नई दिल्ली (The News Air): हर साल 1 मई को बड़े उत्साह के साथ महाराष्ट्र में ‘महाराष्ट्र दिवस’ मनाया जाता है। महाराष्ट्र का इतिहास बहुत बड़ा है, जिसे हर कोई जानना चाहता है। आज हम आपको बताते है कि आखिर 1 मई को ही क्यों ‘महाराष्ट्र दिवस’ मनाया जाता है, इसके पीछे ऐसी क्या वजह है? ‘महाराष्ट्र दिवस’ का इतिहास क्या है और इसका महत्व क्या है इसी सारे सवालों के जवाब आज हम आपको देने जा रहे है। तो आइए जानते है…
स्वतंत्रता के बाद राज्यों का निर्माण
जैसा कि हम सब जानते है स्वतंत्रता के बाद देश में राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के तहत अलग-अलग राज्यों का निर्माण किया गया। उस राज्य या क्षेत्र में बोली जाने वाली बोली और संस्कृति के आधार पर राज्यों का निर्माण हुआ लेकिन कुछ शहरों में एक अलग ही समस्या खड़ी हो गई और मुंबई भी उन्हीं शहरों में से एक थी।
संयुक्त महाराष्ट्र समिति का गठन
दरअसल 1960 में एक तरफ जहां गुजरात राज्य बनाने के लिए महागुजरात यह आंदोलन शुरू हुआ। एक ओर जहां महागुजरात आंदोलन को व्यापक प्रतिक्रिया मिल रही थी, वहीं मराठी भाइयों ने महाराष्ट्र राज्य के निर्माण के लिए संयुक्त महाराष्ट्र समिति का गठन किया। 1 मई 1960 को, भारत सरकार ने बॉम्बे को दो राज्यों में विभाजित किया। महाराष्ट्र राज्य मराठी भाषी आबादी के लिए बनाया गया था जबकि गुजरात राज्य गुजराती भाषी आबादी के लिए बनाया गया था।
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महाराष्ट्र में ज्यादा मराठी भाषिक
लेकिन इन दोनों राज्यों के बनने के बाद भी यह देखा गया कि मुंबई को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया। चूंकि मुंबई में मराठी बोलने वालों का प्रतिशत अधिक है, इसलिए महाराष्ट्र के लोगों ने सोचा कि मुंबई को महाराष्ट्र को दे देना चाहिए। मुंबई के विकास में गुजराती लोगों की बड़ी भागीदारी है, इसलिए गुजराती लोग इस बात पर अड़े थे कि मुंबई गुजरात को दे दी जाए। ऐसे में संघर्ष की स्थिति बन गई।
इसलिए 1 मई को मनाते है महाराष्ट्र दिवस
जानकारी के लिए आपको बता दें कि मुंबई में उस समय मराठी, कोकणी, गुजराती और कच्छी बोलने वाले लोग देखे जाते थे। इसलिए, राज्य व्यवस्था के गठन के बाद, यह सवाल कि मुंबई महाराष्ट्र की थी या गुजरात तत्कालीन शासकों के पास आई थी और इसीलिए मराठी लोगों ने मुंबई को महाराष्ट्र में रहने के लिए संघर्ष किया। इसमें 106 शहीदों ने अपने प्राणों की आहुति दी, 106 शहीदों के बलिदान से मुंबई को महाराष्ट्र की राजधानी का दर्जा मिला और मुंबई महाराष्ट्र में रही, वह मंगल दिवस 1 मई 1960 है। इन 106 शहीदों के बलिदान को याद करने के लिए 1 मई को महाराष्ट्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।