The News Air- (नई दिल्ली) पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव(assembly elections in five states) के मद्देनज़र आज चुनाव आयोग(election commission ) की अहम बैठक हुई। इसमें कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा की गई। बैठक में कोरोना को देखते हुए चुनाव आयोग ने 11 फरवरी तक रैलियों पर प्रतिबंध बढ़ाने का फ़ैसला किया है। हालांकि रैलियों में अब 1000 लोग शामिल हो सकेंगे। इससे पहले यह संख्या 500 थी। इसके अलावा इनडोर सभाओं में 500 लोगों के बैठने की अनुमति दी गई है। डोर टू डोर कैंपेन में 20 लोग जा सकेंगे। बता दें कि चुनाव आयोग ने 8 जनवरी को उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, पंजाब और मणिपुर के लिए मतदान कार्यक्रम की घोषणा के साथ ही फिजिकल रैली और रोड शो पर बैन लगा दिया था। चीफ़ इलेक्शन कमीशन सुशील चंद्रा ने केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव से मुलाक़ात के बाद रैलियों पर बैन के संबंध में फ़ैसला लिया।
इससे पहले 22 जनवरी को हुई थी बैठक
इससे पहले चुनाव आयोग ने 22 जनवरी को इसी संबंध में बैठक की थी, जिसमें पाबंदियों को 31 जनवरी तक बढ़ा दिया गया था। हालांकि जिन विधानसभा क्षेत्रों में दो फेज में वोटिंग होनी है, वहाँ जनसभा में अधिकतम 500 लोगों की अनुमति दे दी थी। वहीं, डोर टू डोर प्रचार-प्रसार की भी छूट दी थी।
तीसरी लहर के बीच जारी है चुनावी हलचल
इन पांचों राज्यों में कोरोना की तीसरी लहर के बीच चुनावी गतिविधियां जारी हैं। संक्रमण को फैलने से रोकने चुनाव आयोग ने चुनावी रैलियों, जनसभाओं, पदयात्राओं, साइकिल रैली और रोड शो आदि पर पहले 22 जनवरी तक के लिए रोक लगाई थी। बाद में इसे 31 जनवरी तक बढ़ा दिया गया था।
यह है चुनावी शेड्यूल
उत्तर प्रदेश में 10 फरवरी से 7 मार्च तक सात चरणों में वोटिंग कराई जाएगी। उत्तराखंड और गोवा में 14 फरवरी, जबकि पंजाब में 20 फरवरी को एक ही चरण में वोटिंग होगी। मणिपुर में 27 फरवरी और 3 मार्च को वोटिंग होगी। चुनावी नतीजे 10 मार्च को आएंगे।
पहले 15 जनवरी तक लगाई थी रोक
चुनाव आयोग ने 8 जनवरी को सभी राज्यों में चुनाव का ऐलान किया था। इसके साथ ही कोरोना संक्रमण को देखते हुए 15 जनवरी तक सभी तरह की चुनावी रैलियों आदि पर रोक लगा दी थी, जिसे बढ़ाकर 22 जनवरी तक कर दिया गया था। चुनाव आयोग ने सभी पार्टियों से डिजिटल माध्यम से प्रचार करने को कहा था। हालांकि चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को अधिकतम 300 व्यक्तियों की भागीदारी या हॉल क्षमता के 50 प्रतिशत या राज्य आपदा प्रबंधन अधिकारियों की ओर से निर्धारित सीमा के तहत बंद स्थानों पर बैठकें आयोजित करने की छूट दी हुई है।