Pakistani Spy Arrested in India : हरियाणा (Haryana) के नूंह (Nuh) जिले से एक बार फिर पाकिस्तान (Pakistan) के लिए जासूसी करने वाले व्यक्ति की गिरफ्तारी ने देशभर में हड़कंप मचा दिया है। हाल ही में सफल हुए ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के बाद सुरक्षा एजेंसियां पाकिस्तान से जुड़े गद्दारों की खोज में जुटी हुई हैं। इसी क्रम में नूंह (Nuh) के तावड़ू (Tawdu) सब डिवीजन के कंगारका गांव (Kangarka Village) से तारिफ (Tarif) नामक युवक को गिरफ्तार किया गया है। यह गिरफ्तारी हरियाणा (Haryana) से पांचवीं और नूंह जिले से दूसरी है।
तारिफ पर आरोप है कि वह दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग (Pakistani High Commission) में कार्यरत दो अफसरों — आसिफ बलोच (Asif Baloch) और जाफर (Jafar) — को वॉट्सऐप (WhatsApp) के माध्यम से भारत की सैन्य गतिविधियों से जुड़ी गुप्त जानकारियां भेज रहा था। इसके बदले में उसे पैसे भी मिलते थे। हरियाणा पुलिस और केंद्रीय जांच एजेंसियों की संयुक्त कार्रवाई में रविवार शाम उसे गांव बावला (Bawla) के पास से गिरफ्तार किया गया।
गिरफ्तारी के दौरान तारिफ ने पुलिस को देखते ही अपने मोबाइल फोन से चैट डिलीट करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस टीम ने उसका मोबाइल जब्त कर लिया। जांच के दौरान मोबाइल से पाकिस्तानी नंबरों से हुई चैटिंग, सेना की फोटो और वीडियो, तथा अन्य संवेदनशील जानकारियां बरामद की गईं। पुलिस का कहना है कि तारिफ दो अलग-अलग सिम कार्ड्स के जरिए पाकिस्तान से लगातार संपर्क में था।
इस केस में तावड़ू सदर थाना (Tawdu Sadar Police Station) में भारतीय दंड संहिता, ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट 1923 (Official Secrets Act 1923) और देशद्रोह (Sedition) की धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया गया है। साथ ही पाकिस्तान उच्चायोग के दोनों अफसरों पर भी एफआईआर दर्ज की गई है।
तारिफ के पिता हनीफ (Hanif) ने पीटीआई से बातचीत में बेटे पर लगे आरोपों को गलत बताया। उन्होंने कहा कि उनका परिवार डेढ़ साल पहले पाकिस्तान गया था, क्योंकि वहां उनके रिश्तेदार रहते हैं। हनीफ का दावा है कि तारिफ निर्दोष है और उसे बिना किसी ठोस सबूत के उठाया गया है।
उल्लेखनीय है कि दो दिन पहले नूंह जिले के राजाका गांव (Rajaka Village) से 26 वर्षीय अरमान (Armaan) को भी पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। अरमान पर दिल्ली स्थित पाक उच्चायोग में कार्यरत एक कर्मचारी के माध्यम से सेना और अन्य गतिविधियों की जानकारी भेजने का आरोप है। अरमान के मोबाइल से भी पाकिस्तानी नंबरों से की गई बातचीत, फोटो और वीडियो मिले थे। इसके अलावा, वह पाकिस्तानी एजेंट्स को सिम कार्ड भी मुहैया कराता था।
इन दोनों मामलों ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि देश के भीतर ऐसे गद्दार कितने और हैं? और इनकी पहचान कर पाना कितना जरूरी है। सुरक्षा एजेंसियों ने इस दिशा में जांच और तेज कर दी है।






