Punjab Water Dispute : पंजाब (Punjab) और हरियाणा (Haryana) के बीच जल बंटवारे को लेकर विवाद एक बार फिर से गहराता जा रहा है। केंद्र सरकार द्वारा हरियाणा को 8500 क्यूसिक अतिरिक्त पानी देने के निर्देश के बाद यह मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। इस बीच, पंजाब सरकार ने शनिवार को बीबीएमबी (BBMB – Bhakra Beas Management Board) की दिल्ली (Delhi) स्थित मुख्यालय में शाम 5 बजे होने वाली अहम बैठक में शामिल होने से साफ इंकार कर दिया।
पंजाब सरकार का कहना है कि यह बैठक पूरी तरह से असंवैधानिक (Unconstitutional) है और राज्य की विधानसभा को दरकिनार कर ऐसे किसी भी फैसले पर आगे बढ़ना जल्दबाज़ी होगा। पंजाब ने बीबीएमबी (BBMB) को पत्र भेज कर बैठक को स्थगित करने का अनुरोध किया है। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया है कि इस विषय पर निर्णय अब 5 मई को होने वाले विशेष सत्र में लिया जाएगा।
राज्य मशीनरी सत्र की तैयारी में व्यस्त
पंजाब सरकार का कहना है कि 5 मई को बुलाए गए विशेष विधानसभा सत्र की तैयारी में पूरा राज्य प्रशासन व्यस्त है। ऐसे में बीबीएमबी की बैठक में भाग लेना संभव नहीं है। सरकार के अनुसार, बिना विधानसभा की मंजूरी के कोई भी निर्णय पंजाब के हितों के खिलाफ हो सकता है।
जल विवाद की पृष्ठभूमि
हरियाणा (Haryana) लंबे समय से अतिरिक्त जल की मांग करता आ रहा है, जबकि पंजाब (Punjab) का कहना है कि उसके पास खुद जल संसाधनों की भारी कमी है। सतलुज-यमुना लिंक (SYL – Sutlej-Yamuna Link) से जुड़ा जल विवाद पहले ही न्यायिक प्रक्रिया में है। ऐसे में बीबीएमबी द्वारा हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने का निर्णय पंजाब के किसानों और पीने के पानी की आपूर्ति पर गहरा असर डाल सकता है।
राजनीतिक हलचल तेज़
इस घटनाक्रम ने दोनों राज्यों के बीच चल रहे लंबे जल विवाद को फिर से गरमा दिया है। आम आदमी पार्टी (AAP) की पंजाब सरकार इसे राज्य के हितों से जुड़ा मामला बता रही है, वहीं हरियाणा सरकार इसे केंद्र की सिफारिशों के अनुसार उचित कदम कह रही है।
अब सभी की निगाहें 5 मई को पंजाब विधानसभा में होने वाले विशेष सत्र पर टिकी हैं, जहां तय होगा कि पंजाब सरकार इस जल विवाद पर क्या रुख अपनाती है। यह सत्र राज्य के हितों की रक्षा और सामूहिक निर्णय लेने के दृष्टिकोण से बेहद अहम माना जा रहा है।