महाराष्ट्र पॉलिटिक्स,PM मोदी की मजबूत गारंटी, फिर क्यों महाराष्ट्र में चिंतित है BJP,

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महाराष्ट्र पॉलिटिक्स,PM मोदी की मजबूत गारंटी, फिर क्यों महाराष्ट्र में चिंतित है BJP, जानें वो अहम फैक्टर - lok sabha election 2024 will bjp repeat 2019 performance in maharashtra with new allies or sympathy factor works

मुंबई, 18 मार्च (The News Air): 2024 लोकसभा चुनाव के ऐलान के बाद बीजेपी ने ‘4 जून को 400’ पर का न्याय स्लोगन दिया है। अगर बीजेपी के अगुवाई वाले NDA को 400 का आंकड़ा पार करना है तो उसे यूपी के बाद दूसरे सबसे बड़े राज्य महाराष्ट्र में अच्छा प्रदर्शन करना पड़ेगा। राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी के अगुवाई वाले महायुति ने 48 में 45 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। 2019 में बीजेपी अविभाजित शिवसेना के साथ मिलकर 41 सीटों पर जीत हासिल की थी। क्या बीजेपी महाराष्ट्र में नए सहयोगियों के साथ पुराने प्रदर्शन से दोहराते हुए आगे निकल पाएगी?

 

रैली के बाद ‘महारैली’ : ये ऐसा सवाल है कि जिसका जवाब 4 जून को ईवीएम खुलने पर मिलेगा। पिछले दो साल में सर्वाधिक उठापठक का शिकार हुए महाराष्ट्र से कांग्रेस को भी काफी उम्मीदें हैं यही वजह है कि कांग्रेस न सिर्फ अपने चुनाव अभियान ‘हैं तैयार हम’ के आगाज के लिए महाराष्ट्र को चुना था और नागपुर में रैली की थी। अब कांग्रेस ने भारत जोड़ो न्याय यात्रा का समापन करने के लिए शिवाजी पार्क में रैली की है। इसमें शिवसेना (यूबीटी) के नेता उद्धव ठाकरे को काफी तवज्जो मिली वे अग्रिम पंक्ति में राहुल गांधी के साथ बैठे, हालांकि शिवसेना नेता और महाराष्ट्र के सीएम ने राहुल गांधी की शिवाजी पार्क में रैली को शिवसैनिकों के लिए ब्लैक संडे करार दिया। बीजेपी ही नहीं उसके सहयोगियों शिवसेना और एनसीपी को भराेसा है कि पीएम मोदी के करिश्माई नेतृत्व और उनकी गारंटी स्लोगन से महायुति महाराष्ट्र में MVA यानी महाविकास अघाड़ी पर भारी पड़ेगा।

 

तो हो सकता है नुकसान : जैसे अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद बीजेपी को महाराष्ट्र में हैं। वैसे की कांग्रेस के रणनीतिकार भी सीटों की संख्या बढ़ने की उम्मीद लगाए बैठे हैं। कुछ सर्वे में MVA को काफी मजबूत स्थिति में भी दिखाया गया है। राजनीतिक हलकों में जो चर्चा है उसके अनुसार बीजेपी के लिए महाराष्ट्र में दो बड़ी चिंताओं का जिक्र हो रहा है। पहली चिंता है कि अगर दलित वोट खिसका तो पार्टी को नुकसान हो सकता है। यही वजह है कि MVA के नेता प्रकाश आंबेडकर की हार्ड बारगेनिंग के बाद भी बातचीत जारी रखे हुए हैं। महाराष्ट्र के दलितों में अगर यह बात नीचे तक पहुंचती है कि अगर बीजेपी सत्ता में तीसरी बार लौटी तो वह संविधान बदल देगी? तो नुकसान और भी अधिक हो सकता है। पिछले दिनों शिवाजी पार्क में ही प्रकाश आंबेडकर ने संविधान बचाओ रैली की थी।

 

दोनों को मिल सकता है लाभ : बीजेपी की दूसरी बड़ी चिंता सिंपैथी फैक्टर को लेकर है। हाल ही में जलगांव लोकसभ सीट पर एक सर्वे में शिवसेना यूबीटी नेता और पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे की लोकप्रियता पीएम मोदी के बराबर मिली थी। बीजेपी की चिंता यह है कि अगर सिंपैथी फैक्टर काम किया तो उद्धव ठाकरे और शरद पवार को लाभ मिल सकता है। ऐसे में बीजेपी पीएम मोदी के करिश्माई नेतृत्व और गारंटी स्लोगन के बाद भी थोड़ी चिंतित है। राजनीतिक हलकों में पहले भी यह चर्चा होती आई है कि उद्धव ठाकरे और शरद पवार को जनता की सिंपैथी मिल सकता है। इसी का अंदेशा भांपते हुए पिछले दिनों महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने बारामती में कहा था कि चुनावों में आप इमोशनल न हों? जो भी अगर बीजेपी के अगुवाई वाले एनडीए को 400 सीटें का लक्ष्य पार करना है तो महाराष्ट्र में बड़ी जीत जरूरी होगी।

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