Uttar Pradesh Gharauni Law Benefits : “भारत की आत्मा गांवों में बसती है, लेकिन आजादी के 75 साल बाद भी करोड़ों ग्रामीणों के पास अपने ही पक्के घर का कोई कानूनी कागज नहीं था।” इसी सबसे बड़ी समस्या को खत्म करने के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार ने विधानसभा से एक ऐतिहासिक कानून पास कराया है—Uttar Pradesh Rural Population Records Bill 2025। यह कानून सिर्फ एक दस्तावेज नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए गेम चेंजर साबित होने वाला है।
घरौनी अब ‘खतौनी’ की तरह कानूनी दस्तावेज
योगी सरकार ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र 2025 में इस विधेयक को पेश किया और इसे मंजूरी दिला दी। अब तक ‘स्वामित्व योजना’ के तहत ड्रोन सर्वे से जो घरौनी (Gharauni) दी जा रही थी, वह केवल एक प्रशासनिक दस्तावेज था। लेकिन इस नए कानून के लागू होते ही घरौनी को ‘खतौनी’ (कृषि भूमि का रिकॉर्ड) की तरह पूरी कानूनी मान्यता (Legal Status) मिल गई है।
इसमें घर के मालिक का नाम, पता, भूखंड का क्षेत्रफल, नक्शा और लोकेशन जैसी पूरी जानकारी दर्ज होगी। यह दस्तावेज कोर्ट में भी सबूत के तौर पर मान्य होगा।
गांव वालों को मिलेंगे ये 3 बड़े फायदे
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बैंक लोन की सुविधा: अब तक गांव के घरों के कागज न होने की वजह से बैंक लोन नहीं देते थे। अब घरौनी को गिरवी रखकर ग्रामीण आसानी से होम लोन या बिजनेस लोन ले सकेंगे। उन्हें साहूकारों के चंगुल में नहीं फंसना पड़ेगा।
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संपत्ति विवाद खत्म: गांवों में जमीन और घर के कब्जे को लेकर अक्सर झगड़े होते हैं। घरौनी में सब कुछ दर्ज होने से अवैध कब्जों पर रोक लगेगी और विवादों में मजबूत सबूत मिलेगा।
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विरासत और बिक्री आसान: पहले घरौनी में नाम बदलवाने या घर बेचने की कोई तय प्रक्रिया नहीं थी। इस कानून के जरिए अब वरासत (Inheritance), बिक्री (Sale) और नाम सुधार के नियम स्पष्ट कर दिए गए हैं।
1 करोड़ से ज्यादा घरौनी तैयार
सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, इस योजना के तहत उत्तर प्रदेश के 1,10,344 गांवों को शामिल किया गया है। इनमें से 90,573 गांवों में ड्रोन सर्वे पूरा हो चुका है। 9 मई 2025 तक 1 करोड़ 6 लाख से ज्यादा घरौनियां तैयार की जा चुकी हैं, जिनमें से 1 करोड़ 1 लाख दस्तावेज ग्रामीणों को बांटे भी जा चुके हैं। हर जिले में डीएम (District Magistrate) को अभिलेख अधिकारी बनाया जाएगा जो इन रिकॉर्ड्स की जिम्मेदारी संभालेंगे।
विश्लेषण: ‘डेड कैपिटल’ में जान फूंकेगा यह कानून
अर्थशास्त्र की भाषा में कहें तो अब तक गांव के घर ‘डेड कैपिटल’ (Dead Capital) थे, यानी ऐसी संपत्ति जिसका कोई आर्थिक उपयोग नहीं हो पा रहा था। योगी सरकार का यह कानून उस संपत्ति में जान फूंकने का काम करेगा। जब गांव का आदमी अपने घर पर लोन ले सकेगा, तो गांव में पैसा आएगा, छोटे उद्योग लगेंगे और पलायन रुकेगा। यह सिर्फ कागज का टुकड़ा नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत के आर्थिक सशक्तिकरण का सबसे बड़ा हथियार है।
जानें पूरा मामला
केंद्र सरकार की स्वामित्व योजना (Swamitva Scheme) के तहत यूपी में घरों का सर्वे हो रहा था, लेकिन कानूनी ढांचे की कमी थी। अगर किसी को घर बेचना होता या पिता की मृत्यु के बाद बेटे का नाम चढ़ाना होता, तो दिक्कत आती थी। इसी कमी को दूर करने के लिए योगी सरकार ने ‘उत्तर प्रदेश ग्रामीण आबादी अभिलेख विधेयक 2025’ पास किया है, जो अब कानून बन गया है।
मुख्य बातें (Key Points)
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Bill Passed: यूपी विधानसभा ने ‘ग्रामीण आबादी अभिलेख विधेयक 2025’ पास किया।
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Legal Status: अब घरौनी को कोर्ट और बैंकों में वैध दस्तावेज माना जाएगा।
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Loan Access: ग्रामीण अपने घर के कागज पर बैंक से लोन और बीमा ले सकेंगे।
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Process Defined: घर बेचने, खरीदने और वारिस का नाम चढ़ाने की प्रक्रिया तय कर दी गई है।
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Impact: 1.10 लाख से ज्यादा गांवों को सीधा फायदा मिलेगा।






