Mahayuti Alliance Conflict : महाराष्ट्र में बंपर जीत का जश्न अभी थमा भी नहीं था कि बीएमसी चुनाव की आहट ने महायुति गठबंधन के भीतर भूचाल ला दिया है। 15 जनवरी को होने वाले महत्वपूर्ण निकाय चुनावों से पहले, सीट बंटवारे को लेकर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के बीच भारी तनाव पैदा हो गया है, जिससे गठबंधन के भविष्य पर सवाल खड़े हो गए हैं।
महाराष्ट्र की राजनीति में मुंबई हमेशा से सत्ता का केंद्र रही है और बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) पर कब्जा करना हर पार्टी का सपना होता है। लेकिन इस बार यह सपना महायुति गठबंधन के लिए एक बुरे दौर की शुरुआत बन गया है। हाल ही में हुए निकाय चुनावों में प्रचंड जीत हासिल करने वाली महायुति (बीजेपी, शिंदे गुट और अजित पवार गुट) अब अपनों से ही लड़ने को मजबूर है।
15 जनवरी 2026 को होने वाले मतदान और 16 जनवरी को आने वाले नतीजों की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। कुल 2869 सीटों पर फैसला होना है, जिसमें बीएमसी की 227 सीटें सबसे अहम हैं। इसी ‘जादुई आंकड़े’ के बंटवारे को लेकर सोमवार देर रात मुंबई में सियासी पारा चढ़ गया।
शिंदे और फडणवीस के बीच ‘नंबर गेम’ का टकराव
सोमवार देर रात मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के बीच एक बेहद महत्वपूर्ण और तनावपूर्ण बैठक हुई। सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी ने शिंदे गुट के सामने 90 सीटों का प्रस्ताव रखा है। यह आंकड़ा पहले के 53 सीटों वाले ऑफर से तो ज्यादा है, लेकिन शिंदे गुट की उम्मीदों से काफी कम।
एकनाथ शिंदे की शिवसेना 125 सीटों की मांग पर अड़ी हुई है। उनका तर्क है कि वे बराबरी के हकदार हैं, जबकि बीजेपी उन्हें ‘जूनियर पार्टनर’ के तौर पर देख रही है। घंटों चले मंथन के बाद भी कोई हल नहीं निकला और दोनों नेताओं के बीच तल्खी साफ महसूस की गई। अब सबकी निगाहें अगले दौर की बैठक पर टिकी हैं, जहाँ इस गतिरोध को तोड़ने की कोशिश होगी।
अजित पवार को ‘चेहरा’ बदलने की शर्त
गठबंधन में तीसरी धुरी यानी अजित पवार की एनसीपी की हालत और भी नाजुक है। अजित पवार गुट आज एक बड़ा ऐलान कर सकता है और मुंबई में अकेले चुनाव लड़ने का मन बना रहा है। इसके पीछे की वजह बीजेपी की एक कड़ी शर्त है।
महायुति ने अजित पवार के सामने शर्त रखी है कि अगर उन्हें गठबंधन में रहना है, तो मुंबई में नवाब मलिक के अलावा कोई नया चेहरा सामने लाना होगा। बीजेपी नवाब मलिक के नाम और चेहरे पर सख्त आपत्ति जता रही है। साथ ही, अजित पवार को महज 10 से 14 सीटों पर संतोष करने को कहा गया है, जो उन्हें मंजूर नहीं है। ऐसे में संभावना है कि एनसीपी कई जगहों पर स्वतंत्र रूप से अपने उम्मीदवार उतारेगी।
वरिष्ठ संपादक का विश्लेषण: जीत के बाद का अहंकार या रणनीति?
एक वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक के तौर पर देखें, तो यह स्थिति ‘गठबंधन धर्म’ बनाम ‘वर्चस्व की लड़ाई’ है। बीजेपी, जो खुद को राज्य की सबसे बड़ी पार्टी मानती है, मुंबई (बीएमसी) की चाबी अपने पास रखना चाहती है। 90 सीटों का ऑफर देकर वह शिंदे को साधने की कोशिश तो कर रही है, लेकिन 125 की मांग को खारिज कर वह अपना दबदबा बनाए रखना चाहती है। वहीं, अजित पवार को किनारे करना बीजेपी की उस रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जहाँ वे अपनी ‘क्लीन इमेज’ को नवाब मलिक जैसे विवादित चेहरों से दूर रखना चाहते हैं। अगर यह दरार नहीं भरी, तो इसका सीधा फायदा विपक्षी महाविकास अघाड़ी को मिल सकता है।
जानें पूरा मामला
महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों की घोषणा हो चुकी है। बीएमसी सहित कुल 2869 सीटों के लिए 15 जनवरी को वोटिंग होनी है। महायुति गठबंधन, जिसने हाल ही में एक साथ चुनाव लड़ा था, अब बीएमसी की 227 सीटों के बंटवारे पर उलझ गया है। बीजेपी और शिंदे गुट के बीच सीटों की संख्या को लेकर मतभेद हैं, जबकि अजित पवार को दी जाने वाली कम सीटों और शर्तों के कारण उनके अलग होने के कयास लगाए जा रहे हैं।
मुख्य बातें (Key Points)
-
बीएमसी चुनाव के लिए 15 जनवरी को वोटिंग और 16 जनवरी को नतीजे आएंगे।
-
बीजेपी ने शिंदे गुट को 90 सीटें ऑफर कीं, जबकि शिंदे 125 सीटों की मांग कर रहे हैं।
-
अजित पवार गुट अकेले चुनाव लड़ सकता है, क्योंकि बीजेपी ने नवाब मलिक के चेहरे पर आपत्ति जताई है।
-
अजित पवार को गठबंधन में केवल 10 से 14 सीटें दी जा रही हैं।






