Russia Moskva Sinking: रूस यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) के बीच मॉस्को के लिए पिछले दो काफी मुश्किल भरे रहे हैं। राष्ट्रपति पुतिन को ब्लैक सी यानी काला सागर में बड़ा झटका लगा है, जब काला सागर में उनके बेड़े का नेतृत्व कर रहा मिसाइल क्रूजर मोस्कवा (Missile Cruiser Moskva) युद्धपोत गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हुआ। इसके बाद खबर यह है कि रूसी युद्धपोत अब ब्लैक सी में समा गया है।
हालांकि, यूक्रेन का दावा है कि जहाज पर उसकी तरफ से दो मिसाइलों से हमला किया गया था। अभी यह पूरी तरह साफ नहीं है कि यह हमले के कारण हुआ या किसी तकनीकि खराबी या इंसानी गलती से हुआ।
इस बीच यह जानना बेहद जरूरी है कि इस घटना से रूस को कितना बड़ा नुकसान हुआ है। इस युद्धपोत की क्या खासियत थीं। साथ ही दुनिया भर के सैन्य योजनाकारों के लिए यह घटना क्या सीख देती है। बता दें कि पिछले 40 सालों में युद्ध के दौरान किसी नौसैनिक जहाज को हुआ यह सबसे बड़ा नुकसान है।
जहाज के डूबने का क्या है कारण?
CNN की रिपोर्ट के मुताबिक, जहाज गुरुवार को काला सागर में यूक्रेन के तट पर डूब गया। रूस के रक्षा मंत्रालय का कहना है कि अज्ञात कारणों से लगी आग ने जहाज के गोला-बारूद को उड़ा दिया। इन विस्फोट के कारण ही मोस्कवा को भारी नुकसान पहुंचा। इतने गंभीर नुकसान के बाद युद्धपोत को पास के बंदरगाह पर ले जाया जा रहा था। इस दौरान ही यह जहज समुद्र के बीच में डूब गया।
दूसरी तरफ यूक्रेन का कहना है कि उसने मोस्कवा पर एंटी-शिप क्रूज मिसाइलों से हमला किया और इसी करण उसमें आग लगी। इस आग से ही उसमें रखे गोला-बारूद में ब्लास्ट हुआ।
अमेरिका और पश्चिमी रक्षा अधिकारी यूक्रेन के दावे का समर्थन करते दिख रहे हैं। CNN ने लेटेस्ट खुफिया जानकारी से जुड़े एक सूत्र के हवाले से बताया कि अमेरिका पूरे विश्वास के साथ तो नहीं, लेकिन कुछ हद तक मानता है कि यूक्रेन के दावे सटीक हैं।
मोस्कवा एंटी-शिप और एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइलों के साथ-साथ टॉरपीडो, नौसैनिक बंदूकें और मिसाइल सिस्टम से लैस था। इसका मतलब यह है कि इस पर भारी मात्रा में विस्फोटक तो थे।
पिछली बार कब इस आकार का जहाज युद्ध में हुआ तबाह?
फ़ॉकलैंड द्वीप युद्ध के दौरान 2 मई, 1982 को ब्रिटिश परमाणु-संचालित पनडुब्बी (Nuclear-Powered Submarine) HMS Conqueror ने अर्जेंटीना के क्रूजर जनरल बेलग्रानो (General Belgrano) पर टारपीडो से हमला किया और उसे डूबा दिया था।
जनरल बेलग्रानो और मोस्कवा का आकार एक जैसा ही थे। दोनों ही जहाज लगभग 600 फीट (182 मीटर) लंबे और 12,000 टन वजनी थे। हालांकि, तब जनरल बेलग्रानो पर चालक दल के करीब 1,100 सदस्य मौजूद थे। जबकि मोस्कवा पर चालक दल के 500 लोग थे।
वहीं रूस ने मोस्कवा की आग और उसके बाद डूबने के दौरान हताहतों की संख्या का कोई खुलासा नहीं किया है। तब जनरल बेलग्रानो के डूबने पर कुल 323 चालक दल लोगों की मौत हुई थी।
रूसे के लिए मोस्कवा के डूबने का क्या है मतलब?
इसका सबसे ज्यादा असर रूस के मनोबल पर पड़ सकता है। मोस्कवा काला सागर में मौजूद रूसी बेड़े के प्रमुख युद्धपोत था। मोस्कवा यूक्रेन की लड़ाई में रूस का सबसे ज्यादा दिखाई देने वाले असेट्स में से एक था। भले ही पुतिन सरकार रूस के भीतर युद्ध की खबरों को बेहद ही सावधान तरीके से मैनेज कर पा रही हो, लेकिन इतने बड़े जहाज का अचानक से गायब हो जाना, यह छिपाना उसके लिए मुश्किल होगा।
इसके अलावा इस नुकसान से रूस की युद्ध क्षमता पर भी संदेह पैदा होगा। चाहे फिर वो दुश्मन की कार्रवाई या दुर्घटना के कारण ही क्यों न हुआ हो। इंस्टीट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ वॉर के विश्लेषक मेसन क्लार्क, कटेरिना स्टेपानेंको और जॉर्ज बैरोस ने अपनी डेली युद्ध ब्रीफिंग में लिखा, “मोस्कवा के डूबने के लिए दोनों स्पष्टीकरण, रूस खामियों की तरफ इशारा करते हैं। पहला या तो उसका खराब एयर डिफेंस और दूसरा उसकी ढीली सुरक्षा प्रक्रियाएं।”
मगर विश्लेषक भी इस बात को लेकर बंटे हुए हैं कि युद्धपोत के डूबने का रूसी आक्रमण पर क्या असर पड़ेगा।
ISW के विश्लेषकों ने इसे अपेक्षाकृत मामूली झटका बताया है। उन्होंने कहा कि जहाज का इस्तेमाल ज्यादातर यूक्रेनी रसद केंद्रों और हवाई क्षेत्रों पर क्रूज मिसाइल हमलों के लिए किया गया था। उन्होंने कहा कि रूस के पास लैंड बेस्ड सिस्टम और हमले वाले विमान हैं और वे भी इस तरह के काम कर सकते हैं।
हालांकि, उन्होंने कहा कि अगर यह वास्तव में एक यूक्रेनी मिसाइल ने किया है, तो रूसी नौसेना को अपने ऑपरेशन पर दोबारा सोच-विचार करना होगा। उन्हें अपने जहाजों को यूक्रेनी क्षेत्र से दूर ले जाना और अपने एयर डिफेंस को दोबारा एडजस्ट करने पर सोचना चाहिए।
वहीं वाशिंगटन में, पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि मोस्कवा का मुख्य काम काला सागर में रूसी सेना के लिए हयर डिफेंस देना था। किर्बी ने मीडिया से कहा, “निश्चित रूप से निकट भविष्य में इस घटना का उस क्षमता पर उसर पड़ेगा।”
चीन के लिए है एक सबक?
विश्लेषकों का कहना है कि मोस्कवा के डूबने की घटना का पूर्वी एशिया में सावधानीपूर्वक अध्ययन किया जाएगा। खासकर तब, अगर यह पुष्टि हो जाती है कि यूक्रेनी मिसाइलों ने ही इस युद्धपोत को मारा था।
विशेषज्ञों का मानना है कि खासकर ताइवान जैसा देश इस तरह की घटना में जरूर दिलचस्पी लेगा। यह एक लोकतांत्रिक रूप से शासित द्वीप राष्ट्र, जिस पर बीजिंग की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी सालों से इसी अपने क्षेत्र का हिस्से बताती है।
बीजिंग ने ताइवान पर नियंत्रण हासिल करने के लिए बल प्रयोग से इनकार नहीं किया है। इससे अमेरिका के साथ एक तनाव पैदा हो गया है, क्योंकि उसने ताइवान को रक्षात्मक हथियार देने का वादा किया हुआ है।
दूसरी ओर, चीन इस बात को जानता है कि ताइवान उन सस्ती एंटी-शिप मिसाइलों को हासिल कर रहा था, जो यूक्रेन की उन मिसाइलों जैसी ही हैं, जिसके जरिए मोस्कवा को डुबाने का दावा किया जा रहा है।