इस्लामाबाद, 7 अगस्त (The News Air)
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान (Imran Khan) ख़ान भले ही हिंदू मंदिर (Hindu Temple) पर हुए हमले की निंदा करते हुए उसकी मरम्मत की बात कर रहे हों, परन्तु कट्टरपंथी मुस्लिमों को हमले में कुछ भी ग़लत नज़र नहीं आता है। मिल्ली यकजेहती काउंसिल (Milli Yakjehti Council-MYC) नामक संगठन खुलकर हमलावरों के पक्ष में आ गई है। 22 धार्मिक, राजनीतिक दलों और संगठनों से मिलकर बनी काउंसिल ने शुक्रवार को गणेश मंदिर में तोड़फोड़ और मूर्तियों को अपवित्र किए जाने की निंदा से साफ़ इनकार कर दिया।
Attack की जानकारी से किया इनकार- पाकिस्तानी अख़बार ‘डॉन’ में छपी ख़बर के मुताबिक़ जब पत्रकारों ने काउंसिल के नवनिर्वाचित प्रतिनिधियों से पंजाब प्रांत में हिंदू मंदिर पर हुए हमले (Attack on Hindu Temple) बारे में पूछा तो उन्होंने ऐसी घटना की जानकारी होने से ही साफ़ इनकार कर दिया, हालांकि उन्होंने हमलावरों का समर्थन करते हुए यह जरुर कहा कि बहुसंख्यक लोगों के भी अधिकार हैं।
Hyderabad की करने लगे बात- नवनिर्वाचित प्रतिनिधियों से जब मंदिर पर हमले के बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने हैदराबाद की एक घटना का ज़िक्र करना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि हैदराबाद में एक मंदिर के सामने मुस्लिम परिवार रहता है। इस इलाक़े में कई हिंदू परिवार भी रहते हैं। हिंदुओं ने शिकायत करके अधिकारियों से कहा था कि मंदिर के सामने गाय की क़ुर्बानी को अनुमति नहीं दिया जाना चाहिए। हम यह बताना चाहते हैं कि बहुसंख्यक लोगों के भी कुछ अधिकार हैं।
India- Israel के सवाल पर बदले सुर- काउंसिल के अबुल ख़ैर जुबैर (Abul Khair Zubair) ने कहा कि शरिया क़ानून और संविधान के तहत अल्पसंख्यकों के अधिकार सुरक्षित हैं, लेकिन बहुसंख्यकों को अधिकार न दिया जाना भी उचित नहीं है। हालांकि, जब यह पूछा गया कि क्या भारत और इज़रायल के बहुसंख्यक भी इसी तरह का तर्क देकर अपने कृत्यों को सही ठहरा सकते हैं? इस पर जुबैर के सुर बदल गए और उन्होंने कहा कि उन्हें पंजाब में मंदिर पर हमले की ज़मीनी हक़ीक़त पता नहीं है।
Supreme Court जता चुका है चिन्ता – जब पत्रकारों ने नवनिर्वाचित प्रतिनिधियों के पूछा कि क्या मंदिर को अपवित्र करने की घटना की निंदा नहीं की जानी चाहिए, तो उन्होंने कोई जवाब न देते हुए दूसरे विषय पर सवाल पूछने को कहा। यानी संगठन को नहीं लगता कि गणेश मंदिर पर हुए हमले में कुछ भी ग़लत है और दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए। ऐसे में यह सवाल उठाना लाज़मी है कि क्या दोषियों को सज़ा मिल पाएगी।
गौरतलब है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री दोषियों पर कार्रवाई की बात कह चुके हैं और पाकिस्तान का सुप्रीम कोर्ट भी इस घटना पर गंभीर है।
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