Operation Sindoor के तहत भारतीय सेना द्वारा की गई कड़ी और लक्षित कार्रवाई ने पाकिस्तान (Pakistan) स्थित जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-e-Mohammed) को जबरदस्त झटका दिया है। बहावलपुर (Bahawalpur) स्थित जैश के मुख्यालय मरकज सुब्हान अल्लाह (Markaz Subhan Allah) पर की गई सर्जिकल स्ट्राइक में मसूद अजहर (Masood Azhar) के पूरे परिवार के मारे जाने की पुष्टि हुई है। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस हमले में अजहर की पत्नी, बेटा, बड़ी बहन, बहनोई, चार करीबी गुर्गे और अन्य सदस्यों समेत कुल दस लोग मारे गए हैं।
यह हमला उस वक्त हुआ जब जैश के शीर्ष सदस्य परिसर में मौजूद थे। सुभान मस्जिद (Subhan Masjid) और उससे जुड़ा मदरसा अल-सबीर (Madrasa Al-Sabeer) जैश का संचालन केंद्र माना जाता है, जहां पुलवामा (Pulwama) जैसे आतंकी हमलों की साजिशें रची जाती थीं। यह इलाका पाकिस्तान के अहमदपुर शर्किया रोड (Ahmedpur Sharqia Road) पर स्थित है, जो मुख्य राष्ट्रीय राजमार्ग एन-5 (N-5) से जुड़ा है।
बीबीसी उर्दू (BBC Urdu) की रिपोर्ट के मुताबिक, सर्जिकल स्ट्राइक के समय मसूद अजहर स्वयं परिसर में नहीं था। हालांकि हमले के बाद मीडिया रिपोर्ट्स में उसके हवाले से कहा गया कि “काश मैं भी मर जाता”, जिससे साफ है कि वह मानसिक रूप से बुरी तरह टूट चुका है।
स्थानीय पत्रकारों और चश्मदीदों के अनुसार, पहला धमाका मंगलवार रात हुआ और उसके तुरंत बाद दूसरा विस्फोट हुआ। धमाकों की तीव्रता इतनी ज्यादा थी कि दो किलोमीटर दूर स्थित घरों की खिड़कियां तक टूट गईं। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि हमले के समय परिसर खाली नहीं था और मारे गए सभी लोग आतंकी संगठन से जुड़े हुए थे।
एक शिक्षक ने बताया कि मदरसा सुब्हान अल्लाह (Madrasa Subhan Allah) 20-25 एकड़ में फैला है और पहले यहां करीब 800 छात्र पढ़ते थे। हालांकि, हमले से कुछ दिन पहले ही इसे छात्रों और अध्यापकों से खाली करा लिया गया था, जिससे साफ है कि आतंकियों को हमले का अंदेशा पहले से था।
गौरतलब है कि जैश-ए-मोहम्मद को वर्ष 2002 में पाकिस्तान सरकार ने प्रतिबंधित घोषित किया था, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। बहावलपुर में आज भी जैश के शिविर और प्रशिक्षण केंद्र सक्रिय बताए जाते हैं। इस हमले में मारे गए मौलाना काशिफ, मौलाना अब्दुल रऊफ की बेटी और अन्य सहयोगी आतंकवादी लंबे समय से भारत विरोधी गतिविधियों में संलग्न थे।
भारतीय सेना द्वारा की गई यह कार्रवाई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत आतंक के गढ़ पर सीधे वार के रूप में देखी जा रही है। इस हमले से यह स्पष्ट हो गया है कि भारत अब सिर्फ जवाब नहीं देता, बल्कि आतंकवाद की जड़ तक पहुंच कर उसे खत्म करने की रणनीति पर काम कर रहा है।