चंडीगढ़, 5 जून
Punjab Congress Crisis: पंजाब कांग्रेस में चल रहे कलह को खत्म करने के मकसद से गठित की गई समिति से बीते दिन शुक्रवार को हुई मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह की मीटिंग के बाद पार्टी के प्रमुख हलकों में इस कलह के हल होने की उम्मीद बढ़ गई है। बताया जा रहा है कि समिति के समक्ष भले ही कैप्टन अमरिन्दर ने नवजोत सिंह सिद्धू समेत विरोधी ग्रुप के नेताओं के ज़्यादातर दोषों का सबूतों समेत ठोस जवाब दिया है, परन्तु पंजाब की अगामी चुनाव में कांग्रेस के हित में सभी को एक साथ लेकर चलने के लिए अपना रवैया कुछ लचीला रखने का भी संकेत दिया। इतना ही नहीं कैप्टन ने हाई कमान द्वारा गठित समिति को यह बताने से भी गुरेज़ नहीं किया कि प्रदेश के चुनाव में कांग्रेस की कामयाबी के लिए उनकी तैयारी पूरी और पुख्ता है। बताया तो यह भी जा रहा है कलह के समाझान के लिए कैप्टन पंजाब कैबिनेट और प्रदेश कांग्रेस में बदलाव के ख़िलाफ़ नहीं हैं।
पार्टी के अंदरूनी कलह को लेकर कांग्रेस लीडरशिप अब सिद्धू और दूसरे विरोधी ग्रुप के नेताओं को पंजाब कैबिनेट और कांग्रेस संगठन में एडजस्ट करने के फार्मूले पर बातचीत करने लगी है। राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष मलिकारजुन खड़गे के नेतृत्व वाली तीन सदस्यता समिति के साथ करीब तीन घंटे तक चली मीटिंग के बाद कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने अपनी बातचीत का विवरण तो नहीं दिया, परन्तु इशारों इशारों में ही मौजूदा अंदरूनी कलह के समाधान निकलने का संकेत जरूर दे दिया। वहीं पार्टी हाईकमान से जुड़े सूत्रों ने भी पुष्टि की है कि कैप्टन के साथ चर्चा के दौरान खड़गे समेत समिति के सदस्यों ने सिद्धू और अन्य नाराज़ नेताओं को मनाने और साथ लेकर चलने की बात पर भी चर्चा की। इस दौरान कैप्टन अमरिन्दर ने सरकार चलाने के लिए कांग्रेस के चुनाव मैनेजमेंट के लिए की अपनी ओर से की कोशिशें और आगामी तैयारियों की पूरी रूपरेखा के साथ इस बात का तो संकेत दे ही दिया है कि कलह के हल के लिए व्यावहारिक राजनैतिक फार्मूले के बदलाव पर उनको ऐतराज़ नहीं, परन्तु उनकी लीडरशिप को कमज़ोर करने की कोई कोशिश और फ़ार्मूला मंज़ूर नहीं होगा।
सूत्रों का कहना है कि सुलाह फार्मूले के अंतर्गत कलह को ख़त्म करने के लिए पंजाब मंत्रीमंडल में फेरबदल किया जा सकता है और नवजोत सिंह सिद्धू को उप मुख्यमंत्री के पद के साथ फिर से सरकार में लाया जा सकता है। कैबिनेट के कुछ ओर चेहरों की अदला बदली भी संभव है।
वहीं प्रदेश कांग्रेस के प्रधान सुनील जाखड़ की जगह संगठन की कमान नए चेहरे को सौंपने के बदल पर भी विचार किया जा रहा है। जाखड़ प्रदेश प्रधान का अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हैं और उनको सरकार में जगह मिल सकती है।
पार्टी कलह के हल हेतु गठित कांग्रेस की समिति में खड़गे के इलावा पंजाब कांग्रेस के इंचार्ज और राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत और दिल्ली के सीनियर नेता जै प्रकाश अग्रवाल शामिल हैं। पिछले छह दिनों में समिति ने सिद्धू समेत पंजाब कांग्रेस के दर्जनों नेताओं, विधायकों और संसद सदस्यों के साथ पार्टी के मौजूदा संकट को लेकर बातचीत की है। सिद्धू ने भी दो दिन पहले समिति के सामने कैप्टन के ख़िलाफ़ अपना पक्ष को दोहराते हुए इस कलह में झुकने के संकेत नहीं दिए थे।
हालांकि पार्टी सूत्रों का कहना है कि पंजाब की आगामी चुनाव और प्रदेश में कैप्टन के अक्स को देखते हुए उनकी लीडरशिप को कमज़ोर करना न संभव है और न ही सही। इसी लिए पंजाब के नेताओं के साथ हुई इस बातचीत के साथ समिति ने पूर्व कांग्रेस प्रधान राहुल गांधी को ग़ैर-रस्मी तौर पर रूबरू करवाया है। समिति अब समाधान के बदलाव के साथ अपनी रिपोर्ट तैयार कर रही है और इस हफ़्ते के आखिर या अगले हफ़्ते यह रिपोर्ट कांग्रेस प्रधान सोनिया गांधी को सौंप दी जायेगी। इस के बाद कैप्टन अमरिन्दर सिंह की सोनिया गांधी के साथ मुलाकात की संभावना है, जिस में हल का आख़िरी फ़ार्मूला निकलने की उम्मीद है।