The News Air – पंजाब विधानसभा चुनावों की घोषणा से ठीक पहले CM चरणजीत सिंह चन्नी ने सूबे के नए पुलिस महानिदेशक (DGP) के नाम पर मुहर लगा दी है। 1987 बैच के IPS अफ़सर वीके भवरा पंजाब में नए DGP का पदभार संभालेंगे।
मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने शनिवार को चुनाव आचार संहिता लागू होने से चंद घंटे पहले नए डीजीपी के नाम पर मुहर लगाई। भवरा 2019 में भी बतौर एडीजीपी पंजाब में चुनाव करवा चुके हैं। उनकी अगुवाई में ही पंजाब पुलिस अगले विधानसभा चुनावों में सुरक्षा व्यवस्थाएं संभालेंगी।
गौरतलब है कि संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने 4 जनवरी को पंजाब में स्थायी DGP लगाने के लिए तीन अफ़सरों के नाम का पैनल भेजा था। सूत्रों की मानें तो पैनल को लेकर वीरवार और शुक्रवार के बीच की रात 1 बजे तक मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा, मुख्य सचिव अनिरुद्ध तिवारी और गृह विभाग के एडिशनल चीफ़ सेक्रेटरी अनुराग वर्मा समेत अन्य के बीच लंबी चर्चा हुई। हालांकि देर रात तक भी फ़ैसला न हो पाने के कारण फाइल पर मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर की औपचारिकता पूरी नहीं हो पाई थी। अब मुख्यमंत्री चन्नी ने वीके भवरा के नाम पर मुहर लगा दी है।
दो IPS जाएंगे केंद्रीय डेपुटेशन पर
UPSC के पैनल में 1987 बैच के दिनकर गुप्ता और वीके भवरा के साथ 1988 बैच के प्रबोध कुमार शामिल थे। दिनकर गुप्ता गृह विभाग को पहले ही लिखकर दे चुके हैं कि वह DGP बनने के इच्छुक नहीं हैं, इसलिए वीके भवरा पहले से ही रेस में सबसे आगे थे। प्रबोध कुमार बेअदबी कांड की जांच में शामिल होने और इस पर कोई कार्रवाई न कर पाने को लेकर सरकार की पसंदीदा अफ़सरों की सूची से पहले ही बाहर थे। दिनकर गुप्ता की तरह प्रबोध कुमार ने भी अपना केंद्रीय डेपुटेशन पर जाने की इच्छा व्यक्त की थी। ऐसे में भवरा ही अकेले दावेदार बचे थे।
तारीख़ को लेकर फंसा था पेंच
दरअसल, कैप्टन अमरिंदर सिंह को CM की कुर्सी से हटाने के बाद चरणजीत चन्नी नए मुख्यमंत्री बने। हालांकि उन्होंने तुरंत DGP दिनकर गुप्ता को नहीं हटाया। इसके बगैर ही 30 सितंबर को पंजाब की चन्नी सरकार ने UPSC को 10 अफ़सरों की लिस्ट भेज दी। हालांकि तब दिनकर गुप्ता छुट्टी पर थे। उन्हें सरकार ने 5 अक्टूबर को हटाया। यहीं पर पेंच फंसा था क्योंकि UPSC का कहना है कि जब से दिनकर गुप्ता को हटाया गया, तब से ही डीजीपी पद ख़ाली माना जाएगा। उसी हिसाब से पैनल भेजा जाएगा। वहीं सरकार 30 सितंबर से इसका आकलन करने को कह रही थी। हालांकि UPSC ने उसे नहीं माना। 5 अक्टूबर से नाम भेजे जाने की वजह से चट्टोपाध्याय 6 महीने का कार्यकाल बाक़ी रहने की शर्त को पूरा नहीं कर पाए। वह 31 मार्च 2022 को सेवामुक्त हो रहे हैं।