मीत हेयर ने संसद में उठाया किसानों का मुद्दा, मोदी सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप

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नई दिल्ली, 16 दिसंबर (The News Air) संगरूर से लोकसभा सांसद गुरमीत सिंह मीत हेयर ने आज संसद में जोर-शोर से किसानों का मुद्दा उठाया और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि किसानों को अपनी राष्ट्रीय राजधानी में आने से रोका जा रहा है, और किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल 21 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे हैं, लेकिन सरकार को कोई चिंता नहीं है।

मीत हेयर ने कहा कि जब किसानों को काले कानून वापस करवाने के लिए धरने देने पड़े, तब 700 किसान शहीद हो गए। उस दौरान सरकार ने लिखित में वादा किया था कि एमएसपी की गारंटी दी जाएगी, लेकिन अब तक यह वादा पूरा नहीं हुआ। हमारे बुजुर्ग किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल खनौरी बॉर्डर पर अपने निजी हित के लिए नहीं, बल्कि देश के किसानों के लिए बैठे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने जहां कुछ सौ उद्योगपतियों के 10 लाख करोड़ रुपये माफ कर दिए, वहीं आधी आबादी वाले किसानों का कर्ज माफ नहीं किया जा रहा।

सांसद ने कहा कि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है, लेकिन असली स्थिति यह है कि प्रति व्यक्ति आय में हम 141वें स्थान पर हैं। 140 करोड़ की आबादी में से केवल 10% लोग ही 25,000 रुपये महीने से ज्यादा कमाते हैं, जबकि 90% लोग इससे कम कमा रहे हैं। इनमें बड़ी संख्या उन किसानों की है, जिनसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में सरकार बनने पर आय दोगुनी करने का वादा किया था। 11 बजट पेश हो चुके हैं, लेकिन कभी भी किसानों की आय बढ़ाने का जिक्र तक नहीं किया गया।

मीत हेयर ने आगे कहा कि पंजाब का ऐसा कोई गांव नहीं जहां देश की रक्षा करने वाले जवानों की तिरंगे में लिपटी हुई लाश न पहुंचती हो। देश को आजाद कराने में 80% कुर्बानियां पंजाब ने दीं और हमारे किसानों ने आत्मनिर्भर भारत बनाने में भी योगदान दिया। लेकिन आज पंजाब के किसानों को अपनी राजधानी में आने तक नहीं दिया जा रहा। किसान भी सिर्फ थोड़ी संख्या में पैदल आना चाहते हैं, लेकिन सरकार को उनकी कोई चिंता नहीं है। आज दो राज्यों की सीमा को अंतरराष्ट्रीय सीमा जैसा बना दिया गया है।

सांसद ने सरकार से अपील करते हुए कहा कि वह अपना लिखित वादा पूरा करे और किसानों को एमएसपी की गारंटी दे। पहले ही 700 किसान अपनी जान गंवा चुके हैं, अब और किसी किसान की जान नहीं जानी चाहिए। किसानों को उनके हक मिलने चाहिए।

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