BIS New Standard IS 19445:2025 – देश की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में भारत सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। अब तक देश में बम डिस्पोजल (Bomb Disposal) के लिए इस्तेमाल होने वाले उपकरणों की गुणवत्ता को लेकर कोई एक समान नियम नहीं था, लेकिन अब यह तस्वीर बदलने वाली है। भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने पहली बार बम निरोधक प्रणालियों के लिए एक आधिकारिक मानक IS 19445:2025 लागू कर दिया है। यह नया मानक न केवल हमारे जांबाज बम निरोधक दस्तों की जान की रक्षा करेगा, बल्कि आम नागरिकों को भी आतंकी हमलों और आईईडी (IED) धमाकों से सुरक्षित रखने में निर्णायक भूमिका निभाएगा।
क्यों पड़ी नए मानक की जरूरत?
आज के दौर में रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट और भीड़भाड़ वाले बाजार अक्सर आतंकियों और शरारती तत्वों के निशाने पर रहते हैं। जब कोई लावारिस बैग मिलता है, तो बम निरोधक दस्ता अपनी जान हथेली पर रखकर उसे निष्क्रिय करता है। अभी तक अलग-अलग एजेंसियां अपनी समझ से उपकरण खरीदती थीं, जिनमें एकरूपता और गुणवत्ता की गारंटी नहीं होती थी। उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे के अनुसार, यह नया मानक बम ब्लैंकेट और बास्केट जैसे उपकरणों की गुणवत्ता, परीक्षण और क्षमता को वैज्ञानिक तरीके से परखने के लिए बनाया गया है।
क्या खास है IS 19445:2025 में?
यह मानक डीआरडीओ (DRDO), पुलिस और अर्धसैनिक बलों के विशेषज्ञों के अनुभव के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें तीन प्रमुख उपकरणों पर फोकस किया गया है:
-
बम ब्लैंकेट (Bomb Blanket): अब यह सिर्फ एक मोटी चादर नहीं होगी, बल्कि ऐसी उन्नत सामग्री से बनेगी जो विस्फोट की ऊर्जा को सोख सके और घातक छर्रों (Splinters) को बाहर उड़ने से रोक सके।
-
बम बास्केट (Bomb Basket): इसका डिजाइन ऐसा होगा कि धमाके की ऊर्जा चारों ओर फैलने के बजाय ऊपर की तरफ जाए, जिससे आसपास खड़े लोगों को नुकसान न हो।
-
बम इनहिबिटर (Bomb Inhibitor): यह विस्फोट की तीव्रता को कम करने में मदद करेगा।
छर्रों से होने वाली मौतों पर लगेगा ब्रेक
आंकड़े बताते हैं कि बम धमाकों में सबसे ज्यादा मौतें और घायल होने की घटनाएं विस्फोट से निकलने वाले तेज रफ्तार छर्रों के कारण होती हैं। नए मानक में इस बात का खास परीक्षण होगा कि उपकरण छर्रों को कितनी दूर तक जाने से रोक सकता है। इससे पुलिस को यह तय करने में आसानी होगी कि घटना स्थल से लोगों को कितनी दूर हटाना है (Safety Distance)।
विश्लेषण: ‘मेक इन इंडिया’ और सुरक्षा का संगम (Expert Analysis)
यह मानक केवल एक तकनीकी दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह भारत की सुरक्षा तैयारियों में आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। अब तक हम महंगे और विदेशी मानकों पर निर्भर थे, जो कई बार भारतीय परिस्थितियों (जैसे देसी बम या IED) के अनुकूल नहीं होते थे। IS 19445:2025 को भारतीय जरूरतों के हिसाब से बनाया गया है। इससे न केवल सुरक्षा बलों का मनोबल बढ़ेगा, बल्कि देश में ही उच्च गुणवत्ता वाले सुरक्षा उपकरणों के निर्माण को बढ़ावा मिलेगा। यह कदम भविष्य में होने वाले किसी भी संभावित खतरे से निपटने के लिए हमारी तैयारियों को ‘फूलप्रूफ’ बनाता है।
आम आदमी पर असर (Human Impact)
जब आप किसी मॉल या स्टेशन पर जाते हैं और वहां सुरक्षाकर्मी आधुनिक उपकरणों के साथ मुस्तैद दिखते हैं, तो एक सुरक्षा का भाव जागता है। नए मानकों वाले उपकरणों के आने से अगर कभी कोई दुर्भाग्यपूर्ण घटना होती भी है, तो जान-माल का नुकसान कम से कम होगा। यह आम नागरिक के लिए एक अदृश्य सुरक्षा कवच की तरह काम करेगा।
जानें पूरा मामला (Background)
केंद्रीय गृह मंत्रालय और टर्मिनल बैलिस्टिक रिसर्च लैबोरेटरी के अनुरोध पर BIS ने यह मानक तैयार किया है। देश में बढ़ते शहरीकरण और संवेदनशील स्थानों की सुरक्षा को देखते हुए, बम डिस्पोजल स्क्वॉड को आधुनिक और मानकीकृत उपकरणों से लैस करना समय की मांग थी।
मुख्य बातें (Key Points)
-
BIS ने बम निरोधक प्रणाली के लिए IS 19445:2025 मानक जारी किया।
-
इसमें Bomb Blanket, Bomb Basket और इनहिबिटर की गुणवत्ता तय की गई है।
-
नए मानक का उद्देश्य विस्फोट के दौरान Splinters (छर्रों) से होने वाले नुकसान को रोकना है।
-
यह मानक DRDO और सुरक्षा एजेंसियों के सहयोग से भारतीय परिस्थितियों के लिए बना है।
-
इससे बम निरोधक दस्तों और आम जनता की Safety कई गुना बढ़ जाएगी।
FAQ – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न






