The News Air- (चंडीगढ़) पंजाब में अगली बार मुख्यमंत्री बनने का दम ठोक रहे कांग्रेस चीफ़ नवजोत सिद्धू को बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस हाईकमान ने तय कर लिया है कि पंजाब में CM चेहरा घोषित नहीं होगा। कांग्रेस संयुक्त लीडरशिप की अगुवाई में चुनाव लड़ेगी।
जिसमें नवजोत सिद्धू के साथ मौजूदा मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी और पूर्व पंजाब कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़ भी होंगे। दिल्ली में हुई कांग्रेस हाईकमान की मीटिंग में यह फ़ैसला कर पार्टी के नेताओं को संदेश भेज दिया गया है। हालांकि इसके बाद सिद्धू का क्या रूख रहेगा, इस पर सबकी नज़र बनी हुई है।
सिद्धू कर रहे दावा- अगली सरकार हमारी
सिद्धू लगातार चुनावी रैलियां कर रहे हैं। जिसमें वह दावा कर रहे हैं कि अगली सरकार उनकी होगी। मौजूदा सरकार को वह कांग्रेस की नहीं मान रहे हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह को CM की कुर्सी से हटाने के बावज़ूद सिद्धू सीएम चरणजीत चन्नी की अगुवाई वाली सरकार को अपनी नहीं मान रहे। वहीं, सिद्धू कई बार अगले चुनाव के बाद पंजाब का CM बनने का इशारा कर चुके हैं। सिद्धू आत्मविश्वास से इतने लबरेज़ हैं कि वह पार्टी के मैनिफेस्टो के बजाय अपने पंजाब मॉडल का प्रचार कर रहे हैं। सिद्धू पार्टी के औपचारिक घोषणा पत्र से पहले ही अपने दावे जता रहे हैं।
वोट बैंक का गणित कांग्रेस के फ़ैसले के पीछे
कांग्रेस के इस फ़ैसले के पीछे पंजाब के वोट बैंक का गणित है। दरअसल, पंजाब में क़रीब 32% वोट SC वर्ग है। जिसे ख़ुश करने के लिए कांग्रेस चरणजीत चन्नी को CM बना चुकी है। सिद्धू जिस जट्टसिख कम्युनिटी से आते हैं, उनकी पंजाब में 19% वोट हैं। उनमें से भी ज़्यादा ख़ुद राजनीति में सक्रिय हैं या सीधे तौर पर अलग-अलग पार्टियों से जुड़े हुए हैं।
वहीं, 38% से ज़्यादा वोट हिंदू वर्ग के हैं। अगर सिर्फ़ सिद्धू और चन्नी को आगे रखा तो कांग्रेस को शहरी वर्ग से झटका लग सकता है। इसलिए सुनील जाखड़ को भी आगे रखा जा रहा है। जाखड़ को हिंदू होने की वजह से पंजाब का CM न बनाने और कैप्टन अमरिंदर सिंह के हटने के बाद यह वर्ग पहले ही कांग्रेस से दूर नज़र आ रहा है।