MahaKumbh Visible from Space, Images Released : दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन, प्रयागराज महाकुंभ (Prayagraj MahaKumbh) की भव्यता अब अंतरिक्ष से भी नजर आ रही है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, इसरो (ISRO) ने अपने उन्नत भारतीय उपग्रहों (Indian Satellites) का उपयोग करके इस अद्भुत दृश्य को कैद किया है। महाकुंभ की तस्वीरें हैदराबाद (Hyderabad) के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (National Remote Sensing Centre) द्वारा एकत्रित की गई हैं, जहां उन्नत ऑप्टिकल सैटेलाइट्स (sophisticated optical satellites) और राडारसैट (RadarSat) का इस्तेमाल किया गया है।
इसरो की तस्वीरों में क्या दिखता है? : इन उच्च-रिज़ॉल्यूशन तस्वीरों में महाकुंभ के लिए तैयार की गई अस्थायी टेंट सिटी (Temporary Tent City) और नदी पर बनाए गए पंटून पुल (Pontoon Bridges) साफ नजर आते हैं। ये तस्वीरें 15 सितंबर 2023 से 29 दिसंबर 2024 के बीच की हैं, जिसमें विभिन्न चरणों में मेले का विकास दिखाया गया है। राडारसैट का उपयोग कर, बादलों के बीच से भी महाकुंभ की तस्वीरें ली जा सकी, जो किसी भी मौसम में स्पष्ट फोटोग्राफी के लिए सक्षम है।
तैयारियों का सफर:
6 अप्रैल 2024: जब महाकुंभ की तैयारियां शुरू हुईं, प्रयागराज परेड ग्राउंड (Prayagraj Parade Ground) की तस्वीरें।
22 दिसंबर 2024: तब तक महाकुंभ क्षेत्र में व्यापक विकास दिखाई दिया।
10 जनवरी 2025: जब महाकुंभ में भीड़ जमा होना शुरू हुई, तस्वीरों में यह स्पष्ट है।
प्रबंधन और सुरक्षा के लिए उपयोग: उत्तर प्रदेश की सरकार इन तस्वीरों का उपयोग मेले में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कर रही है। ये तस्वीरें दुर्घटनाओं और भगदड़ को रोकने में मदद कर सकती हैं, जो ऐसे विशाल आयोजनों में सामान्य हैं।
केंद्रीय मंत्री की टिप्पणी: केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह (Jitendra Singh) ने कहा कि ये अत्याधुनिक तकनीकें (Advanced Technologies) बड़े धार्मिक समारोहों के प्रबंधन में एक क्रांतिकारी बदलाव का प्रतीक हैं। महाकुंभ इस बात का उदाहरण है कि कैसे प्रौद्योगिकी और पारंपरिक मूल्य एक साथ मिलकर एक स्वच्छ और स्वस्थ भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।
महाकुंभ की ये तस्वीरें न केवल इस ऐतिहासिक आयोजन की विशालता को दर्शाती हैं बल्कि यह भी दिखाती हैं कि कैसे आधुनिक प्रौद्योगिकी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित और प्रबंधित करने में मदद कर सकती है। यह महाकुंभ को एक और आयाम देता है, जहां आकाश से धरती तक, भारत की सांस्कृतिक समृद्धि का जश्न मनाया जाता है।