकार रखते थे।
पहला मुद्दा जाति जनगणना का था। दूसरा मुद्दा कॉर्पोरेट की लूट और देश की इकॉनमी का था कि भारत की जीडीपी का बड़ा हिस्सा कॉर्पोरेट के हाथ में क्यों चला गया। तीसरा मुद्दा प्राइवेटाइजेशन और मोनेटाइजेशन का था कि कैसे सार्वजनिक उपक्रम बेचे जा रहे हैं। चौथा मुद्दा बेरोजगारी और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के ठप होने का था।
दो भारत की तस्वीर
अंबानी परिवार की शादी में करोड़ों की घड़ियां बांटी गईं जबकि देश के लोगों के लिए 5 किलो मुफ्त अनाज पर जीवन चलता रहा। यह दो भारत की तस्वीर है जहां एक तरफ अरबपति हैं और दूसरी तरफ दो जून की रोटी के लिए जूझती जनता।
हर राज्य कर्ज में डूबा हुआ है। औसतन लगभग 5 लाख करोड़ का कर्ज है। यह स्थिति गैर-बीजेपी शासित राज्यों की है। बीजेपी शासित राज्यों का आंकड़ा सरकार बताती नहीं है।
भारत की राजनीति दोराहे पर
भारत की राजनीति इस समय दोराहे पर खड़ी है। एक तरफ प्रधानमंत्री मोदी का पूरा नेक्सस है जिसमें विपक्ष को हथियाने या अपनी उंगलियों पर नचाने की रणनीति है। दूसरी तरफ राहुल गांधी खड़े हैं जो इस राजनीति का पुरजोर विरोध करते हुए खुल्लमखुल्ला कह रहे हैं कि आप मुझे नहीं खरीद सकते।
जनता को तय करना होगा कि इस देश की राजनीति दंडवत हो चुकी है या लोगों से कोई सरोकार नहीं रखती। सत्ता और विपक्ष दोनों में कितना करप्शन है यह समझना भी जनता को ही होगा।
मुख्य बातें (Key Points)
- सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पर अपने ही फैसले पर रोक लगाई और उन्नाव दोषी की हाई कोर्ट द्वारा दी गई जमानत भी रद्द की
- शरद पवार और अडानी परिवार के 30 साल पुराने संबंध सामने आए जबकि राहुल गांधी ने दो मौकों पर अडानी से मिलने से साफ इनकार किया
- पार्थ पवार पर 10,800 करोड़ के जमीन घोटाले का आरोप है और उसी जगह अडानी-पवार परिवार एक साथ नजर आए
- राहुल गांधी का कॉर्पोरेट विरोधी रुख विपक्ष के बाकी नेताओं से अलग है जो अंबानी-अडानी के साथ तस्वीरों में नजर आते रहते हैं
- भारत में 1% लोगों के पास 47% संपत्ति है जिसमें अंबानी-अडानी की हिस्सेदारी 20-25% है






