Nitish Kumar RJD Join Rumors: बिहार (Bihar) की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के प्रवक्ता भाई वीरेंद्र (Bhai Virendra) ने दावा किया है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) जल्द ही आरजेडी में लौट सकते हैं। इससे पहले भी भाई वीरेंद्र इस तरह के दावे कर चुके हैं, लेकिन आरजेडी के वरिष्ठ नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने स्पष्ट कर दिया था कि अब नीतीश कुमार के लिए पार्टी के दरवाजे बंद हैं। वहीं, नीतीश कुमार भी बीजेपी (BJP) के साथ बने रहने की बात कई बार दोहरा चुके हैं।
राजनीति में फिर बढ़ी हलचल, क्या नीतीश कुमार पलटी मारेंगे?
बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव (Assembly Elections 2025) होने वाले हैं, ऐसे में सभी राजनीतिक दलों ने अपनी रणनीति तेज कर दी है। आरजेडी विधायक और प्रवक्ता भाई वीरेंद्र ने पटना (Patna) में पत्रकारों से बातचीत के दौरान चौंकाने वाला बयान दिया। जब उनसे पूछा गया कि नीतीश कुमार दिल्ली के नए मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में क्यों नहीं गए, तो उन्होंने हंसते हुए जवाब दिया, “नीतीश कुमार हमारे साथ आने वाले हैं तो दिल्ली कैसे जाएंगे?”
लालू यादव पहले भी जता चुके हैं संकेत
भाई वीरेंद्र पहले भी कह चुके हैं कि राजनीति में कोई स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता। अगर नीतीश कुमार आरजेडी में आना चाहते हैं, तो उनका स्वागत किया जाएगा। खुद लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) ने जनवरी में बयान दिया था कि अगर नीतीश बीजेपी को छोड़कर आते हैं, तो वे उन्हें साथ लेकर काम करेंगे। हालांकि, जब सीतामढ़ी (Sitamarhi) में एक कार्यक्रम के दौरान तेजस्वी यादव से इस मुद्दे पर सवाल किया गया, तो उन्होंने साफ कह दिया कि पार्टी के फैसले वही लेंगे, कोई और नहीं।
दिल्ली शपथ ग्रहण समारोह में नहीं गए नीतीश, क्या संकेत दे रहे हैं?
गुरुवार को दिल्ली के नए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता (Rekha Gupta) ने नौवें सीएम के रूप में शपथ ली। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) भी शामिल हुए, लेकिन नीतीश कुमार इसमें नहीं पहुंचे। इसके बजाय, वे अपनी प्रगति यात्रा के तहत नालंदा (Nalanda) में मौजूद रहे। हालांकि, जेडीयू (JDU) की ओर से इस समारोह में मंत्री ललन सिंह (Lalan Singh) और राज्यसभा सांसद संजय झा (Sanjay Jha) मौजूद थे।
अब सवाल यह उठता है कि क्या नीतीश कुमार सच में आरजेडी की ओर रुख कर सकते हैं, या यह सिर्फ चुनावी शोर है? बिहार की राजनीति में यह मुद्दा अभी और गरमाने वाला है।