New Labour Codes in India के लागू होने के साथ ही देश में नौकरीपेशा लोगों और उद्योगों के लिए एक नए युग की शुरुआत हो गई है। केंद्र सरकार ने श्रमिकों के हित में बड़ा फैसला लेते हुए 29 पुराने और जटिल श्रम अधिनियमों को खत्म कर दिया है। उनकी जगह अब केवल चार एकीकृत श्रम संहिताएं (Labour Codes) लागू की गई हैं। श्रम एवं सेवायोजन मंत्री अनिल राजभर ने स्पष्ट किया है कि ये नए नियम 21 नवंबर से पूरे देश में प्रभावी हो चुके हैं। इस बदलाव का मकसद न केवल कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा देना है, बल्कि ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ को भी बढ़ावा देना है।
चार नई संहिताओं का राज
सरकार ने जिन चार नई संहिताओं को लागू किया है, उनमें मजदूरी संहिता 2019, सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020, औद्योगिक संबंध संहिता 2020 और उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्यदशा संहिता 2020 शामिल हैं। इस बदलाव के बाद कानूनों का जाल बहुत छोटा हो गया है। पहले जहाँ 1228 धाराएं थीं, उन्हें घटाकर अब सिर्फ 480 कर दिया गया है। इसी तरह, पहले नियमों की संख्या 1436 थी, जिसे घटाकर अब केवल 351 कर दिया गया है।
‘इंस्पेक्टर राज’ का अंत और ऑनलाइन निरीक्षण
व्यापारियों और उद्योगपतियों के लिए यह खबर किसी राहत से कम नहीं है। सरकार ने दशकों पुराने ‘इंस्पेक्टर राज’ को खत्म करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। अब निरीक्षण की व्यवस्था पूरी तरह से ऑनलाइन कर दी गई है। इतना ही नहीं, पहली बार कानून के उल्लंघन की स्थिति में एक बड़ी राहत दी गई है। अगर किसी नियोक्ता से पहली बार गलती होती है, तो वह अधिकतम जुर्माने का 50% भुगतान करके मामले को सुलझा सकता है (उपशमन प्राप्त कर सकता है)। इससे उद्योगों को अनावश्यक कानूनी विवादों में नहीं फंसना पड़ेगा।
वेतन और ओवरटाइम पर खुशखबरी
नए नियमों का सीधा असर आपकी जेब और काम पर पड़ेगा। अब संगठित और असंगठित—दोनों क्षेत्रों में न्यूनतम मजदूरी (Minimum Wage) की व्यवस्था लागू होगी। साथ ही, वेतन भुगतान की एक समय सीमा तय करना अनिवार्य कर दिया गया है, ताकि कर्मचारियों को सैलरी के लिए इंतजार न करना पड़े। कर्मचारियों के लिए एक और अच्छी खबर यह है कि अब ओवरटाइम करने पर दोगुना वेतन मिलेगा। इसके अलावा, सभी कर्मचारियों को ‘पे स्लिप’ (Pay Slip) देना अनिवार्य कर दिया गया है।
हड़ताल और छुट्टी के कड़े नियम
औद्योगिक संबंध संहिता के तहत अनुशासन को लेकर कड़े नियम बनाए गए हैं। अब सामूहिक अवकाश (Mass Leave) को भी ‘हड़ताल’ की परिभाषा में शामिल कर लिया गया है। इसका मतलब है कि कर्मचारी अचानक काम बंद नहीं कर सकते। किसी भी प्रकार की हड़ताल, तालाबंदी या सामूहिक अवकाश पर जाने से पहले 14 दिन का पूर्व नोटिस देना अनिवार्य होगा। बिना नोटिस के की गई हड़ताल अवैध मानी जाएगी। इसके अलावा, 300 से अधिक कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों में छंटनी या कंपनी बंद करने के लिए राज्य सरकार की अनुमति लेना अब जरूरी होगा।
पत्रकारों और गिग वर्कर्स को तोहफा
सरकार ने बदलते दौर के साथ काम करने वाले ‘प्लेटफॉर्म वर्कर्स’ (जैसे डिलीवरी बॉय आदि) को पहली बार वैधानिक रूप से परिभाषित किया है और उन्हें सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाया है। उनके कल्याण के लिए एक अलग कोष (Fund) भी बनाया जाएगा। वहीं, श्रमजीवी पत्रकारों के लिए एक बड़ी राहत दी गई है। अब उनकी ग्रेच्युटी (Gratuity) की पात्रता अवधि 5 वर्ष से घटाकर 3 वर्ष कर दी गई है।
कागजी कार्रवाई का बोझ कम
कंपनियों के लिए अनुपालन (Compliance) को बेहद आसान बना दिया गया है। पहले जहाँ 84 प्रकार के रजिस्टर मेंटेन करने पड़ते थे, अब उनकी जगह मात्र 8 रजिस्टर रखने होंगे। इसी तरह, 31 अलग-अलग रिटर्न दाखिल करने के झंझट को खत्म करके ‘एकल रिटर्न’ (Single Return) की व्यवस्था कर दी गई है। आम नागरिकों को राहत देते हुए निजी आवास निर्माण की सीमा को भी बढ़ाकर 50 लाख रुपये कर दिया गया है।
मुख्य बातें (Key Points)
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पूरे देश में 21 नवंबर से 4 नई श्रम संहिताएं प्रभावी हो चुकी हैं।
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हड़ताल या सामूहिक अवकाश के लिए अब 14 दिन पहले नोटिस देना अनिवार्य है।
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ओवरटाइम करने पर कर्मचारियों को दोगुना वेतन देने का प्रावधान है।
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पत्रकारों के लिए ग्रेच्युटी की समय सीमा 5 साल से घटाकर 3 साल कर दी गई है।






