Vinesh Phogat Cash Award Refusal : पेरिस ओलंपिक (Paris Olympic) 2024 में अपने प्रदर्शन से सुर्खियों में रही रेसलर विनेश फोगाट (Wrestler Vinesh Phogat) एक बार फिर चर्चा में हैं। हरियाणा (Haryana) के जींद (Jind) जिले की जुलाना (Julana) विधानसभा सीट से कांग्रेस (Congress) विधायक बनीं फोगाट ने हरियाणा सरकार द्वारा दिए गए तीन विकल्पों – सरकारी नौकरी, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (Haryana Urban Development Authority) का प्लॉट और 4 करोड़ रुपये की नकद राशि में से आख़िरकार 4 करोड़ का कैश ऑफर स्वीकार कर लिया है।
हालांकि, इस फैसले से पहले वह राज्य सरकार की तरफ से की गई घोषणाओं को लेकर नाराज दिखीं। 2024 में ओलंपिक के दौरान फाइनल मुकाबले तक पहुंचने के बाद, सिर्फ 100 ग्राम वजन अधिक होने के कारण फोगाट अयोग्य घोषित हो गई थीं और पदक से चूक गईं। इसके बावजूद, मुख्यमंत्री नायब सैनी (Chief Minister Nayab Saini) ने उन्हें सिल्वर मेडलिस्ट जैसा सम्मान देने का ऐलान किया था, लेकिन 8 महीने बीत जाने के बावजूद यह घोषणा पूरी नहीं हुई।
विधानसभा के बजट सत्र के दौरान विनेश फोगाट ने सरकार से सवाल पूछते हुए कहा कि उन्हें अभी तक वह सम्मान नहीं मिला, जिसकी घोषणा मुख्यमंत्री ने की थी। उन्होंने सदन में स्पष्ट शब्दों में कहा – “मैं आपको वही दिखा रही हूं कि आपका वादा अधूरा है।”
फोगाट ने यह भी कहा कि जब वह पेरिस गई थीं, तो फाइनल तक पहुंचीं, लेकिन जो हुआ वह ईश्वर की मर्जी थी। बावजूद इसके उन्होंने प्रदर्शन के आधार पर सम्मान पाने की उम्मीद जताई थी, जिसे सरकार ने अब तक पूरा नहीं किया।
मुख्यमंत्री की ओर से स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा गया कि फोगाट को 2019 की खेल पॉलिसी के तहत तीन विकल्प दिए गए थे – सरकारी नौकरी, HUDA प्लॉट या 4 करोड़ रुपये नकद। इसके तहत फोगाट ने अब नकद पुरस्कार लेने की सहमति दी है और खेल विभाग को उनका पत्र मिल चुका है। प्रक्रिया आगे बढ़ चुकी है।
गौरतलब है कि 7 अगस्त 2024 को पेरिस ओलंपिक के दौरान 50 किलोग्राम भार वर्ग के मुकाबले में विनेश का वजन तय मानक से 100 ग्राम अधिक निकला, जिस कारण उन्हें मुकाबले से बाहर कर दिया गया। अगले ही दिन 8 अगस्त को उन्होंने कुश्ती से संन्यास की घोषणा कर दी थी। इसके बाद 6 सितंबर 2024 को उन्होंने कांग्रेस जॉइन की और जुलाना से विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बनीं।
विनेश फोगाट का यह फैसला न केवल उनके आत्मसम्मान को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि खिलाड़ी अब सिर्फ इनाम नहीं, सम्मान और पारदर्शिता की भी उम्मीद करते हैं। राज्य सरकार के लिए यह एक सीख हो सकती है कि घोषणाएं समय पर पूरी हों, वरना जनता और खिलाड़ियों दोनों की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है।