दरअसल सियासत से हो रहे अपने मोहभंग कि बात पर गडकरी ने कहा है कि, राजनीति से संन्यास लेने का मेरा कोई इरादा नहीं है। मीडिया को रिपोर्टिंग करते वक्त ऐसे मामलों में जिम्मेदार पत्रकारिया को बनाए रखना चाहिए। मैंने लोगों से कहा था कि आपको अगर मेरा काम पसंद आया होगा तो वे उन्हें वोट देंगे। यह बात कही से भी मेरे रिटायरमेंट की प्लानिंग को बिलकुल भी साफ़ नहीं करता है।
गौरतलब है कि, गडकरी के संन्यास लेने की खबर को उस समय बल मिला था जब वह नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा था कि लोग उन्हें तभी वोट दें जब उनको लगता है कि इन्हें वोट देना चाहिए। केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि वो एक सीमा से अधिक किसी को भी जोर-जबरदस्ती संतुष्ट नहीं कर सकते हैं।
क्या था मामला ?
दरअसल केंद्रीय मंत्री ने नागपुर में एक कहा था कि, अगर मेरी जगह कोई और आता है तो मुझे कोई परेशानी नहीं होगी होगी। तब में और काम में ज्यादा समय दे सकूंगा। वह मिट्टी संरक्षण, जलवायु परिवर्तन, बंजर भूमि के उपयोग से संबंधित कार्यों ज्यादा समय देना चाहते हैं। इस क्षेत्र में प्रयोगों की बहुत ज्यादा गुंजाइश है।
जब संसदीय बोर्ड हुए थे बाहर
गौरतलब है कि, नितिन गडकरी की गिनती BJP के ताकतवर नेताओं में होती है। वहीं रोड और ट्रांसपोर्ट के क्षेत्र में किए हुए उनके कामों को लेकर अक्सर उनकी चर्चा भी होती रहती है। वे BJP अध्यक्ष भी रह चुके हैं। बता दें कि, गडकरी और मोदी सरकार के बीच में अनबन की बात सबसे पहले उस समय सामने आई थी जब पिछले साल संसदीय बोर्ड के साथ-साथ केंद्रीय चुनाव समिति से भी उन्हें बाहर कर दिया गया था। हालांकि इसे पार्टी का आम निर्णय बताया गया था।