Manglik Dosh Remedies : मांगलिक दोष को लेकर समाज में जितना डर फैला हुआ है उतना असल में होता नहीं है। ज्योतिष शास्त्र के जानकारों के मुताबिक इस दोष के कई परिहार यानी उपाय हैं जिनसे यह पूरी तरह खत्म हो जाता है। अगर आपके जीवन में मंगल ग्रह के कारण शादी में देरी हो रही है, गुस्सा बढ़ रहा है, कर्ज की समस्या है या भाई और प्रॉपर्टी का सुख नहीं मिल रहा है तो अनंत मूल की जड़ एक कारगर उपाय है।
मांगलिक दोष का सच जानिए
ज्योतिष शास्त्र में एक श्लोक है जो बताता है कि मांगलिक दोष कब बनता है। इसके मुताबिक अगर जन्म कुंडली में मंगल ग्रह लग्न, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में हो तो मांगलिक दोष माना जाता है।
लेकिन सबसे जरूरी बात यह है कि इस दोष के कई परिहार भी हैं जिनके बारे में लोगों को पता नहीं होता।
इन स्थितियों में खत्म हो जाता है मांगलिक दोष
पहली बात यह है कि अगर मंगल बृहस्पति से युक्त हो जाए या बृहस्पति की दृष्टि मंगल पर पड़े तो मांगलिक दोष खत्म हो जाता है।
दूसरी स्थिति यह है कि अगर मंगल राहु से युक्त हो या राहु केंद्र में हो तो भी यह दोष नष्ट हो जाता है।
तीसरा यह कि अगर मंगल अस्त हो गया हो यानी सूर्य के बहुत करीब हो तो मांगलिक दोष समाप्त माना जाता है।
चौथी बात यह है कि अगर मंगल नीच राशि में हो तो भी यह दोष नहीं रहता। इसके अलावा अगर मंगल पर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि हो तो भी यह दोष खत्म हो जाता है।
अधूरे ज्ञान से फैलता है डर
समस्या यह है कि कुछ लोग बिना पूरी जानकारी के लोगों को डराने लगते हैं। वे कह देते हैं कि आपके बेटे की दो शादी होगी या आपकी बेटी की शादी टूट जाएगी।
लेकिन शास्त्र में हर दोष का उपाय भी बताया गया है। जब तक किसी चीज का पूरा और संतुलित अभ्यास न हो तब तक कुछ भी कह देना सही नहीं है।
विषकन्या योग के बारे में भी यही बात है। अगर बृहस्पति या शुक्र लग्नेश को देखते हों तो विषकन्या योग भी निर्मूल हो जाता है और वह लड़की दोषवती नहीं रहती।
किसी के किए-कराए का भ्रम छोड़िए
एक बड़ी गलतफहमी यह भी है कि लोग सोचते हैं कि किसी ने उन पर कुछ कर-करा दिया है इसलिए वे परेशान हैं। लेकिन सच यह है कि हर व्यक्ति अपने कर्मों का फल खुद भोगता है।
जैसा कि कहा गया है – “को सुख दुख कर दाता, निज कृत कर्म भोग सब भ्राता।” इसका मतलब है कि कोई किसी को सुख-दुख नहीं देता, सबको अपने कर्मों का फल भुगतना पड़ता है।
भगवान राम को 14 साल का वनवास हुआ और भगवान कृष्ण पैदा होते ही मां का दूध नहीं पी पाए। क्या किसी ने उन पर कुछ किया था? नहीं, यह मृत्युलोक है और यहां अपने कर्मों का फल भुगतना ही पड़ता है।
इसलिए किसी पर आरोप लगाकर पाप के भागीदार मत बनिए।
असली खतरनाक योग कौन सा है
एक योग जरूर ऐसा है जिससे सावधान रहना चाहिए। उत्तर कालामृत नामक ग्रंथ में साफ-साफ लिखा है कि अगर सप्तम भाव का स्वामी द्वितीय भाव में चला जाए तो समस्या होती है।
जब द्वितीयेश की दशा चले और उसमें सप्तमेश की अंतर्दशा आए तो लड़के की कुंडली में पत्नी की मृत्यु का योग बनता है। इसी तरह लड़की की कुंडली में पति की मृत्यु का योग बनता है। इसे विधुर योग और वैधव्य योग कहते हैं।
लेकिन इसमें भी घबराने की जरूरत नहीं है। अगर यह दशा बचपन में निकल गई है तो कोई बात नहीं। अगर 25-27 साल की उम्र में आ रही है तो उतने दिनों के लिए शादी रुकवा दीजिए। और अगर 40-50 साल की उम्र में है तो महामृत्युंजय जैसे उपाय करवाइए।
मांगलिक का डर क्यों छोड़ें
एक सीधी सी बात समझिए। जितने प्रतिशत लड़के मांगलिक हैं उतनी ही प्रतिशत लड़कियां भी मांगलिक हैं।
तो फिर डरने की क्या बात है कि मेरा लड़का मांगलिक है या मेरी लड़की मांगलिक है? यह तो आम बात है।
अनंत मूल की जड़ क्या है
अनंत मूल की जड़ का सीधा संबंध मंगल ग्रह से है। मंगल ग्रह को साहस, क्रोध, पराक्रम, प्रॉपर्टी, रियल एस्टेट, भाई-बहन और ऊर्जा का कारक माना जाता है।
अगर आपके जीवन में मंगल अमंगल कर रहा है तो अनंत मूल की जड़ धारण करना फायदेमंद होता है। यह जड़ मांगलिक दोष के बुरे प्रभाव से बचाती है।
इससे कायरता दूर होती है और कब्ज तथा लीवर जैसी बीमारियों में भी आराम मिलता है।
अनंत मूल की जड़ धारण करने की विधि
अनंत मूल की जड़ धारण करने के लिए सबसे उत्तम दिन मंगलवार है।
सबसे पहले मंगलवार के दिन अनंत मूल की जड़ को गंगाजल से धोएं। फिर “ओम अंग अंगारकाय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
इसके बाद जड़ को लाल कपड़े में या लाल धागे में बांधकर अपने दाहिने बाजू पर धारण करें। कुछ लोग इसे कलाई पर पहनते हैं और कुछ गले में भी पहन लेते हैं।
दान का महत्व
जड़ धारण करने के साथ-साथ दान भी करना चाहिए। मंगलवार के दिन किसी जरूरतमंद व्यक्ति को मसूर की दाल और लाल कपड़ा दान करें।
इससे मंगल ग्रह की शांति होती है और आपको राहत मिलती है।
मुख्य बातें (Key Points)
- मांगलिक दोष का जितना डर फैलाया जाता है उतना असल में होता नहीं क्योंकि इसके कई परिहार हैं
- अगर मंगल पर बृहस्पति की दृष्टि हो, राहु से युक्त हो, अस्त हो या नीच राशि में हो तो मांगलिक दोष खत्म हो जाता है
- अनंत मूल की जड़ मंगल दोष दूर करने का कारगर उपाय है जिसे मंगलवार को “ओम अंग अंगारकाय नमः” मंत्र के साथ धारण करें
- किसी के किए-कराए का भ्रम छोड़िए क्योंकि हर व्यक्ति अपने कर्मों का फल खुद भोगता है






