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अब खाली पेट नहीं पढ़ेंगे बच्चे, सरकार ला रही School Breakfast Scheme

मिड-डे मील के बाद अब 'ब्रेकफास्ट' की तैयारी, केंद्र सरकार ने राज्यों को भेजा गुजरात और कर्नाटक मॉडल का प्रस्ताव

The News Air by The News Air
शुक्रवार, 26 दिसम्बर 2025
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School Breakfast Scheme
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School Breakfast Scheme India – देश के करोड़ों स्कूली बच्चों के लिए एक बेहद अच्छी खबर है। अब उन्हें स्कूल में केवल दोपहर का खाना (मिड-डे मील) ही नहीं, बल्कि सुबह का पौष्टिक नाश्ता भी मिलेगा। केंद्र सरकार ने बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य और पढ़ाई में एकाग्रता बढ़ाने के लिए यह बड़ा कदम उठाने की तैयारी की है। गुजरात और कर्नाटक में इस मॉडल की सफलता को देखते हुए, केंद्र ने अन्य राज्यों से भी इसे लागू करने के लिए ठोस प्लान (Plan) तैयार करने को कहा है। अगर सब कुछ योजना के मुताबिक हुआ, तो जल्द ही देश भर के सरकारी स्कूलों में सुबह की शुरुआत दूध, अंडे और मोटे अनाज के नाश्ते के साथ होगी।

खाली पेट स्कूल नहीं पढ़ेंगे बच्चे

नई पहल के तहत केंद्र सरकार का फोकस अब सिर्फ भूख मिटाने पर नहीं, बल्कि ‘पोषण’ (Nutrition) पर है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) में हुए कई शोधों में यह बात सामने आई है कि देश के कई हिस्सों में बच्चे सुबह बिना कुछ खाए स्कूल पहुंचते हैं। खाली पेट होने के कारण उनकी ऊर्जा कम रहती है, जिसका सीधा असर उनकी पढ़ाई पर पड़ता है। शोध बताते हैं कि अगर बच्चों को सुबह पौष्टिक नाश्ता मिले, तो वे शुरुआती घंटों में ज्यादा एकाग्रता के साथ पढ़ाई कर पाते हैं।

गणित और विज्ञान समझना होगा आसान

आपको जानकर हैरानी होगी कि सुबह का नाश्ता बच्चों की सीखने की क्षमता को सीधे तौर पर प्रभावित करता है। एनईपी (NEP) की रिपोर्ट के मुताबिक, पौष्टिक नाश्ता मिलने से बच्चों की कठिन विषयों, खास तौर पर गणित (Maths) और विज्ञान (Science), को समझने की क्षमता बेहतर होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए सिफारिश की गई थी कि मिड-डे मील के साथ-साथ सुबह का नाश्ता भी स्कूल व्यवस्था का हिस्सा होना चाहिए।

क्या मिलेगा नाश्ते में? (गुजरात और कर्नाटक मॉडल)

केंद्र सरकार ने राज्यों के सामने गुजरात और कर्नाटक का उदाहरण रखा है, जहाँ यह योजना पहले से सफल है:

  • गुजरात मॉडल: यहाँ ‘सीएम पौष्टिक अल्पाहार योजना’ के तहत बच्चों को दूध और बाजरा जैसे मोटे अनाज (Millets) से बने खाद्य पदार्थ दिए जाते हैं। लक्ष्य बच्चों को रोज औसतन 200 किलो कैलोरी और 6 ग्राम प्रोटीन देना है।

  • कर्नाटक मॉडल: यहाँ बच्चों को नाश्ते में रागी, हेल्थ मिक्स और दूध दिया जाता है। इसके अलावा, हफ्ते में 4 से 5 दिन अंडे और केले भी दिए जाते हैं।

यह काम सामाजिक संगठनों और फाउंडेशनों (जैसे अजीम प्रेमजी फाउंडेशन और श्री सत्यसाई अन्नपूर्णा ट्रस्ट) के सहयोग से पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल पर किया जा रहा है।

केंद्र सरकार करेगी पूरी मदद

पीएम पोषण योजना (PM Poshan Yojana) से जुड़ी बैठकों में राज्यों को निर्देश दिया गया है कि वे अपनी जरूरतों और संसाधनों के हिसाब से संभावनाएं तलाशें। केंद्र सरकार ने भरोसा दिया है कि अगर राज्यों को तकनीकी या वित्तीय मदद की जरूरत पड़ी, तो केंद्र उसका समाधान करेगा। मौजूदा समय में देश में करीब 25 करोड़ स्कूली बच्चे हैं जो मिड-डे मील का लाभ उठाते हैं। अगर नाश्ता भी इस ढांचे में जुड़ता है, तो यह बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने और ड्रॉप-आउट दर (Drop-out Rate) कम करने में भी मददगार साबित होगा।

विश्लेषण: भविष्य की नींव मजबूत करने वाली पहल (Expert Analysis)

बच्चों को स्कूल में नाश्ता देने का फैसला केवल एक कल्याणकारी योजना नहीं, बल्कि भारत के भविष्य (‘Human Capital’) में एक बड़ा निवेश है। कई बार ‘लर्निंग पॉवर्टी’ (सीखने की कमी) का कारण किताबों की कमी नहीं, बल्कि पेट की भूख होती है। जब एक बच्चा भूखा होता है, तो उसका दिमाग विकसित नहीं हो पाता। गुजरात और कर्नाटक का मॉडल यह साबित करता है कि जब सरकार और समाज (NGOs) मिल जाते हैं, तो संसाधनों की कमी आड़े नहीं आती। यह योजना न केवल कुपोषण से लड़ने का हथियार है, बल्कि यह सुनिश्चित करेगी कि स्कूल आने वाला हर बच्चा केवल उपस्थित न हो, बल्कि मानसिक रूप से भी क्लास में मौजूद रहे।

जानें पूरा मामला (Background)

भारत में दशकों से ‘मिड-डे मील’ योजना चल रही है, जिसके तहत सरकारी स्कूलों में बच्चों को दोपहर का भोजन दिया जाता है। लेकिन नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) में यह सिफारिश की गई थी कि बच्चों के समग्र विकास के लिए सुबह का नाश्ता भी जरूरी है। इसी सिफारिश के आधार पर कुछ राज्यों ने पहल की, जिसके सकारात्मक परिणाम (Result) अब राष्ट्रीय स्तर पर इस योजना को विस्तार देने का आधार बन रहे हैं।

मुख्य बातें (Key Points)
  • Centre Govt ने राज्यों से स्कूलों में सुबह का नाश्ता शुरू करने का प्लान मांगा है।

  • यह पहल Gujarat और Karnataka के सफल मॉडल पर आधारित है।

  • नई शिक्षा नीति (NEP) के अनुसार, नाश्ता मिलने से बच्चों का Focus और पढ़ाई बेहतर होती है।

  • गुजरात में दूध-बाजरा और कर्नाटक में रागी-अंडे-केले देने का प्रावधान है।

  • योजना को लागू करने के लिए एनजीओ (NGOs) और सामाजिक संगठनों की मदद ली जा रही है।

FAQ – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q1. क्या अब सभी सरकारी स्कूलों में बच्चों को सुबह का नाश्ता मिलेगा?

Ans: केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को इसके लिए प्रस्ताव तैयार करने को कहा है। फिलहाल यह गुजरात और कर्नाटक जैसे कुछ राज्यों में चल रहा है, लेकिन जल्द ही अन्य राज्यों में भी इसे लागू किए जाने की संभावना है।

Q2. स्कूल में नाश्ते के मेनू (Menu) में क्या-क्या शामिल होगा?

Ans: राज्यों के हिसाब से मेनू अलग हो सकता है। जैसे कर्नाटक में रागी, दूध, अंडे और केले दिए जाते हैं, जबकि गुजरात में दूध और मोटे अनाज (बाजरा) पर जोर है। मूल उद्देश्य प्रोटीन और कैलोरी देना है।

Q3. यह योजना मिड-डे मील से कैसे अलग है?

Ans: मिड-डे मील में बच्चों को दोपहर का भोजन (Lunch) दिया जाता है, जबकि इस नई योजना में स्कूल शुरू होने से पहले सुबह का नाश्ता (Breakfast) दिया जाएगा। यानी बच्चों को अब दो बार भोजन मिलेगा।

Q4. क्या इस योजना के लिए अभिभावकों को कोई पैसा देना होगा?

Ans: नहीं, यह पूरी तरह से सरकारी सहायता प्राप्त योजना होगी। इसमें केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर खर्च उठाएंगी और सामाजिक संगठनों की मदद ली जाएगी।

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Q5. इस योजना का मुख्य उद्देश्य क्या है?

Ans: इसका मुख्य उद्देश्य बच्चों में कुपोषण दूर करना, स्कूल में उनकी उपस्थिति बढ़ाना और खाली पेट रहने के कारण पढ़ाई में आने वाली बाधा को दूर करना है ताकि वे गणित और विज्ञान जैसे विषय बेहतर समझ सकें।

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