• About
  • Privacy & Policy
  • Contact
  • Disclaimer & DMCA Policy
🔆 शुक्रवार, 5 दिसम्बर 2025 🌙✨
The News Air
No Result
View All Result
  • होम
  • राष्ट्रीय
  • पंजाब
  • राज्य
    • हरियाणा
    • चंडीगढ़
    • हिमाचल प्रदेश
    • नई दिल्ली
    • उत्तर प्रदेश
    • उत्तराखंड
    • पश्चिम बंगाल
    • बिहार
    • मध्य प्रदेश
    • महाराष्ट्र
    • राजस्थान
  • अंतरराष्ट्रीय
  • सियासत
  • नौकरी
  • LIVE
  • बिज़नेस
  • टेक्नोलॉजी
  • मनोरंजन
  • खेल
  • लाइफस्टाइल
    • हेल्थ
    • धर्म
    • वेब स्टोरीज
  • स्पेशल स्टोरी
  • होम
  • राष्ट्रीय
  • पंजाब
  • राज्य
    • हरियाणा
    • चंडीगढ़
    • हिमाचल प्रदेश
    • नई दिल्ली
    • उत्तर प्रदेश
    • उत्तराखंड
    • पश्चिम बंगाल
    • बिहार
    • मध्य प्रदेश
    • महाराष्ट्र
    • राजस्थान
  • अंतरराष्ट्रीय
  • सियासत
  • नौकरी
  • LIVE
  • बिज़नेस
  • टेक्नोलॉजी
  • मनोरंजन
  • खेल
  • लाइफस्टाइल
    • हेल्थ
    • धर्म
    • वेब स्टोरीज
  • स्पेशल स्टोरी
No Result
View All Result
The News Air
No Result
View All Result
Home NEWS-TICKER

New Labour Code: ‘गुलामी का नया दस्तावेज’, क्या आपकी नौकरी और सैलरी खतरे में है?

ट्रेड यूनियंस ने नए लेबर कोड के खिलाफ खोला मोर्चा, हायर एंड फायर और सैलरी घटने के डर पर देशभर में विरोध प्रदर्शन।

The News Air by The News Air
गुरूवार, 27 नवम्बर 2025
A A
0
New Labour Code
107
SHARES
710
VIEWS
ShareShareShareShareShare
पर खबरें पाने के लिए जुड़े Join Now
पर खबरें पाने के लिए जुड़े Join Now

New Labour Code India भारत में नौकरीपेशा लोगों और मजदूरों की जिंदगी से जुड़े नियमों में एक ऐतिहासिक बदलाव दस्तक दे रहा है, लेकिन इसका स्वागत तालियों की गड़गड़ाहट से नहीं, बल्कि विरोध के शोर से हो रहा है। जिसे सरकार ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ का मास्टरस्ट्रोक बता रही है, उसे देश की तमाम ट्रेड यूनियंस “गुलामी का नया दस्तावेज” करार दे रही हैं। अगर आप सैलरी पाते हैं, तो यह खबर सीधे आपकी जेब और भविष्य से जुड़ी है।

केरल से लेकर कश्मीर तक, ट्रेड यूनियंस सड़कों पर हैं। उनका आरोप है कि नए नियमों की आड़ में मजदूरों के हक छीने जा रहे हैं। आखिर क्यों इन बदलावों को इतना खतरनाक बताया जा रहा है और क्या सच में आपकी ‘जॉब सिक्योरिटी’ अब इतिहास बनने वाली है? आइए, इस पूरे विवाद की परतों को खोलते हैं।

’29 कानूनों की जगह 4 नए कोड’

भारत में लेबर लॉ का हाल किसी पुराने सरकारी दफ्तर के स्टोर रूम जैसा था, जहां 29 अलग-अलग सेंट्रल कानून (जैसे मिनिमम वेजेस एक्ट, बोनस एक्ट, ट्रेड यूनियन एक्ट) धूल फांक रहे थे। इससे एंप्लॉयर और एंप्लॉयी दोनों कन्फ्यूज रहते थे, और बीच में ‘इंस्पेक्टर राज’ के मजे थे।

सरकार ने इन 29 पुराने कानूनों को खत्म कर चार नए कोड तैयार किए:

  1. वेज कोड 2019: पैसा कितना मिलेगा?

    यह भी पढे़ं 👇

    Jaw Dislocation Golgappa

    Golgappa खाने से खिसका महिला का जबड़ा, Jaw Dislocation से बचने के लिए बरतें सावधानी

    शुक्रवार, 5 दिसम्बर 2025
    Kangana Ranaut

    PM Modi Sanatan Brand Ambassador: ‘पुतिन गीता पढ़ेंगे तो भारत से रिश्ता और गहरा होगा’

    शुक्रवार, 5 दिसम्बर 2025
    Gold Silver Price Today

    Gold Silver Price Today: सोने-चांदी के दाम धड़ाम, शादी वाले घरों में लौटी मुस्कान

    शुक्रवार, 5 दिसम्बर 2025
    Oppo Find X9

    Oppo Find X9 Review: 7025mAh की मॉन्स्टर बैटरी और Hasselblad कैमरा

    शुक्रवार, 5 दिसम्बर 2025
  2. सोशल सिक्योरिटी कोड 2020: रिटायरमेंट, पीएफ और इंश्योरेंस के लिए।

  3. इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड 2020: बॉस और वर्कर का रिश्ता कैसा होगा?

  4. ऑक्यूपेशनल सेफ्टी कोड 2020: सुरक्षा और सेहत के लिए। मकसद था नियमों को आसान बनाना, लेकिन यही सरलीकरण अब गले की हड्डी बन गया है।

‘हायर एंड फायर की खुली छूट?’

विरोध का सबसे बड़ा कारण है ‘छंटनी’ (Layoff) के नियमों में बदलाव। पहले ‘इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स एक्ट’ के तहत, अगर किसी फैक्ट्री में 100 से ज्यादा मजदूर होते थे, तो उसे बंद करने या मजदूरों को निकालने के लिए सरकार की अनुमति लेनी पड़ती थी। यह नियम मालिकों को रातों-रात ताला लगाने से रोकता था।

नए ‘इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड’ में सरकार ने इस लिमिट को 100 से बढ़ाकर 300 कर दिया है। इसका सीधा मतलब है कि अगर आपकी कंपनी में 300 से कम लोग काम करते हैं, तो आपका बॉस बिना किसी सरकारी परमिशन के आपको कभी भी ‘टाटा-बाय बाय’ बोल सकता है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह ‘हायर एंड फायर’ (Hire and Fire) की खुली छूट है, जिससे जॉब सिक्योरिटी मजाक बनकर रह जाएगी।

‘बिजली विभाग के निजीकरण का डर’

विरोध के सुरों में बिजली विभाग के इंजीनियर भी शामिल हैं। उनका कहना है कि नए नियमों के जरिए सरकार बिजली वितरण (Electricity Distribution) को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी कर रही है। हालांकि जानकार मानते हैं कि प्राइवेट प्लेयर्स आने से सर्विस बेहतर होती है और सब कुछ ऑनलाइन और पारदर्शी होता है, लेकिन सरकारी कर्मचारियों को इसमें अपनी छंटनी का डर सता रहा है।

‘हड़ताल करना हुआ नामुमकिन’

तीसरा सबसे विवादास्पद मुद्दा है ‘हड़ताल का अधिकार’ (Right to Strike)। पहले केवल जरूरी सेवाओं (पानी, बिजली, ट्रांसपोर्ट) के कर्मचारियों को हड़ताल से पहले नोटिस देना होता था। लेकिन अब नए नियम के मुताबिक, किसी भी सेक्टर के कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने से 14 दिन पहले नोटिस देना अनिवार्य होगा।

यही नहीं, अगर किसी दिन 50% से ज्यादा कर्मचारी सामूहिक छुट्टी (Mass Casual Leave) पर जाते हैं, तो उसे भी हड़ताल माना जाएगा। ट्रेड यूनियंस का तर्क है कि कानूनन हड़ताल का हक तो है, लेकिन शर्तों ने इसे व्यावहारिक रूप से असंभव बना दिया है।

‘सैलरी स्लिप का बदलता गणित’

यह बदलाव सिर्फ फैक्ट्री वर्कर के लिए नहीं, बल्कि एसी ऑफिस में बैठने वाले कॉर्पोरेट कर्मचारियों के लिए भी है। नए नियम के मुताबिक, आपकी बेसिक सैलरी (Basic Salary) आपकी कुल सीटीसी (CTC) का कम से कम 50% होनी चाहिए।

अभी कंपनियां बेसिक सैलरी कम रखती हैं ताकि पीएफ (PF) कम कटे और आपकी इन-हैंड सैलरी ज्यादा दिखे। लेकिन नया नियम लागू होते ही बेसिक सैलरी बढ़ेगी, जिससे पीएफ का कंट्रीब्यूशन बढ़ जाएगा। नतीजा यह होगा कि आपके हाथ में आने वाली (Take Home) सैलरी कम हो जाएगी, हालांकि आपके रिटायरमेंट का फंड मोटा हो जाएगा। सरकार का तर्क है कि इससे बुढ़ापा सुरक्षित होगा, लेकिन सवाल यह है कि अगर आज ईएमआई भरने के लाले पड़ गए, तो भविष्य की सुरक्षा का क्या?

‘जानें पूरा मामला’

1991 के उदारीकरण (LPG Reforms) के बाद से भारत ने ‘वेलफेयर स्टेट’ से ‘फ्री मार्केट’ की तरफ कदम बढ़ाया है। विशेषज्ञ मानते हैं कि पुराने कानूनों की वजह से कंपनियां जानबूझकर छोटी रहती थीं ताकि वे ‘इंस्पेक्टर राज’ से बच सकें। नए रिफॉर्म्स का उद्देश्य बड़ी फैक्ट्रियों को बढ़ावा देना और ज्यादा नौकरियां पैदा करना है। लेकिन ट्रेड यूनियंस का कहना है कि रोजगार बढ़ाने के नाम पर मौजूदा नौकरियों की गुणवत्ता और सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता। अब देखना यह है कि ये कानून जमीन पर कैसे उतरते हैं।

‘मुख्य बातें (Key Points)’
  • सरकार ने 29 पुराने श्रम कानूनों को खत्म कर 4 नए लेबर कोड बनाए हैं।

  • छंटनी के लिए सरकारी मंजूरी की सीमा 100 से बढ़ाकर 300 कर्मचारियों की कर दी गई है।

  • हड़ताल करने से 14 दिन पहले नोटिस देना अब हर सेक्टर के लिए अनिवार्य होगा।

  • बेसिक सैलरी 50% होने के नियम से इन-हैंड सैलरी घटेगी, लेकिन पीएफ फंड बढ़ेगा।

पर खबरें पाने के लिए जुड़े Join Now
पर खबरें पाने के लिए जुड़े Join Now

Related Posts

Jaw Dislocation Golgappa

Golgappa खाने से खिसका महिला का जबड़ा, Jaw Dislocation से बचने के लिए बरतें सावधानी

शुक्रवार, 5 दिसम्बर 2025
Kangana Ranaut

PM Modi Sanatan Brand Ambassador: ‘पुतिन गीता पढ़ेंगे तो भारत से रिश्ता और गहरा होगा’

शुक्रवार, 5 दिसम्बर 2025
Gold Silver Price Today

Gold Silver Price Today: सोने-चांदी के दाम धड़ाम, शादी वाले घरों में लौटी मुस्कान

शुक्रवार, 5 दिसम्बर 2025
Oppo Find X9

Oppo Find X9 Review: 7025mAh की मॉन्स्टर बैटरी और Hasselblad कैमरा

शुक्रवार, 5 दिसम्बर 2025
America Action On Pakistan

Pakistan PM और Army Chief पर Ban की मांग, 40+ अमेरिकी सांसदों का पत्र

शुक्रवार, 5 दिसम्बर 2025
Sagittarius Horoscope 2026

Sagittarius Horoscope 2026: शनि की दृष्टि और राहु का वार, धनु राशि वालों के लिए कैसा रहेगा यह साल?

शुक्रवार, 5 दिसम्बर 2025
0 0 votes
Rating
Subscribe
Notify of
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments
The News Air

© 2025 THE NEWS AIR

The News Air

  • About
  • Privacy & Policy
  • Contact
  • Disclaimer & DMCA Policy

हमें फॉलो करें

No Result
View All Result
  • प्रमुख समाचार
    • राष्ट्रीय
    • पंजाब
    • अंतरराष्ट्रीय
    • सियासत
    • नौकरी
    • बिज़नेस
    • टेक्नोलॉजी
    • मनोरंजन
    • खेल
    • हेल्थ
    • लाइफस्टाइल
    • धर्म
    • स्पेशल स्टोरी
  • राज्य
    • चंडीगढ़
    • हरियाणा
    • हिमाचल प्रदेश
    • नई दिल्ली
    • महाराष्ट्र
    • पश्चिम बंगाल
    • उत्तर प्रदेश
    • बिहार
    • उत्तराखंड
    • मध्य प्रदेश
    • राजस्थान
  • वेब स्टोरीज

© 2025 THE NEWS AIR