New Labour Codes Explained: क्या आप भी हफ्ते में 5 या 6 दिन काम करके थक चुके हैं? क्या आप भी चाहते हैं कि वीकेंड पर तीन दिन की लंबी छुट्टी मिले? अगर हां, तो केंद्र सरकार के नए लेबर कोड्स (New Labour Codes) आपके लिए एक बड़ी खुशखबरी लेकर आए हैं। सरकार ने साफ कर दिया है कि नए नियमों के तहत कंपनियां और कर्मचारी चाहें तो ‘4-डे वर्क वीक’ (हफ्ते में 4 दिन काम) का मॉडल अपना सकते हैं।
श्रम और रोजगार मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि यह व्यवस्था अनिवार्य नहीं है, बल्कि एक विकल्प है। इसका मकसद कर्मचारियों को काम और निजी जीवन के बीच संतुलन (Work-Life Balance) बनाने में मदद करना है।
12 घंटे की शिफ्ट का क्या है गणित?
नए नियमों के मुताबिक, अगर आप हफ्ते में 4 दिन काम करना चुनते हैं, तो आपको हर दिन 12 घंटे काम करना होगा। लेकिन घबराइए नहीं, इन 12 घंटों में आपका लंच ब्रेक और रेस्ट टाइम भी शामिल होगा। शर्त यह है कि हफ्ते में कुल काम के घंटे 48 से ज्यादा नहीं होने चाहिए। अगर कोई इससे ज्यादा काम करता है, तो उसे डबल सैलरी के हिसाब से ओवरटाइम मिलेगा।
यह मॉडल उन लोगों के लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है जो अपनी पढ़ाई पूरी करना चाहते हैं, कोई नई स्किल सीखना चाहते हैं या परिवार के साथ लंबा वक्त बिताना पसंद करते हैं। हालांकि, फैक्ट्री और अस्पतालों जैसे 24×7 चलने वाले सेक्टर्स में इसे लागू करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है।
सैलरी और पीएफ पर क्या असर पड़ेगा?
नए वेज कोड (Wage Code) के तहत अब आपकी बेसिक सैलरी (Basic Salary) कुल सीटीसी (CTC) का कम से कम 50% होनी चाहिए। इसका सीधा मतलब है कि अब आपके पीएफ (PF) और ग्रेच्युटी (Gratuity) में ज्यादा पैसा कटेगा।
इससे आपकी ‘टेक होम सैलरी’ (हाथ में आने वाली तनख्वाह) थोड़ी कम हो सकती है, लेकिन रिटायरमेंट फंड और सोशल सिक्योरिटी मजबूत होगी। हालांकि, सरकार ने साफ किया है कि पीएफ की अनिवार्य कटौती अब भी 15,000 रुपये की वेज सीलिंग पर ही होगी, जिससे कम सैलरी वालों पर ज्यादा बोझ नहीं पड़ेगा।
‘राइट टू डिस्कनेक्ट’ बिल: अब बॉस नहीं करेंगे परेशान
क्या आप भी ऑफिस के बाद बॉस के फोन कॉल्स और ईमेल से परेशान हैं? एनसीपी (एसपी) सांसद सुप्रिया सुले ने लोकसभा में ‘राइट टू डिस्कनेक्ट बिल 2025’ पेश किया है। इस बिल का मकसद कर्मचारियों को यह कानूनी अधिकार देना है कि वे ऑफिस टाइम के बाद काम से जुड़े फोन या ईमेल का जवाब देने से मना कर सकें।
हालांकि, यह अभी एक प्राइवेट मेंबर बिल है, लेकिन यह डिजिटल युग में कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक जरूरी कदम माना जा रहा है। अगर यह कानून बनता है, तो डिजिटल थकान से बड़ी राहत मिल सकती है।
आम कर्मचारी पर असर
इन बदलावों का सबसे बड़ा असर यह होगा कि अब ‘गिग वर्कर्स’ (जैसे जोमैटो, स्विगी राइडर्स) को भी कानूनी सुरक्षा मिलेगी। फिक्स्ड टर्म कर्मचारियों को भी परमानेंट स्टाफ जैसी सुविधाएं और एक साल बाद ग्रेच्युटी मिल सकेगी। कुल मिलाकर, सरकार काम के घंटे नहीं बढ़ा रही, बल्कि काम करने के तरीके को लचीला (Flexible) और सुरक्षित बना रही है।
‘जानें पूरा मामला’
केंद्र सरकार ने 29 पुराने श्रम कानूनों को खत्म करके 4 नए लेबर कोड्स बनाए हैं- वेज कोड, सोशल सिक्योरिटी कोड, इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड और ऑक्यूपेशनल सेफ्टी कोड। इन्हें 21 नवंबर 2025 से लागू करने की बात कही जा रही है। इनका उद्देश्य कानूनों को सरल बनाना और कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
‘मुख्य बातें (Key Points)’
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4 दिन काम: हफ्ते में 4 दिन काम और 3 दिन छुट्टी का विकल्प, लेकिन प्रतिदिन 12 घंटे की शिफ्ट होगी।
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सैलरी स्ट्रक्चर: बेसिक सैलरी 50% होने से पीएफ बढ़ेगा, रिटायरमेंट फंड मजबूत होगा।
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राइट टू डिस्कनेक्ट: ऑफिस के बाद काम के कॉल/ईमेल का जवाब न देने का अधिकार (प्रस्तावित)।
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गिग वर्कर्स: पहली बार ऐप-बेस्ड वर्कर्स को कानूनी मान्यता और सोशल सिक्योरिटी मिलेगी।
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ओवरटाइम: तय घंटों से ज्यादा काम करने पर डबल भुगतान अनिवार्य होगा।






