The News Air-पंजाब में वादे के अनुसार तीन सौ यूनिट तक बिजली मुफ़्त देने को लेकर दिल्ली में हुई पंजाब के उच्चाधिकारियों की बैठक का मामला शांत होता नहीं दिख रहा है। कांग्रेस के बाद अब भारतीय जनता पार्टी ने भी मुख्यमंत्री भगवंत मान और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है। भाजपा इस मुद्दे को लेकर सोशल मीडिया पर सक्रिय हो गई है।
भारतीय जनता पार्टी ने सोशल मीडिया पर पोस्टर वायरल किया है जिसमें सूबे के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान को आम आदमी के सुप्रीमो और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का रिमोट वाला खिलौना क़रार दिया है। पोस्टर में लिखा है कि पंजाब के अधिकारियों की मीटिंग होती है…. मीटिंग पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की जगह अरविंद केजरीवाल लेते हैं मतलब केजरीवाल का सरदार निकला रिमोट वाला खिलौना। भाजपा इस पोस्टर को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर ख़ूब वायरल कर रही है। इसके साथ ही भाजपा के नेता भी देरी से सही पर इस मुद्दे पर सक्रिय हो गए हैं।
तरुण चुघ बोले- केजरी को सुपर सीएम बनने की लालसा
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरूण चुघ ने ट्वीट कर कहा कि केजरीवाल ने जिस तरह पंजाब के वरिष्ठ अधिकारियों को पंजाब के सीएम की ग़ैरमौज़ूदगी में आदेश दिया वह इस बात का सबूत है कि केजरीवाल पंजाब के सीएम को रिमोट से चला रहे हैं। उन्हें पंजाब के सुपर सीएम बनने की लालसा है। यह सब पंजाब की क़ानून व्यवस्था के साथ मज़ाक़ है। यह सब दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि पंजाब की जनता द्वारा दिए समर्थन के साथ विश्वासघात कर रहे हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को उन्होंने रबर स्टैंप मुख्यमंत्री बना रखा है। पंजाब के अधिकारियों को उनका आदेश देना असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक और गैर जिम्मेदाराना कृत्य है। इसके लिए उन्हें माफ़ी मांगनी चाहिए।
कालिया ने राज्यपाल को लिखा पत्र, कहा- संज्ञान लें
पंजाब के पूर्व मंत्री मनोरंजन कालिया ने दिल्ली में पंजाब के अधिकारियों की अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में हुई मीटिंग को लेकर राज्यपाल को एक लंबा चौड़ा ख़त लिख डाला है। उन्होंने अपने ख़त में राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित से आग्रह किया है कि वह इस सारे मामले संज्ञान लें।
उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव, बिजली सचिव और अध्यक्ष पीएसपीसीएल ने संवैधानिक कर्तव्यों का उल्लंघन किया है इसलिए इन पर कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री को कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है कि वह पंजाब के अधिकारियों की मीटिंग ले सके। उन्हें तो पंजाब सरकार के अधिकारियों की चल रही बैठक में बैठने का भी अधिकार नहीं है। कालिया ने लिखा है कि पंजाब के अधिकारियों की किसी भी मुद्दे पर बैठक मुख्यमंत्री या मंत्री ले सकते हैं।
मनोरंजन ने कहा है कि पंजाब के मुख्य सचिव, पीएसपीसीएल के चेयरमैन और बिजली सचिव ने दिल्ली के मुख्यमंत्री के साथ बैठक करके संविधान की उल्लंघना की है। पत्र में लिखा है कि जब भी कोई अधिकारी अपना पद संभालता है तो वह शपथ लेता है कि वह विभाग या सरकार की सीक्रेसी को कायम रखेंगे इसे किसी के साथ भी साझा नहीं करेंगे। सभी अधिकारी अपने कार्यालय के सीक्रेट एक्ट के साथ बंधे हुए हैं।