Operation Sindoor को लेकर भारतीय संसद के निचले सदन लोकसभा (Lok Sabha) में सोमवार को जबरदस्त बहस देखने को मिली। इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defence Minister Rajnath Singh) ने स्पष्ट किया कि यह ऑपरेशन किसी बाहरी दबाव में नहीं रोका गया, बल्कि अपने तय सैन्य लक्ष्यों की पूर्ति के बाद इसे स्थगित किया गया। उन्होंने इस कार्रवाई को भारतीय सशस्त्र बलों की तीनों सेवाओं – थल सेना (Army), वायु सेना (Air Force) और नौसेना (Navy) – के अभूतपूर्व तालमेल का नतीजा बताया।
रक्षा मंत्री ने सदन में बताया कि पाकिस्तान (Pakistan) में घुसकर किए गए इस ऑपरेशन का मुख्य उद्देश्य आतंकियों के ठिकानों को नष्ट करना था, न कि युद्ध छेड़ना। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के दौरान 100 से अधिक आतंकियों को मार गिराया गया। यह कार्रवाई केवल 22 मिनट में पूरी की गई, जिसमें सेना ने अपने सभी लक्ष्य पूरी तरह से प्राप्त कर लिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस ऑपरेशन को रोकने का निर्णय भी पूरी तरह रणनीतिक था, किसी दबाव या राजनीतिक हस्तक्षेप का परिणाम नहीं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि ऑपरेशन शुरू करने से पहले हर पहलू पर गंभीर अध्ययन किया गया था और इस बात का पूरा ध्यान रखा गया कि पाकिस्तान के आम नागरिकों को कोई क्षति न पहुंचे। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान द्वारा डीजीएमओ (DGMO) स्तर पर संपर्क और गुहार लगाने के बाद ऑपरेशन को रोका गया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर केवल सैन्य कार्रवाई नहीं थी, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की निर्णायक नीति का हिस्सा था।
रक्षा मंत्री ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि विपक्ष केवल यह पूछता रहा कि हमारे कितने विमान गिरे, लेकिन यह नहीं पूछा कि पाकिस्तान के कितने विमानों को हमारी सेना ने मार गिराया। उन्होंने इसे जनभावनाओं का सही प्रतिनिधित्व न मानते हुए कहा कि असल सवाल यह होना चाहिए कि क्या ऑपरेशन सिंदूर सफल रहा? और इसका उत्तर है – हां।
राजनाथ सिंह ने विपक्ष को जवाब देते हुए कहा कि “परीक्षा में पेंसिल टूटे या पेन, फर्क नहीं पड़ता, असली मायने रिजल्ट का होता है।” उन्होंने कहा कि सेना ने लक्ष्य को पूरी तरह से हासिल किया और ऑपरेशन का परिणाम भारत की सैन्य शक्ति और नीतिगत स्पष्टता का मजबूत उदाहरण है।






