नई दिल्ली , 9 अप्रैल (The News Air) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भ्रष्टाचार से निपटने में ढुलमुल रवैया अपनाने के लिए पिछली सरकारों को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि 2014 में भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के सत्ता में आने के बाद इस मुद्दे से सख्ती से निपटा गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दुर्भाग्य से आजादी के समय भारत को भ्रष्टाचार विरासत में मिला और खेद व्यक्त किया कि इसे हटाने की बजाय, कुछ लोग इस बीमारी का पोषण करते रहे।
उन्होंने एक दशक पहले जब यूपीए सत्ता में थी उस समय व्याप्त घोटालों और सजा के प्रति निडरता की प्रचलित भावना को याद किया।
प्रधानमंत्री ने कहा, इस स्थिति ने तंत्र को नष्ट कर दिया और नीतिगत निष्क्रियता के कारण विकास रुक गया।
प्रधानमंत्री ने दोहराया कि 2014 के बाद सरकार की प्राथमिकता तंत्र में विश्वास जगाने की थी। इसके लिए सरकार ने काले धन तथा बेनामी संपत्ति के खिलाफ मिशन मोड में कार्रवाई शुरू कर दी है और भ्रष्टाचारियों के साथ-साथ भ्रष्टाचार के कारणों को भी नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है।
हालांकि, विपक्ष प्रधानमंत्री से असहमत है। पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल कहते हैं कि यूपीए शासन के दौरान सजा दर अधिक थी। सिब्बल ने मौजूदा सरकार के कार्यकाल में सजा की दर पर भी सवाल उठाया जो 2016 में केवल 71 थी।
सिब्बल ने एक ट्वीट में लिखा था, प्रधानमंत्री ने सीबीआई से कहा: भ्रष्टाचारियों को न बख्शें। मार्च 2016 में जितेंद्र सिंह ने संसद को बताया – 2013: 1,136 व्यक्तियों को भ्रष्टाचार के लिए दोषी ठहराया गया, 2014: 993, 2015: 878, 2016: 71 व्यक्ति। यूपीए के कार्यकाल में भ्रष्टाचारियों को अधिक सजा मिली थी! इंसान झूठ बोल सकता है लेकिन तथ्य झूठ नहीं बोलते। भ्रष्टाचारियों को कौन बचा रहा है?
इस मुद्दे पर विपक्ष का अविश्वास इस कदर है कि 14 राजनीतिक दल राजनीतिक मामलों में दिशानिर्देश की याचना लेकर सर्वोच्च न्यायालय गए। लेकिन शीर्ष अदालत ने यह कहते हुए उसे खारिज कर दिया कि राजनेताओं के लिए अलग नियम नहीं हो सकते।
विपक्ष सीबीआई पर सवाल उठा रहा है। राजद सांसद मनोज कुमार झा ने कहा कि केंद्रीय एजेंसियां भाजपा की पटकथा पर काम कर रही हैं।
झा ने कहा, सीबीआई और ईडी भाजपा द्वारा दी गई पटकथा पर काम कर रहे हैं। जब भाजपा सत्ता में नहीं होगी, तो उसके नेताओं के साथ भी ऐसा ही व्यवहार होगा।
उन्होंने कहा, केंद्र सरकार की दबाव की राजनीति (राजद प्रमुख) लालू प्रसाद का कुछ नहीं बिगाड़ सकती। इससे वह पीछे हटने वाले नहीं हैं। राजनीतिक लड़ाई राजनीतिक तरीके से लड़ी जानी चाहिए। उन्हें सीबीआई और ईडी का खेल बंद करना चाहिए।
विपक्ष ने यह भी आरोप लगाया है कि केंद्रीय एजेंसियां गैर-भाजपा दलों के नेताओं के पीछे पड़ी हैं जबकि भाजपा में शामिल होने वाले नेता पाक-साफ हो जाते हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया है कि भाजपा नेता राजस्थान के संजीवनी घोटाले, मध्य प्रदेश में पोषण आहार योजना और छत्तीसगढ़ के एनएएन घोटाले में लिप्त हैं।
प्रधानमंत्री पर विपक्षी नेताओं के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि जहां विपक्ष 95 प्रतिशत नेताओं के पीछे प्रवर्तन निदेशालय को लगा दिया गया है, वहीं भाजपा नेताओं को क्लीन चिट दी जा रही है।