Income Tax on Inherited Gold को लेकर कई लोगों के मन में सवाल होते हैं। खासकर तब जब किसी प्रियजन का निधन हो जाता है और उनकी छोड़ी हुई संपत्ति या ज्वैलरी का निपटारा करना होता है। नोएडा के मनोज शर्मा भी ऐसे ही एक सवाल से जूझ रहे हैं, जिनकी मां का हाल ही में देहांत हो गया है और उन्हें बैंक लॉकर से कुछ सोने के गहने मिले हैं। अब वे जानना चाहते हैं कि क्या इन गहनों को बेचने पर उन्हें इनकम टैक्स से जुड़ी किसी दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है?
मनीकंट्रोल ने इस उलझन को सुलझाने के लिए टैक्स एक्सपर्ट और सीए बलवंत जैन से बात की। जैन के मुताबिक, इस सवाल का कोई एक सीधा जवाब नहीं है, बल्कि यह कई बातों पर निर्भर करता है।
इन बातों पर निर्भर करेगा टैक्स का मामला
बलवंत जैन ने बताया कि टैक्स का मामला कई फैक्टर्स पर तय होगा। सबसे पहले, यह देखना होगा कि लॉकर में मिले सोने का वजन कितना है। क्या मनोज शर्मा की मां को यह सोना विरासत में मिला था या उन्होंने अपनी बचत से धीरे-धीरे इसे खरीदा था? इसके अलावा, यह भी अहम है कि क्या उनके पिता इनकम टैक्स देते थे और उनकी आय कितनी थी? निधन के समय मां की उम्र क्या थी और क्या उनकी अपनी कोई आय थी? इन सभी सवालों के जवाब टैक्स की देनदारी तय करने में मदद करेंगे।
विरासत या बचत का सोना है तो चिंता नहीं
अगर मां के लॉकर से मिली ज्वैलरी का वजन बहुत ज्यादा नहीं है और यह साफ है कि यह उनकी पुश्तैनी या धीरे-धीरे जुटाई गई संपत्ति है, तो आमतौर पर इसे बेचने में कोई दिक्कत नहीं आती है। एक्सपर्ट का कहना है कि अगर यह साबित हो जाता है कि यह ज्वैलरी 24 महीने से ज्यादा पुरानी है, तो इसे ‘लॉन्ग टर्म कैपिटल एसेट’ माना जाएगा।
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (LTCG)
ऐसे मामले में, ज्वैलरी बेचने पर जो मुनाफा होगा, उस पर आपको 12.5% की दर से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (LTCG) चुकाना होगा। जैन ने समझाया कि इस मुनाफे की गणना ज्वैलरी की खरीद लागत (Acquisition Cost) और बिक्री मूल्य (Selling Price) के अंतर के आधार पर की जाएगी। अगर ज्वैलरी 1 अप्रैल 2001 से पहले खरीदी गई थी, तो उस तारीख की ‘फेयर मार्केट वैल्यू’ को उसकी खरीद लागत माना जा सकता है।
साबित नहीं कर पाए तो भरना पड़ सकता है भारी टैक्स
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अगर मनोज शर्मा आयकर अधिकारी (Assessing Officer) को यह समझाने में नाकाम रहते हैं कि यह ज्वैलरी उनकी मां ने अपनी मेहनत की कमाई या विरासत से जुटाई थी, तो उन पर भारी टैक्स लग सकता है। ऐसी स्थिति में, उन्हें सोने की कीमत पर 60% टैक्स, साथ ही सरचार्ज, सेस और ब्याज भी चुकाना पड़ सकता है।
मुख्य बातें (Key Points)
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मां के निधन के बाद मिली गोल्ड ज्वैलरी बेचने पर टैक्स के नियम सोने के स्रोत और मात्रा पर निर्भर करते हैं।
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अगर ज्वैलरी विरासत में मिली है या धीरे-धीरे जुटाई गई है और 24 महीने से पुरानी है, तो 12.5% LTCG लगेगा।
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1 अप्रैल 2001 से पहले की ज्वैलरी के लिए उस तारीख की फेयर मार्केट वैल्यू को खरीद लागत माना जाएगा।
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अगर आप ज्वैलरी के स्रोत को साबित नहीं कर पाए, तो 60% टैक्स के साथ सरचार्ज और ब्याज भी लग सकता है।






