नई दिल्ली, 20 जुलाई (The News Air): भारत ही नहीं पूरी दुनिया के लिए शुक्रवार की शुरुआत अच्छी नहीं रही। माइक्रोसॉफ्ट का सर्वर डाउन होते ही जैसे काम की रफ्तार को ब्रेक लग गया। ऑफिस में काम करने वाले कर्मचारी, बैंक, हेल्थ सेक्टर और एयरलाइंस को खासा नुकसान हुआ। अचानक लैपटॉप या डेस्कटॉप की स्क्रीन नीली हो गई।
इसके चलते कुछ देर के लिए दुनिया भर में बड़ी एयरलाइंस ने अपना कामकाज रोक दिया। फ्लाइट इंफॉर्मेशन डिस्प्ले सिस्टम (एफआईडीएस) ने भी ब्लू स्क्रीन दिखाना शुरू कर दिया और हवाई अड्डे और एयरलाइन की व्यवस्थाएं पूरी तरह से रुक गईं। भारत में हालांकि एयरलाइंस सेवा के अलावा बाकी सेक्टरों को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। आइए समझते हैं कि कैसे माइक्रोसॉफ्ट के डाउन होने से दुनिया भर के विमानों को झटका लगा।
क्यों अचानक डाउन हो गया था माइक्रोसॉफ्ट?
दरअसल, इस समस्या की वजह एक टेक्निकल दिक्कत थी, जिसे दुनिया भर में साइबर सुरक्षा कंपनी क्राउडस्ट्राइक ने अपने सॉफ्टवेयर में बताई थी। इस दिक्कत को ठीक करने की कोशिश भी की जा रही थी। क्राउडस्ट्राइक माइक्रोसॉफ्ट को उसके विंडोज डिवाइस के लिए एंटीवायरस सॉफ्टवेयर मुहैया कराती है। माइक्रोसॉफ्ट ने एक बयान में कहा था कि सुबह क्राउडस्ट्राइक के अपडेट की वजह से दुनियाभर में कई आईटी सिस्टम ठप हो गए। हम अपने ग्राहकों को सिस्टम को दोबारा चलाने में मदद कर रहे हैं।
हवाई सेवा चरमराई
इस समस्या का असर लगभग हर उस क्षेत्र पर पड़ा जहां माइक्रोसॉफ्ट और क्राउडस्ट्राइक का कॉम्बो इस्तेमाल होता है, चाहे वो इमरजेंसी सर्विसेज हों, हवाई अड्डे, अस्पताल या पार्सल और एक्सप्रेस कोरियर कंपनियां। भारत में हवाई अड्डों और एयरलाइंस ने सोशल मीडिया पर हो रही दिक्कतों के बारे में जानकारी देना शुरू कर दिया था। फ्लाइट इंफॉर्मेशन डिस्प्ले सिस्टम (एफआईडीएस) ने भी वही नीली स्क्रीन दिखानी शुरू कर दी जिसे “ब्लू स्क्रीन ऑफ डेथ” कहा जाता है और चेक-इन सिस्टम काम नहीं कर रहे थे। जैसे ही दिक्कत का दायरा बढ़ता गया, यात्रियों ने सोशल मीडिया पर हवाई अड्डों पर स्क्रीन के नीली या बंद हो जाने, चेक-इन रुक जाने और बुकिंग इंजन के काम ना करने पर अपना गुस्सा जाहिर करना शुरू कर दिया।
गलत अपडेट का असर सिर्फ कंप्यूटर पर ही नहीं, बल्कि माइक्रोसॉफ्ट के अज़ूर (Azure) प्लेटफॉर्म, क्लाउड स्टोरेज और 365 सर्विसेज प्लेटफॉर्म पर भी पड़ा। जिन एयरलाइंस और हवाई अड्डों ने अपनी सेवाओं के लिए माइक्रोसॉफ्ट अज़ूर का इस्तेमाल किया, वो इस दिक्कत से प्रभावित हुए, इसीलिए कुछ हवाई अड्डे प्रभावित हुए, जबकि कुछ नहीं हुए। गौर करने वाली बात ये है कि भारत के सरकारी एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के हवाई अड्डे इस दिक्कत से बच गए, जबकि निजी हवाई अड्डे – दिल्ली, हैदराबाद, मुंबई और बेंगलुरु प्रभावित हुए, जिनमें से सबसे ज्यादा दिक्कत देश के सबसे बड़े हवाई अड्डे दिल्ली में हुई।
उसी तरह, जिन एयरलाइंस ने अपनी वेबसाइट और बुकिंग इंजन चलाने से लेकर रेवेन्यू मैनेजमेंट सिस्टम और डेपार्चर कंट्रोल सिस्टम तक हर चीज के लिए माइक्रोसॉफ्ट अज़ूर पर ज्यादा भरोसा किया था, उन्हें इस दिक्कत का सबसे ज्यादा सामना करना पड़ा। वहीं, कई एयरलाइंस रहीं जिनकी सेवाएं बाधित नहीं हुईं। कुछ एयरलाइंस तो ऐसी भी रहीं जिनकी अपनी सेवाएं तो ठीक रहीं, मगर हवाई अड्डों पर हो रही दिक्कतों की वजह से उन्हें परेशानी हुई।
एयरलाइंस ने क्या किया?
कंप्यूटर सिस्टम काम नहीं कर रहे थे, इसलिए एयरलाइंस ने मैन्युअल रूप से बोर्डिंग पास जारी करने शुरू कर दिए। ये उन यात्रियों के लिए बहुत बड़ी चुनौती थी जिनकी कनेक्टिंग फ्लाइट थी और उन्हें दो बोर्डिंग पास की जरूरत थी। एयरलाइंस और हवाई अड्डे जो सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करते थे, जैसे डेपार्चर कंट्रोल सिस्टम, वो भी काम नहीं कर रहे थे क्योंकि ये सॉफ्टवेयर माइक्रोसॉफ्ट Azure पर चलते हैं, जो सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ था। इस तरह एक के बाद एक दिक्कत बढ़ती ही चली गई।
हालांकि एयरलाइंस अपने स्टाफ को मैन्युअल काम करने की ट्रेनिंग देती हैं, जोकि उनकी रिफ्रेशर ट्रेनिंग का हिस्सा होता है, लेकिन एक फ्लाइट के लिए ट्रेनिंग लेना और ढेर सारी लेट हो चुकी फ्लाइट्स के यात्रियों को संभालना, दोनों में बहुत फर्क होता है, इसलिए एयरलाइंस ने काफी सारी फ्लाइट्स कैंसिल करने का फैसला किया और कई को देरी से रवाना किया ताकि यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया जा सके। जहां तक हो सका, एयरलाइंस ने यात्रियों को दूसरे फ्लाइट्स में सीट देने या पैसे वापस करने की कोशिश की। हालात को देखते हुए एयरपोर्ट्स और एयरलाइंस ने फ्लाइट स्टेटस और गेट की जानकारी को व्हाइटबोर्ड पर लिखकर यात्रियों को अपडेट देना ही सबसे अच्छा उपाय था।