MGNREGA Name Change Parliament : संसद में सोमवार को दो बड़ी घटनाएं हुईं जिन्होंने पूरे देश का ध्यान खींचा। पहली घटना में केंद्रीय मंत्री ने मनरेगा से महात्मा गांधी का नाम हटाने का बचाव करते हुए कहा कि गांधी जी राम राज्य लाना चाहते थे और उनके आखिरी शब्द भी “हे राम” थे इसलिए अब राम शब्द को योजना में जोड़ा गया है। दूसरी घटना में दिल्ली की राउस एवेन्यू कोर्ट ने हेराल्ड केस में ईडी की चार्जशीट को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि एफआईआर दर्ज किए बिना चार्जशीट कैसे दाखिल की जा सकती है।
मंत्री ने कहा- गांधी जी राम राज्य चाहते थे इसलिए नाम बदला
संसद में जब विपक्ष ने महात्मा गांधी का नाम हटाने पर सवाल उठाए तो केंद्रीय मंत्री ने जवाब देते हुए कहा कि बापू हमारे दिलों में बसते हैं और हम उनका पूरा सम्मान करते हैं। मंत्री ने कहा कि बापू खुद कहते थे कि राम राज्य लाना है और राम हमारी हर सांस में बसे हैं।
मंत्री ने आगे कहा कि महात्मा गांधी स्वयं राम राज्य की स्थापना की बात करते थे और जब नाथूराम गोडसे ने उन्हें गोलियां मारीं तो उनके मुंह से आखिरी शब्द “हे राम” निकले थे। मंत्री ने कहा कि जब “जी राम जी” नाम आया तो विपक्ष भड़क गया जबकि इसमें गांधी जी की ही भावना है।
क्या है नए बिल का पूरा नाम और इसका मतलब
नए बिल का पूरा नाम है “विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)”। इसका अंग्रेजी में शॉर्ट फॉर्म निकाला गया है जो बनता है “वीबी-जी राम जी”।
इसमें गारंटी का “जी”, रोजगार का “आर”, एंड का “ए”, आजीविका मिशन का “एम” और ग्रामीण का “जी” मिलाकर “जी राम जी” बनाया गया है। यह देखकर सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह तरीका सही है और क्या पढ़े-लिखे लोग इस तरह के नाम रखते हैं।
2005 में बना था मनरेगा कानून
करीब 20 साल पहले 2005 में सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून यानी मनरेगा लेकर आई थी। यह कानून इसलिए बना था ताकि देश के ग्रामीण इलाकों में गरीबों को कम से कम 100 दिनों का रोजगार मिल सके।
अब इस कानून से महात्मा गांधी का नाम हटाकर नया नाम दिया जा रहा है जिसमें “राम” शब्द को जोड़ा गया है।
विपक्ष ने गांधी की तस्वीरें लेकर किया विरोध
जब यह बिल पेश किया गया तो विपक्ष के सांसद महात्मा गांधी की तस्वीरें लेकर संसद परिसर में उतर आए। उन्होंने नारे लगाए कि “गांधी जी का यह अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान”।
विपक्ष का कहना है कि यह महात्मा गांधी का अपमान है और देश इसे बर्दाश्त नहीं करेगा। सांसदों ने जोरदार तरीके से अपना विरोध दर्ज कराया।
संसद में बिल कैसे पास हुआ
संसद में जब यह बिल पेश किया गया तो स्पीकर ने पूछा कि जो पक्ष में हैं वो “हां” कहें और जो विरोध में हैं वो “ना” कहें। इसके बाद स्पीकर ने कहा कि उनके विचार में निर्णय “हां” कहने वालों के पक्ष में हुआ है।
यह सब इतनी तेजी से हुआ कि विपक्ष को समझने का मौका भी नहीं मिला। मंत्री ने बिल पेश किया और सदन की कार्यवाही 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
हेराल्ड केस में ईडी को बड़ा झटका
इसी दिन दिल्ली की राउस एवेन्यू कोर्ट ने हेराल्ड केस में ईडी यानी इनफोर्समेंट डायरेक्टरेट को करारा झटका दिया। कोर्ट ने कहा कि ईडी ने बिना एफआईआर दर्ज किए चार्जशीट दाखिल कर दी है जो गैरकानूनी है।
कोर्ट ने साफ कहा कि जब एफआईआर ही दर्ज नहीं हुई तो चार्जशीट कैसे आ गई। कोर्ट ने कहा कि वो इस चार्जशीट का संज्ञान यानी कॉग्निजेंस नहीं लेगी। मतलब कोर्ट इस पर ध्यान भी नहीं देगी।
कोर्ट ने क्या कहा
कोर्ट ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग की जांच तो दूर उससे जुड़ी शिकायतें भी नहीं मानी जाएंगी अगर एफआईआर नहीं होती है। कोर्ट ने पूछा कि किसी निजी व्यक्ति की शिकायत के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला कैसे माना जाए जब तक विधिवत एफआईआर न हो।
कोर्ट ने बताया कि सुब्रमण्यम स्वामी की शिकायत पर ईडी ने कार्रवाई शुरू कर दी जबकि दिल्ली पुलिस की इकोनॉमिक ऑफेंस विंग ने पहले से अलग एफआईआर दर्ज की हुई थी। ईडी उसके समानांतर यानी पैरेलल में काम कर रही थी जो गलत है।
सोनिया और राहुल गांधी को मिली राहत
इस फैसले से सोनिया गांधी और राहुल गांधी को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने ईडी की कार्रवाई को खारिज कर दिया है जिससे इस केस में उन्हें बेदाग करार दे दिया गया है।
यह पहली बार है जब कोर्ट ने ईडी की चार्जशीट पर सीधे सवाल उठाए हैं और उसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया है।
राज्यों पर पड़ेगा ज्यादा बोझ
नए कानून में एक और बड़ा बदलाव यह है कि अब राज्यों को ज्यादा पैसा देना होगा। पहले मनरेगा का पूरा बजट केंद्र सरकार देती थी और राज्यों में मजदूरों को काम मिलता था।
अब नए कानून में केंद्र सिर्फ 60 पैसे देगा और 40 पैसे राज्यों को अपनी जेब से देने होंगे। यानी राज्यों पर बोझ और बढ़ जाएगा जबकि कई राज्यों का आरोप है कि जीएसटी का बकाया तक अभी तक नहीं मिला है।
पश्चिम बंगाल को 4 साल से नहीं मिला मनरेगा का पैसा
पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों का कहना है कि उन्हें पिछले 4 सालों से मनरेगा का पैसा ही नहीं मिला है। अब जब 60-40 का नया फॉर्मूला आ गया है तो गैर-बीजेपी शासित राज्यों की मुश्किलें और बढ़ जाएंगी।
इन राज्यों के सांसद संसद में लगातार इसके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं लेकिन बहुमत के आगे उनकी सुनवाई नहीं हो पा रही है।
19 दिसंबर तक चलेगी संसद
सरकार ने फैसला किया है कि संसद का यह सत्र 19 दिसंबर तक चलेगा। सभी सांसदों को कहा गया है कि वो हर हाल में मौजूद रहें क्योंकि कोई भी बिल कभी भी लाया जा सकता है।
यह एक तरह से सांसदों के लिए चेतावनी है कि उन्हें वोटिंग के लिए हाजिर रहना होगा।
नीतीश और चंद्रबाबू ने नहीं जारी किया व्हिप
दिलचस्प बात यह है कि एनडीए के दो बड़े सहयोगी नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू ने इस बिल पर अपनी पार्टी के सांसदों के लिए कोई व्हिप जारी नहीं किया। यानी उन्होंने अपने सांसदों को यह नहीं बताया कि उन्हें इस बिल पर कैसे वोट करना है।
बीजेपी के पास अकेले बहुमत नहीं है और वो 32 सांसदों से पीछे है। इसलिए उसे हर बड़े फैसले के लिए एनडीए के साथियों की जरूरत है।
क्या है पूरी पृष्ठभूमि
मनरेगा यानी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून 2005 में यूपीए सरकार के समय बना था। इसका मकसद था कि ग्रामीण इलाकों में गरीब परिवारों को साल में कम से कम 100 दिन का रोजगार मिले। अब मोदी सरकार इसे बदलकर नया कानून ला रही है जिसमें महात्मा गांधी का नाम हटाकर “विकसित भारत जी राम जी” नाम रखा गया है। साथ ही फंडिंग का पैटर्न भी बदल दिया गया है जिसमें राज्यों को 40 फीसदी खर्च खुद उठाना होगा।
मुख्य बातें (Key Points)
- केंद्रीय मंत्री ने संसद में कहा कि गांधी जी राम राज्य चाहते थे और उनके आखिरी शब्द “हे राम” थे इसलिए मनरेगा का नाम बदलकर “जी राम जी” किया गया
- दिल्ली की राउस एवेन्यू कोर्ट ने हेराल्ड केस में ईडी की चार्जशीट खारिज कर दी क्योंकि एफआईआर दर्ज किए बिना चार्जशीट दाखिल की गई थी
- नए कानून में केंद्र 60 फीसदी और राज्य 40 फीसदी खर्च उठाएंगे जबकि पहले पूरा खर्च केंद्र का था
- सोनिया गांधी और राहुल गांधी को हेराल्ड केस में बड़ी राहत मिली है
- नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू ने इस बिल पर कोई व्हिप जारी नहीं किया






