नई दिल्ली. जहां एक तरफ मणिपुर (Manipur Violence) में बीते 24 घंटे में हिंसक घटनाएं बढ़ गई हैं। यहां के कोउट्रुक हारोथेई और सेनजाम चिरांग में सुरक्षाकर्मियों और भीड़ के बीच फायरिंग हुई। जिसमें एक सुरक्षाकर्मी सहित 2 लोग घायल हो गए। बाद में एक की मौत भी हो गई।
मामले पर पुलिस के अनुसार, भीड़ ने बिष्णुपुर के कीरेनफाबी और थंगलावई में पुलिस चौकी पर हमला किया और फिर चौकी से हथियारों, गोला-बारूद का जखीरा भी लूट लिया। वहीं भीड़ द्वारा मणिपुर राइफल्स की एक बटालियन से हथियार छीनने की भी कोशिश की गई। जिसे नाकाम कर दिया गया।
पुलिस ने बाद में कौट्रुक हिल रेंज में ऑपरेशन चलाकर सात अवैध बंकरों को नष्ट कर दिया है। हालांकि ये बंकर किस समुदाय के हैं। इसके बारे में कोई भी जानकारी नहीं दी गई है।
वहीं मामले पर अधिकारियों के मुताबिक, भीड़ ने विभिन्न बंदूक की 19,000 राउंड से अधिक गोलियां, एके शृंखला की एक असॉल्ट राइफल, तीन ‘घातक’ राइफल, 195 सेल्फ-लोडिंग राइफल, पांच एमपी-4 बंदूक, 16.9 एमएम की पिस्तौल, 25 बुलेटप्रूफ जैकेट, 21 कार्बाइन, 124 हथगोले सहित अन्य हथियार लूट लिए।
दरअसल यहां आदिवासियों द्वारा जातीय संघर्ष में मारे गए लोगों को सामूहिक रूप से दफनाने की योजना ने राज्य में नये सिरे से तनाव पैदा कर दिया है। बहुसंख्यक समुदाय इस योजना का विरोध कर रहा है। वहीं यहां भीड़ जुटने पर लगाए गए प्रतिबंध के बावजूद बीते गुरूवार को बिष्णुपुर जिले के कांगवई और फौगाकचाओ में शवों को दफनाए जाने वाले स्थल की ओर निकाले जा रहे जुलूस को रोकने के लिए सेना और त्वरित कार्रवाई बल (आरएएफ) को आंसू गैस के गोले दागने पड़े। इस दौरान हुई इड़पों में 25 से अधिक लोग घायल हो गए।
बहुसंख्यक समुदाय ने इंफाल में दो अन्य शस्त्रागारों को भी लूटने का प्रयास किया, लेकिन उसे विफल कर दिया गया। मणिपुर उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार सुबह हुई सुनवाई में शवों को सामूहिक रूप से दफनाने की योजना पर रोक लगा दी थी। हालांकि, कुकी समुदाय ने दावा किया था कि उसने केंद्रीय गृह मंत्रालय के साथ चर्चा के बाद योजना स्थगित कर दी है। मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।






