नई दिल्ली, 5 जुलाई (The News Air)
केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने अपने 2 दिवसीय लद्दाख़ दौरे के दौरान ऐलान किया कि देश भर में दस हज़ार किसान उत्पादक संगठन बनने जा रहे हैं। उन्होंने किसानों से केंद्र से वित्तीय, रसद और व्यापार लाभ प्राप्त करने के लिए ब्लॉक स्तर पर एफपीओ बनाने की अपील की। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे केन्द्र से वित्तीय, लॉजिस्टिक और व्यापार लाभ प्राप्त करने के लिए एफपीओ बनाएं। इस अवसर पर लद्दाख़ के सांसद जमयांग सेरिंग नामग्याल, लद्दाख़ के कृषि सचिव रविंदर कुमार और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसन्धान संस्थान (काजरी) के निदेशक डॉ ओपी यादव भी उपस्थित थे।
कृषि राज्य मंत्री ने लद्दाख़ के किसानों से की बातचीत- कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने लद्दाख़ में कई जगहों का दौरा किया। उन्होंने जंस्कार और लेह में शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके), और काजरी जैसे कृषि अनुसंधान केंद्रों का दौरा किया और लद्दाख़ के प्रगतिशील किसानों के साथ बातचीत भी की। अपने दौरे के दौरान कैलाश चौधरी ने कहा कि एफपीओ किसानों को उनकी आय को दोगुना करने और आसानी से बाज़ार में उनकी उपज के प्रसंस्करण में सहायता करेंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र एफपीओ को वित्तीय, रसद और प्रशासनिक सहायता प्रदान करेगा।
क्या है किसान उत्पादक संगठन- हाल ही में किसानों के कल्याण के उद्देश्य से पीएम किसान एफपीओ योजना शुरु की गई है । किसानों के लिए शुरु की गई इस ख़ास योजना के अंतर्गत न्यूनतम 11 किसानों को संगठित होकर अपनी कृषि कंपनी या संगठन बनाना होगा। केंद्र सरकार की तरफ़ से संगठन के काम को देखने के बाद 15 लाख रु की सहायता दी जाएगी। ये रक़म संगठन को तीन सालों में मिलेगी। बता दें कि अगर संगठन मैदानी क्षेत्र में काम करे तो उससे न्यूनतम 300 किसान जुड़े होने ज़रूरी हैं। वहीं पहाड़ी क्षेत्र में कम से कम 100 किसान जुड़े होने ज़रूरी हैं। नाबार्ड कंसल्टेंसी सर्विसेज़ संगठन का काम देखेगी और उसी आधार पर रेटिंग देगी। इससे अलग भी कुछ शर्तें हैं, जिनका पूरा किया जाना ज़रूरी है।
जितने अधिक किसान, उतना अधिक लाभ- इसी तरह एफपीओ को प्रशासनिक उद्देश्य के लिए तीन साल के लिए अठारह लाख रुपये दिए जाएंगे। एक एफपीओ में अधिकतम 750 किसान सदस्य हो सकते हैं। एफपीओ में जितने अधिक किसान होंगे, उन्हें उतना ही अधिक लाभ मिलेगा। सरकार द्वारा दिए गए इस अनुदान को वापस करने की आवश्यकता नहीं है और किसी भी सामूहिक उत्पादक बुनियादी ढांचे के विकास में उपयोग कर सकते हैं। कैलाश चौधरी ने यह भी घोषणा की कि उनका मंत्रालय लद्दाख़ की 5000 हेक्टेयर कृषि भूमि को जैविक क्षेत्र घोषित करेगा।
केंद्र करेगा लेह में याक क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र की स्थापना- उन्होंने कहा, केंद्र लद्दाख़ के किसानों के लिए तुरंत पीएम फ़सल भीम योजना लागू करेगा। साथ-साथ यह भी घोषणा की कि केंद्र लेह में याक क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र स्थापित करेगा। कृषि राज्य मंत्री ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों की आय को दोगुना करने में मदद करने के इच्छुक हैं।” डायमोनियम फॉस्फेट उर्वरक पर सब्सिडी का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री अंतरराष्ट्रीय उतार-चढ़ाव से पैदा होने वाले बोझ का असर किसानों पर नहीं पड़ने देंगे। उन्होंने कहा, मोदी सरकार ने पीएम किसान सम्मान निधि के तहत कृषि बजट को बढ़ाकर एक लाख 30 हज़ार करोड़ और 70 हज़ार करोड़ सीधे किसानों तक पहुंचाया। उन्होंने कहा कि नए कृषि बिल किसानों के लिए सुरक्षित भी है और फायदेमन्द भी।