The News Air- पंजाब कांग्रेस चीफ़ पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई कि उन्हें रोडरेज मामले में सज़ा न दी जाए। सिद्धू के ख़िलाफ़ पुनर्विचार याचिका दाखिल हुई है। जिसमें सिद्धू ने एफिडेविट दाखिल किया है। सिद्धू ने कहा कि पिछले 3 दशक में उनका राजनीतिक और खेल करियर बेदाग़ रहा है। राजनेता के तौर पर उन्होंने न सिर्फ़ अपने विस क्षेत्र अमृतसर ईस्ट बल्कि सांसद के तौर पर बेजोड़ काम किया है। उन्होंने लोगों के भले के लिए कई काम किए हैं। उनसे कोई हथियार भी बरामद नहीं हुआ और उनकी मरने वाले से कोई दुश्मनी भी नहीं थी। उन्होंने कहा कि पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी जाए। उन्हें दी गई 1 हज़ार जुर्माने की सज़ा पर्याप्त है।
34 साल पुराना केस, सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई
सिद्धू के ख़िलाफ़ 34 साल पुराना रोडरेज का मामले में सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा। यह घटना 1988 में हुई थी। जिसमें पार्किंग को लेकर हुए झगड़े में बुज़ुर्ग की मौत हो गई थी। हाईकोर्ट ने सिद्धू को सज़ा सुनाई थी, जिसके बाद उन्हें सांसद पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा था। सुप्रीम कोर्ट में सिद्धू के ख़िलाफ़ पुनर्विचार याचिका दाखिल हुई है। पहले इस मामले की सुनवाई 3 फरवरी को हुई थी। हालांकि सिद्धू के चुनाव लड़ने की वजह से SC ने इसे 25 फरवरी तक के लिए टाल दिया था।
1988 का मामला, हाथापाई में हुई थी बुज़ुर्ग की मौत
सिद्धू के ख़िलाफ़ रोडरेज का मामला साल 1988 का है। सिद्धू का पटियाला में कार से जाते समय 65 साल के गुरनाम सिंह नामक बुज़ुर्ग व्यक्ति से झगड़ा हो गया। आरोप है कि उनके बीच हाथापाई भी हुई और बाद में गुरनाम सिंह की मौत हो गई। पुलिस ने नवजोत सिंह सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर सिंह सिद्धू के ख़िलाफ़ गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज़ किया।
निचली अदालत ने किया बरी, हाईकोर्ट ने दी सज़ा
इसके बाद मामला अदालत में पहुंचा। सुनवाई के दौरान निचली अदालत ने नवजोत सिंह सिद्धू को सबूतों का अभाव बताते 1999 में बरी कर दिया था। इसके बाद पीड़ित पक्ष निचली अदालत के फ़ैसले के ख़िलाफ़ हाईकोर्ट पहुंच गया। साल 2006 में हाईकोर्ट ने इस मामले में नवजोत सिंह सिद्धू को तीन साल क़ैद की सज़ा और एक लाख रुपए जुर्माने की सज़ा सुनाई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने पहले जुर्माना लगाकर छोड़ा
हाईकोर्ट से मिली सज़ा के ख़िलाफ़ नवजोत सिंह सिद्धू सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। सुप्रीम कोर्ट ने 16 मई 2018 को सिद्धू को गैर इरादतन हत्या के आरोप में लगी धारा 304IPC से बरी कर दिया। हालांकि धारा 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाने का) के मामले में सिद्धू को दोषी ठहराया गया। जिसके लिए उन्हें जेल की सज़ा नहीं हुई लेकिन एक हज़ार रुपया जुर्माना लगाकर छोड़ दिया गया।
पीड़ित परिवार की यह मांग
सुप्रीम कोर्ट के इसी फ़ैसले के ख़िलाफ़ अब मृतक के परिवार ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। उनकी मांग है कि हाईकोर्ट की तरह सिद्धू को 304IPC के तहत सज़ा होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को स्वीकार कर लिया।