Bikram Majithia Case : पंजाब की सियासत के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। मोहाली की अदालत में आज यानी मंगलवार को आय से अधिक संपत्ति के मामले में एक अहम सुनवाई हुई। उम्मीद थी कि आज मजीठिया पर आरोप तय (Charges Frame) हो जाएंगे, लेकिन कानूनी पेचीदगियों के चलते ऐसा नहीं हो सका। अब इस हाई-प्रोफाइल मामले की अगली कार्रवाई नए साल में होगी।
मोहाली कोर्ट में हुई आज की सुनवाई के दौरान यह साफ हो गया कि बिक्रम मजीठिया पर चार्जेज फ्रेम करने की प्रक्रिया अब लंबी खिंच गई है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि अब यह प्रक्रिया अगले साल 2026 में पूरी की जाएगी। इस मामले की अगली सुनवाई के लिए कोर्ट ने 3 जनवरी की तारीख मुकर्रर की है। यानी मजीठिया को फिलहाल अदालती चक्करों से राहत मिलती नहीं दिख रही है।
4 ट्रंकों में आए 40 हजार पन्ने
इस केस की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि विजिलेंस ब्यूरो ने मजीठिया को घेरने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। 22 अगस्त को जब विजिलेंस ने अदालत में चालान पेश किया था, तो वह नजारा देखने लायक था। विजिलेंस ने 40 हजार से अधिक पन्नों की एक भारी-भरकम चार्जशीट तैयार की है। यह दस्तावेज इतने ज्यादा थे कि इन्हें चार बड़े लोहे के ट्रंकों (बक्सों) में भरकर अदालत लाना पड़ा था। विजिलेंस ने इस केस को मजबूत बनाने के लिए 200 से ज्यादा गवाहों की सूची भी तैयार की है।
सुप्रीम कोर्ट की चौखट पर मजीठिया
एक तरफ निचली अदालत में सुनवाई चल रही है, तो दूसरी तरफ मजीठिया अपनी जमानत के लिए देश की सबसे बड़ी अदालत का दरवाजा खटखटा रहे हैं। हाईकोर्ट से राहत न मिलने के बाद बिक्रम मजीठिया ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। जानकारी के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट में उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई 19 जनवरी को होनी है। यह तारीख मजीठिया के राजनीतिक भविष्य के लिए बेहद अहम साबित हो सकती है।
छापेमारी और 6 राज्यों के लिंक
विजिलेंस ब्यूरो की जांच का दायरा सिर्फ पंजाब तक सीमित नहीं है। मजीठिया की संपत्तियों को खंगालने के लिए पंजाब के अलावा हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में भी छापेमारी की जा चुकी है। इस दौरान पूर्व डीजीपी सिद्धार्थ चटोपाध्याय और ईडी (ED) के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर समेत कुल 6 हाई-प्रोफाइल लोगों के बयान दर्ज किए गए हैं। सरकार का दावा है कि उनके पास मजीठिया के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति जुटाने के पुख्ता सबूत मौजूद हैं।
विश्लेषण: कानूनी लड़ाई हुई लंबी
इस मामले में आरोप तय न होना और सुनवाई का अगले साल (2026) तक टलना यह दर्शाता है कि यह कानूनी लड़ाई लंबी चलने वाली है। 40 हजार पन्नों की चार्जशीट को खंगालना और 200 गवाहों की गवाही, यह सब इतना आसान नहीं होगा। विजिलेंस द्वारा पेश किए गए दस्तावेजों का अंबार यह साबित करता है कि एजेंसी कोई भी कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती। हालांकि, मजीठिया पक्ष इसे राजनीति से प्रेरित बता रहा है, लेकिन कोर्ट में पेश किए गए ‘चार ट्रंक’ सबूत निश्चित रूप से मजीठिया के लिए मानसिक दबाव बनाने का काम करेंगे।
जानें पूरा मामला
बिक्रम सिंह मजीठिया को विजिलेंस ब्यूरो ने इसी साल 25 जून को अमृतसर से गिरफ्तार किया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने अपनी ज्ञात आय के स्रोतों से कहीं अधिक संपत्ति अर्जित की है। इससे पहले साल 2021 में, जब राज्य में कांग्रेस की सरकार थी, तब भी मजीठिया पर एनडीपीएस (NDPS) एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था। अब आय से अधिक संपत्ति का यह मामला उनकी गले की फांस बना हुआ है।
मुख्य बातें (Key Points)
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बिक्रम मजीठिया पर अब साल 2026 में चार्जेज फ्रेम होंगे, अगली सुनवाई 3 जनवरी को।
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विजिलेंस ने 40,000 पन्नों की चार्जशीट 4 ट्रंकों में भरकर कोर्ट में पेश की है।
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मामले में 200 से ज्यादा गवाह बनाए गए हैं।
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मजीठिया की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट में 19 जनवरी को सुनवाई होगी।
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जांच एजेंसियों ने पंजाब, हिमाचल, दिल्ली और यूपी में संपत्तियों पर छापे मारे हैं।






