CBSE Skill Education: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने स्कूली शिक्षा के ढांचे में एक क्रांतिकारी बदलाव करने का फैसला लिया है। अब सीबीएसई से संबद्ध सभी स्कूलों में कक्षा 6 से 8वीं तक के छात्रों के लिए सिर्फ किताबी पढ़ाई काफी नहीं होगी, बल्कि उन्हें स्किल एजुकेशन (कौशल शिक्षा) पर भी विशेष ध्यान देना होगा।
बोर्ड के इस नए फैसले के मुताबिक, इन कक्षाओं के छात्रों के मूल्यांकन में लिखित परीक्षाओं के साथ-साथ अब व्यावहारिक कार्यों (Practical Work) को भी बराबर का महत्व दिया जाएगा। यह कदम छात्रों को रटने की प्रवृत्ति से बाहर निकालकर उन्हें वास्तविक जीवन के लिए तैयार करने की दिशा में एक बड़ी पहल है।
‘क्या है सीबीएसई का नया स्किल एजुकेशन प्लान?’
सीबीएसई ने कक्षा 6 से 8वीं तक के छात्रों को स्किल एजुकेशन देने के लिए एक विस्तृत खाका तैयार किया है। इस नए पाठ्यक्रम के तहत छात्रों को पारंपरिक विषयों के अलावा कई दिलचस्प और जीवन उपयोगी कौशल सिखाए जाएंगे। इनमें पौधों की देखभाल, जानवरों की देखभाल और टेली-इंजीनियरिंग वर्क जैसे विषय शामिल हैं।
इस फैसले का मुख्य उद्देश्य छात्रों को केवल किताबी ज्ञान तक सीमित न रखकर उन्हें व्यावहारिक ज्ञान से लैस करना है। सीबीएसई चाहता है कि स्कूल छात्रों को एकेडमिक विषयों के साथ-साथ असल जिंदगी के जरूरी काम भी सिखाएं, ताकि वे भविष्य की चुनौतियों के लिए बेहतर तरीके से तैयार हो सकें।
‘साल में एक बार लगेगा स्किल मेला’
छात्रों के कौशल को मंच देने और उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए सीबीएसई ने एक अनोखी पहल की है। इसी कड़ी में अब स्कूलों में साल में एक बार ‘स्किल मेला’ आयोजित किया जाएगा। इस मेले में छात्र अपने बनाए गए स्किल प्रोजेक्ट्स, मॉडल्स और अपने अनुभवों को प्रदर्शित करेंगे। यह मेला छात्रों की रचनात्मकता और नवाचार को सामने लाने का एक बड़ा माध्यम बनेगा।
‘NCERT की नई किताबें होंगी लागू’
नई शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के तहत लिए गए इस फैसले को जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए एनसीईआरटी (NCERT) ने भी कमर कस ली है। स्किल एजुकेशन के लिए एनसीईआरटी द्वारा तैयार की गई विशेष ‘स्किल बोर्ड सीरीज’ की किताबों को स्कूलों में लागू किया जाएगा। अच्छी बात यह है कि ये किताबें प्रिंट और डिजिटल दोनों प्रारूपों में उपलब्ध होंगी, जिससे छात्रों को पढ़ने में आसानी होगी। साथ ही, शिक्षकों को भी इस नए पाठ्यक्रम को पढ़ाने के लिए बकायदा स्किल एजुकेशन की ट्रेनिंग दी जाएगी।
‘हर हफ्ते दो पीरियड, 3 साल में 9 प्रोजेक्ट्स’
इस योजना को सुचारू रूप से चलाने के लिए सीबीएसई ने समय सारिणी भी तय कर दी है। योजना के तहत छात्रों को हर साल 110 घंटे, यानी करीब 160 पीरियड स्किल एजुकेशन दी जाएगी। इसका मतलब है कि हर सप्ताह छात्रों के लिए स्किल एजुकेशन के दो पीरियड निर्धारित होंगे।
सिर्फ पढ़ाई ही नहीं, छात्रों को स्किल एजुकेशन के तहत प्रोजेक्ट्स भी पूरे करने होंगे। कक्षा 6 से 8 तक, यानी तीन साल के दौरान छात्रों को कुल 9 प्रोजेक्ट्स पूरे करने होंगे। इसमें 270 घंटे का प्रैक्टिकल वर्क भी शामिल है, जो छात्रों को ‘हैंड्स-ऑन लर्निंग’ का अनुभव देगा।
‘मूल्यांकन का नया तरीका’
स्किल एजुकेशन के लिए मूल्यांकन की प्रक्रिया भी पारंपरिक परीक्षाओं से अलग होगी। सीबीएसई द्वारा निर्धारित नए नियमों के अनुसार, छात्रों के प्रदर्शन को अलग-अलग पैमानों पर मापा जाएगा:
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एग्जाम और पोर्टफोलियो: 10-10% अंक
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प्रेजेंटेशन या वाइवा: 30% अंक
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एक्टिविटी बुक: 30% अंक
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टीचर ऑब्जरवेशन: 20% अंक
यह नया मूल्यांकन पैटर्न यह सुनिश्चित करेगा कि छात्र केवल परीक्षा पास करने के लिए नहीं, बल्कि सीखने और समझने के लिए पढ़ाई करें। यह बदलाव आम छात्रों के जीवन पर गहरा असर डालेगा क्योंकि अब वे बचपन से ही उन कौशलों को सीखेंगे जो उन्हें आत्मनिर्भर बनने में मदद करेंगे।
जानें पूरा मामला
यह पूरा बदलाव नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के अनुरूप किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य भारतीय शिक्षा प्रणाली को रोजगारपरक और कौशल आधारित बनाना है। सीबीएसई ने इसी नीति को आगे बढ़ाते हुए कक्षा 6 से 8वीं तक के लिए स्किल एजुकेशन को अनिवार्य किया है, ताकि छात्र स्कूल से निकलते ही व्यावहारिक दुनिया के लिए तैयार हो सकें।
मुख्य बातें (Key Points)
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सीबीएसई स्कूलों में कक्षा 6 से 8 तक स्किल एजुकेशन अनिवार्य होगा।
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छात्रों को पौधों और जानवरों की देखभाल जैसे व्यावहारिक कौशल सिखाए जाएंगे।
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मूल्यांकन में प्रैक्टिकल वर्क, वाइवा और प्रोजेक्ट्स को ज्यादा महत्व दिया जाएगा।
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साल में एक बार ‘स्किल मेला’ आयोजित होगा जहां छात्र अपने हुनर का प्रदर्शन करेंगे।
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एनसीईआरटी की नई ‘स्किल बोर्ड सीरीज’ की किताबें पढ़ाई जाएंगी।






