The News Air –Covid-19 के नए वैरिएंट Omicron से पहली मौत ब्रिटेन में सामने आई है। 13 दिसंबर को ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इस नए वैरिएंट से दुनिया में पहली मौत की पुष्टि की। Omicron का दुनिया के और देशों में फैलना जारी है। 24 नवंबर को सबसे पहले साउथ अफ़्रीका में पाया गया यह नया Covid-19 वैरिएंट अब तक भारत समेत 60 से अधिक देशों में फैल चुका है। Omicron को वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) ने भी डेल्टा की तुलना में अधिक फैलने वाला और वैक्सीन के असर को कम करने वाला वैरिएंट क़रार दिया है।
चलिए जानते हैं कि आख़िर कितना ख़तरनाक है Omicron? कितनी तेज़ी से फैलता है, वैक्सीन का इस पर कितना असर, आने वाले महीनों में भारत समेत दुनिया पर पड़ेगा Omicron का क्या असर?
क्या है Omicron वैरिएंट?
Omicron Covid-19 वायरस का नया वैरिएंट है, जो 24 नवंबर को सबसे पहले साउथ अफ़्रीका में मिला था। 26 नवंबर को WHO ने इसे वैरिएंट ऑफ़ कंसर्न घोषित कर दिया। WHO Covid-19 के वैरिएंट्स को ग्रीक अल्फाबेट के अक्षरों पर नाम देता रहा है, जैसे अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा और अब Omicron। दुनिया में Omicron से पहली मौत 13 दिसंबर को ब्रिटेन में हुई।
Omicron में होने वाले बड़ी संख्या में म्यूटेशन इसे तेज़ी से फैलने में सक्षम बनाते हैं, और इसी वजह से दुनिया भर के वैज्ञानिक और विशेषज्ञ इस वैरिएंट को लेकर चिंतित हैं। Omicron में कुल 50 से अधिक म्यूटेशन और इसके स्पाइक प्रोटीन में ही 37 म्यूटेशन हो चुके हैं।
क्या Omicron अन्य वैरिएंट्स से ज़्यादा तेज़ी से फैलता है?
अब तक की स्टडी इस बात के संकेत देती हैं कि Omicron किसी भी अन्य वैरिएंट, यहां तक कि डेल्टा की तुलना में ज़्यादा तेज़ी से फैलता है। अब तक डेल्टा ही सबसे अधिक तेज़ी से फैलने वाला वैरिएंट था। इस बात के संकेत साउथ अफ़्रीका में मिले Omicron के मामलों से भी मिले हैं। साथ ही दुनिया के कुछ अन्य देशों के केस भी Omicron के तेज़ी से फैलने का संकेत देते हैं।
शुरुआती स्टडी के मुताबिक़, Omicron के केस हर दो से तीन दिन में डबल हो रहे हैं-जोकि डेल्टा वैरिएंट (4.6-5.4 दिन) की तुलना में भी कम समय है।
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक़, Omicron के संक्रमण के ख़तरे को लेकर ब्रिटेन के रिसर्चर्स ने Omicron से संक्रमित हो चुके 121 परिवारों पर रिसर्च की। इसमें उन्होंने पाया कि डेल्टा की तुलना में Omicron से परिवार में 3.2 गुना अधिक संक्रमण फैलने का ख़तरा है।
क्या पहले का Covid-19 इंफेक्शन Omicron को रोकता है?
शुरुआती रिपोर्ट्स से ऐसा नहीं लगता है कि अगर किसी को पहले से कोविड हो चुका है तो उसे Omicron नहीं होगा। यानी Omicron से री-इन्फेक्शन का ख़तरा बरक़रार है। साउथ अफ़्रीका के उदाहरण से भी इसे समझा जा सकता है। साउथ अफ़्रीका में पहले से ही अन्य वैरिएंट्स से लोग बड़ी संख्या में कोविड से संक्रमित हो चुके थे, लेकिन इसके बावज़ूद वहाँ कई लोगों में Omicron तेज़ी से फैला है।
NYT की रिपोर्ट के मुताबिक़, ब्रिटिश रिसर्चर्स की भी 10 दिसंबर को प्रकाशित हुई ऐसी ही एक स्टडी में पाया गया कि कई ऐसे लोगों को Omicron हुआ है, जो पहले से ही कोविड के किसी अन्य वैरिएंट से संक्रमित हो चुके हैं। इस रिसर्च के मुताबिक़, किसी अन्य वैरिएंट की तुलना में Omicron से री-इन्फेक्शन का ख़तरा पांच गुना अधिक है।
WHO की चीफ़ साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन भी कह चुकी हैं कि दुनिया को मुश्किल में डाल चुके डेल्टा वैरिएंट की तुलना में Omicron से री-इन्फेक्शन का ख़तरा तीन गुना से ज़्यादा है।
वैक्सीन से मिलेगी Omicron के ख़िलाफ़ कितनी सुरक्षा?
Omicron पर वैक्सीन के असर को लेकर ज़्यादातर स्टडी के अभी शुरुआती नतीजे ही आए हैं। इसके मुताबिक़, मौजूदा Covid-19 वैक्सीन अन्य वैरिएंट के मुक़ाबले Omicron को रोक पाने में कम कारगर रही हैं। ब्रिटिश रिसर्चर्स के मुताबिक़, मौजूदा वैक्सीन के दो डोज़ भी Omicron के ख़िलाफ़ काफ़ी कम सुरक्षा प्रदान करते हैं। हालांकि बूस्टर डोज़ लगवाने वालों में ज़्यादा एंटीबॉडीज़ पैदा हुईं, जिसने Omicron के ख़तरे को वैक्सीन की तुलना में ज़्यादा कम किया।
WHO ने भी 12 दिसंबर को कहा कि Omicron डेल्टा स्ट्रेन की तुलना में अधिक तेज़ी से फैलने में सक्षम है और साथ ही यह वैक्सीन के असर को कम कर देता है।
वैक्सीन के Omicron के ख़िलाफ़ कम असरदार रहने की आशंका के बीच दुनिया भर में इससे निपटने के लिए बूस्टर डोज़ लगवाए जाने की वकालत हो रही है। अमेरिका, ब्रिटेन समेत दुनिया के 30 से अधिक देशों में पहले से ही बूस्टर डोज़ दिए जा रहे हैं। भारत ने 10 दिसंबर को बूस्टर डोज़ को लेकर कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया (SII) के आवेदन को तुरंत स्वीकार करने से मना करते हुए इसके लिए क्लीनिकल ट्रायल डेटा पेश करने को कहा है।
क्या वैक्सीन से घटती है कोविड की गंभीरता?
Omicron भले ही वैक्सीन के असर को कम कर सकता है लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि वैक्सीनेटेड लोगों में इस वैरिएंट की वजह से गंभीर रूप से बीमार होने का ख़तरा कम रहेगा।
दरअसल, वैक्सीन न केवल Covid-19 वायरस के ख़िलाफ़ एंटीबॉडीज़ पैदा करती हैं, बल्कि T सेल के ग्रोथ को भी बढ़ाती हैं, जिससे बीमारी के ख़िलाफ़ लड़ाई में मदद मिलती है।
T सेल यह पहचानना सीखती हैं कि अन्य सेल कब Covid-19 वायरस से संक्रमित होती हैं और ऐसा होने पर वे वायरस को नष्ट कर देती हैं, जिससे संक्रमण धीमा हो जाता है। Omicron म्यूटेशन की वजह से भले ही वैक्सीन से बनने वाली एंटीबॉडीज़ से बच निकले, लेकिन उसके T सेल कोशिकाओं से बचने की संभावना काफ़ी कम है।
ऐसे में जिन लोगों को वैक्सीन की दोनो डोज़ लगी हैं या जो बूस्टर डोज़ भी ले रहे हैं, उनके Omicron से गंभीर रूप से बीमार पड़ने का ख़तरा कम होगा।
क्या Omicron का इलाज है?
वैसे Omicron के इलाज के लिए दवाओं की रिसर्च जारी है, लेकिन ब्रिटिश कंपनी ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन (GSK) ने हाल ही में कहा है कि उसकी मोनोक्लोनल एंटीबॉडी ड्रग सोट्रोविमाब (sotrovimab) Omicron स्पाइक प्रोटीन के सभी 37 म्यूटेशन के ख़िलाफ़ कारगर रही है।
मर्क, फाइजर और अन्य कंपनियां कोविड के ख़िलाफ़ एंटीवायरल दवाइयां विकसित कर रही हैं, हालांकि उन्होंने अभी तक ओमिक्रोन के ख़िलाफ़ इन दवाइयों का टेस्ट नहीं किया है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि इनमें से कोई Omicron के ख़िलाफ़ भी असरदार हो सकती है।
Omicron से आने वाले महीनों में दुनिया पर पड़ेगा क्या असर?
Omicron के आने वाले महीनों में दुनिया पर असर को लेकर रिसर्च जारी है। इन रिसर्च के मुताबिक़, इस साल के अंत में या 2022 की शुरुआत में Omicron के दुनिया के कई देशों में प्रभावी Covid-19 वैरिएंट बन जाने की आशंका है। यहां तक कि अगर Omicron से माइल्ड या हल्की बीमारी ही होती है तब भी बड़ी संख्या में हॉस्पिटलाइजेशन का ख़तरा हो सकता है। लेकिन अगर Omicron से पिछले वैरिएंट की तुलना में अधिक मामले फैले तो, तो गंभीर रूप से बीमार मरीज़ों की संख्या बढ़ सकती है।
भारत के लिए कितना ख़तरनाक है Omicron?
Omicron के अब तक के सबसे संक्रामक वैरिएंट होने की आशंका ने भारत जैसे देशों के लिए ख़तरा बढ़ा दिया है। Omicron को लेकर हाल ही में IIT कानपुर के विशेषज्ञों ने अपनी रिसर्च में आशंका जताई थी कि इस नए वैरिएंट से देश में तीसरी लहर आने का ख़तरा है, जो जनवरी 2022 तक आ सकती है। वहीं डेढ़ लाख डेली कोविड केसेज के साथ तीसरी लहर का पीक फरवरी में आने की आशंका है। अप्रैल 2021 में डेल्टा की वजह से आई दूसरी लहर के दौरान भारत में डेली केसेज की संख्या 4 लाख को पार कर गई थी।
सरकार ने हालांकि बूस्टर डोज़ पर और रिसर्च की बात कहते हुए फ़िलहाल इसे टाल दिया है। लेकिन भारत में आधी से भी कम आबादी के फुली वैक्सीनेटेड होने ने भी Omicron फैलने की सूरत में स्थिति बिगड़ने का ख़तरा बढ़ा दिया है। भारत में क़रीब 60 फ़ीसदी आबादी को वैक्सीन की कम से कम एक डोज़ और 40 फ़ीसदी से कम आबादी को ही दोनों डोज़ लगी हैं।