Nitish Kumar Hijab Controversy : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का एक विवादित वीडियो सियासी गलियारों से लेकर अंतरराष्ट्रीय मीडिया तक चर्चा का विषय बना हुआ है। 15 दिसंबर को पटना में एक मुस्लिम महिला आयुष डॉक्टर का हिजाब खींचने की घटना ने तूल पकड़ लिया है। इस मामले में अब विपक्षी नेताओं के साथ-साथ देश के बड़े धर्मगुरुओं ने भी नीतीश कुमार के मानसिक स्वास्थ्य पर सवाल उठाते हुए उन्हें राजनीति से सन्यास लेने की नसीहत दी है।
हिजाब खींचने पर संतों का गुस्सा
इस घटना पर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार कभी एक कुशल प्रशासक थे, लेकिन अब उनकी उम्र हो चुकी है और मानसिक स्थिति पहले जैसी नहीं रही। शंकराचार्य ने सवाल दागा, “अगर पहचान के लिए चेहरा देखना जरूरी था, तो शालीनता से कहा जा सकता था। हाथ पकड़कर बुर्का या हिजाब हटाना कहां तक उचित है?” उन्होंने इसे पूरी तरह अनुचित और असंवेदनशील करार दिया। उन्होंने साफ कहा कि जब मानसिक संतुलन बिगड़ने लगे, तो ऐसे व्यक्ति को विराम लेना चाहिए, वरना इसका खामियाजा पूरे देश को भुगतना पड़ता है।
‘नीतीश को अब युवाओं को मौका देना चाहिए’
प्रसिद्ध कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने भी इस घटना की निंदा की। उन्होंने कहा, “चाहे इरादा जो भी हो, किसी स्त्री का घूंघट या नकाब उठाना कतई स्वीकार्य नहीं है। नीतीश कुमार ने 20 साल राज किया, लेकिन अब उन्हें पद का मोह छोड़कर किसी युवा को मौका देना चाहिए।” उन्होंने कहा कि उस महिला डॉक्टर को कितनी ठेस पहुंची होगी, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि खबरें आ रही हैं कि वह बिहार छोड़ने की बात कर रही हैं।
‘सियासी भूचाल और झारखंड से नौकरी का ऑफर’
इस मामले पर राजनीति भी तेज हो गई है। झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने तो पीड़ित डॉक्टर नुसरत परवीन को झारखंड में सरकारी नौकरी, 1 लाख रुपये सैलरी और फ्लैट देने का खुला ऑफर दे दिया है। उन्होंने नीतीश कुमार के व्यवहार को ‘अपराध’ और ‘नारी का अपमान’ बताया। वहीं, पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव ने बचाव की मुद्रा अपनाते हुए कहा कि नीतीश कुमार का इरादा गलत नहीं था, बल्कि यह एक बुजुर्ग का पिता जैसा व्यवहार था, जिसे गलत तरीके से पेश किया जा रहा है।
‘क्या सच में बिहार छोड़ गई महिला डॉक्टर?’
मीडिया में ऐसी खबरें थीं कि डॉक्टर नुसरत परवीन अपमानित होकर बिहार छोड़कर कोलकाता चली गई हैं। हालांकि, कॉलेज के प्रिंसिपल रहमान ने इन खबरों का खंडन किया है। उन्होंने नुसरत के पति के हवाले से बताया कि परिवार नीतीश कुमार या सरकार से नाराज नहीं है, बल्कि वे मीडिया के अत्यधिक कवरेज से परेशान हैं। नुसरत अभी तक ड्यूटी जॉइन नहीं कर पाई हैं और वे विचार कर रही हैं कि उन्हें नौकरी करनी है या आगे की पढ़ाई।
‘संपादकीय विश्लेषण: पद की गरिमा और आचरण की मर्यादा’
नीतीश कुमार देश के सबसे वरिष्ठ राजनेताओं में से एक हैं, लेकिन सार्वजनिक मंच पर किसी महिला के कपड़ों के साथ छेड़छाड़ करना, चाहे इरादा कितना भी पवित्र क्यों न हो, एक गंभीर चूक है। यह घटना सिर्फ एक ‘गलती’ नहीं है, बल्कि यह दर्शाती है कि सार्वजनिक जीवन में बैठे लोगों को अपनी सीमाओं का भान होना कितना जरूरी है। जब सत्ता के शीर्ष पर बैठे व्यक्ति से ऐसी चूक होती है, तो यह न केवल उनकी व्यक्तिगत छवि को धूमिल करती है, बल्कि पूरे प्रशासनिक तंत्र पर सवाल खड़े करती है। धर्मगुरुओं की सलाह को सियासी चश्मे से देखने के बजाय एक चेतावनी के रूप में लिया जाना चाहिए।
‘जानें पूरा मामला’
यह विवाद 15 दिसंबर को पटना में हुआ था, जब आयुष डॉक्टरों के नियुक्ति पत्र वितरण समारोह में सीएम नीतीश कुमार ने मंच पर एक मुस्लिम महिला डॉक्टर के चेहरे से हिजाब हटा दिया था। इसका वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया और मुस्लिम बहुल देशों में तीखी आलोचना हुई। अब यह मामला सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि बिहार की राजनीति का केंद्र बिंदु बन गया है।
‘मुख्य बातें (Key Points)’
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शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने नीतीश कुमार के मानसिक स्वास्थ्य पर सवाल उठाए और सन्यास की सलाह दी।
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देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि किसी महिला का हिजाब या घूंघट हटाना पद की गरिमा के खिलाफ है।
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झारखंड के मंत्री ने पीड़ित डॉक्टर को नौकरी और फ्लैट का ऑफर दिया, पप्पू यादव ने नीतीश का बचाव किया।
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महिला डॉक्टर के परिवार ने नाराजगी की खबरों का खंडन किया, कहा- मीडिया कवरेज से परेशान हैं।






