नई दिल्ली, 05 अप्रैल (The News Air) आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में हुई बेहताशा फीस वृद्धि की सीबीआई जांच कराने की मांग की है। ‘‘आप’’ के वरिष्ठ नेता व दिल्ली के पूर्व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली में पैरेंट्स को लूटने का खुला भ्रष्टाचार शुरू हो गया है। प्राइवेट स्कूल बिना सरकार से सांठगांठ किए फीस नहीं बढ़ा सकते। इसमें से कितना हिस्सा दिल्ली सरकार के मंत्रियों को मिल रहा है, इसकी सीबीआई जांच होनी जरूरी है, ताकि इसका खुलासा हो सके। उन्होंने कहा कि ‘आप’’ की सरकार ने ऑडिट कराकर 10 साल तक निजी स्कूलों में फीस नहीं बढ़ने दी थी। अरविंद केजरीवाल ने न सिर्फ शिक्षा माफिया को खत्म किया, बल्कि बच्चों की बढ़ी हुई फीस भी वापस कराया था, लेकिन भाजपा की सरकार आते ही इन्हें लूट की खुली छूट मिल गई है। जबकि प्राइवेट स्कूलों में न टीचर्स की सैलरी बढ़ी है और ना ही सुविधाएं बढ़ी है।
शनिवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेसवार्ता कर मनीष सिसोदिया ने कहा कि जब से दिल्ली में भाजपा की सरकार बनी है, वह रोजाना कुछ न कुछ दिल्ली के लोगों के हितों के खिलाफ काम कर रहे हैं। अरविंद केजरीवाल ने कई जनहित की योजना शुरू की थीं। इसमें अब बसों में महिलाओं को फ्री टिकट मिलना बंद हो गया है, मोहल्ला क्लीनिक बंद हो गए हैं, अस्पतालों में दवाइयां मिलनी बंद हो गई हैं, टेस्ट होने बंद हो गए हैं। भाजपा की सरकार हर रोज कुछ न कुछ ऐसे कदम उठा रही है, जिससे दिल्ली के लोग परेशान हो रहे हैं। इनको दिल्ली के लोगों की बिल्कुल चिंता नहीं है। 10 साल में अरविंद केजरीवाल ने बड़ी मुश्किल से दिल्ली की बिजली व्यवस्था ठीक की थी, लेकिन पिछले कुछ दिनों से लगातार लंबे-लंबे पॉवर कट लग रहे हैं।
मनीष सिसोदिया ने कहा कि अब दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों ने मनमाने तरीके से फीस बढ़ानी शुरू कर दी है। 2015 में जब मैं दिल्ली का शिक्षा मंत्री बना था, उस वक्त प्राइवेट स्कूलों की मनमानी और फीस वृद्धि पर लगाम लगाई गई थी। ‘‘आप’’ की सरकार ने यह सुनिश्चित किया था कि दिल्ली में कोई भी प्राइवेट स्कूल मनमाने तरीके से फीस नहीं बढ़ाएगा। ‘‘आप’’ की सरकार से पहले प्राइवेट स्कूलों का खुला राज चलता था। 2015 से पहले किसी बच्चे का प्राइवेट स्कूल में दाखिला हो गया तो फिर प्राइवेट स्कूल हर साल कितना भी पैरेंट्स को लूट सकते थे और पैरेंट्स असहाय महसूस करते थे।
मनीष सिसोदिया ने कहा कि ‘‘आप’’ की सरकार ने प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर लगाम कसने के लिए एक-एक स्कूल का ऑडिट कराया। सरकार ने कैग से पैनल्ड चाटर्ड अकाउंटेंट को हायर किया और सभी छोटे-बड़े प्राइवेट स्कूलों का ऑडिट कराया। साथ ही, हर प्राइवेट स्कूल को निर्देश दिया गया कि बिना सरकार की अनुमति के कोई भी स्कूल फीस नहीं बढ़ाएगा। फीस वृद्धि से पहले सरकार की अनुमति लेना आवश्यक कर दिया और फीस बढ़ाने की केवल उन स्कूलों को अनुमति दी गई, जिनमें कैग से पैनल्ड सीए ने कहा कि इस स्कूल के पास कोई पैसा नहीं है। इसे टीचर की सैलरी देने के लिए फीस बढ़ाने की जरूरत है। इसलिए अनुमति दी जाए। इसके अलावा ‘‘आप’’ की सरकार ने किसी भी प्राइवेट स्कूल को फीस बढ़ाने की अनुमति नहीं दी।
मनीष सिसोदिया ने बताया कि ‘‘आप’’ सरकार ने ऑडिट के दौरान पाया कि किसी प्राइवेट स्कूल के पास 30 करोड़, किसी के पास 40 करोड़ तो किसी के पास 100 करोड़ रुपए पड़े हुए हैं। जिन स्कूलों के पास पैसा पड़ा हुआ था, उनको फीस बढ़ाने की अनुमति नहीं दी। जब ‘‘आप’’ की सरकार ने प्राइवेट स्कूलों की खुली लूट को बंद कर दिया तो ये स्कूल बड़े-बड़े वकील लेकर सरकार के खिलाफ कोर्ट चले गए। तब सरकार ने भी कोर्ट में बड़े से बड़े वकील खड़े करके मुकदमें जीते। पिछले 10 साल के दौरान दिल्ली सरकार के कोर्ट में सबसे ज्यादा मुकदमे प्राइवेट स्कूलों के थे। क्योंकि सरकार ने प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाई थी और पैरेंट्स को लूटने से रोक दिया था। लेकिन अब दिल्ली में भाजपा की सरकार आने के बाद प्राइवेट स्कूलों को पैरेंट्स को लूटने की खुली छूट मिल गई है। इनको दिल्ली के लोगों ने सरकार चलाने के लिए चुना है। दिल्ली के लोगों ने भाजपा को 2500 रुपए और फ्री गैस सिलेंडर देने का चुनावी वादा पूरा करने के लिए चुना है। दिल्ली के लोगों ने इसलिए नहीं चुना था कि सरकार में आते ही प्राइवेट स्कूलों की फीस बढ़ा दो।
मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली के कई प्राइवेट स्कूलों ने सरकार की बिना अनुमति के मनमाने तरीके से फीस बढ़ा दी है और बच्चों के लिए स्कूल के दरवाजे बंद कर दिए गए हैं। दिल्ली के अहल्कॉन पब्लिक स्कूल में 11वीं व 12वीं के बच्चों की 12 हजार रुपए मासिक फीस थी, जिसे बढ़ाकर 13 हजार कर दिया गया है। सलवान पब्लिक स्कूल में 9 हजार रुपए फीस थी, जिसे 11 हजार कर दी है। इसी तरह एंजेल ने 11 फीसद फीस वृद्धि का आदेश जारी कर दिया है। टीचर्स की सैलरी नहीं बढ़ रही है, कोई खर्च नहीं बढ़ रहा है, तो फीस क्यों बढ़ जाएगी? प्राइवेट स्कूलों को पता है कि अब दिल्ली में ऐसी सरकार है, जिसको कोई फर्क नहीं पड़ता है और इस लूट में शामिल हैं। इसी तरह, रूक्मिणी देवी पब्लिक स्कूल ने भी 10 फीसद फीस बढ़ाने का आदेश जारी किया है। लैंसर पब्लिक स्कूल की 4900 रुपए फीस होती थी, जिसे बढ़ाकर 6500 रुपए कर दिया है। ग्रीन फील्ड और आईटीएल पब्लिक स्कूल ने 10 फीसद फीस बढ़ा दिया है।
मनीष सिसोदिया ने कहा कि हर प्राइवेट स्कूल 10 से 30 फीसद फीस मनमाने तरीके से बढ़ा दे रहा है। आखिर भाजपा की सरकार की प्राइवेट स्कूलों से क्या मिली भगत है। केजरीवाल सरकार में ये प्राइवेट स्कूल मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने की हिम्मत नहीं कर पाते थे। अगर किसी स्कूल को लगता था कि सरकार नाजायज फीस बढ़ाने से रोक रही है तो वह कोर्ट जाता था और कोर्ट से अनुमति मिलती थी तक फीस बढ़ाता था। कोर्ट में भी ‘‘आप’’ सरकार वकील खड़े करती थी और बताती थी कि स्कूल के पास करोड़ों रुपए पड़े हुए हैं, फीस नहीं बढ़नी चाहिए और हम गलत तरीके से किसी को फीस नहीं बढ़ाने देते थे। लेकिन अब भाजपा ने इनको खुली छूट दे दी है।
मनीष सिसोदिया ने सवाल किया कि आखिर भाजपा की प्राइवेट स्कूलों की खुली लूट से क्या रिश्ता है, यह खुलासा करना जरूरी है। दिल्ली में लोगों को लूटने का खुला भ्रष्टाचार शुरू हो गया है। दिल्ली के लोगों की जेब पर डाका डालने का खुलेआम काम हो रहा है और भाजपा इस काम को करा रही है। नौकरी पेशा लोग बड़ी मुश्किल से पैसा बचाकर अपने बच्चों की फीस देते हैं। हर महीने पैरेंट्स से 30 से 40 फीसद की लूट को बढ़ा देना भ्रष्टाचार है और इसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए। शिक्षा माफिया द्वारा पैरेंट्स की इतने बड़े पैमाने पर लूट बिना सरकारी मिलीभगत के नहीं हो सकती है। इसमें से कितना हिस्सा दिल्ली सरकार के मंत्रियों को मिल रहा है, इसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए। साथ ही, यह भी जांच होनी चाहिए कि केजरीवाल सरकार ने जिन स्कूलों को फीस बढ़ाने से रोक रखा था, भाजपा की सरकार ने उनको इतनी खुली छूट किस दबाव, लेनदेन और साजिश में दे दी है।
मनीष सिसोदिया ने एक सवाल के जवाब में कहा कि 2015 से पहले भी प्राइवेट शिक्षा माफिया का नेक्सस काम करता था। प्राइवेट स्कूल खुलेआम फीस बढ़ा देते थे, लेकिन ‘‘आप’’ की सरकार ने सिस्टम बनाया कि अगर किसी प्राइवेट स्कूल को फीस बढ़ानी है तो वह सीधे पैरेंट्स को नहीं बता सकती है। पहले उसे सरकार से अनुमति लेनी पड़ेगी, अपने अकाउंट्स दिखाने पड़ेंगे। केजरीवाल सरकार ने कानूनी तरीके से प्राइवेट शिक्षा माफिया को कंट्रोल किया था। इतना ही नहीं, केजरीवाल सरकार ने प्राइवेट स्कूलों से बढ़ी हुई फीस वापस पैरेंट्स को दिलवाई भी थी। अब अचानक क्या हो गया है जो इतनी फीस बढ़ाई जा रही है। शिक्षकों की सैलरी तो नहीं बढ़ी है और ना तो स्कूलों के खर्चे बढ़े हैं। बिना सरकार की सांठगांठ के संभव नहीं है कि कोई प्राइवेट स्कूल फीस बढ़ा दे। हमने तो यहां तक सुना है कि जिस दिन चुनाव के नतीजे जाए थे, उस दिन प्राइवेट शिक्षा माफियाओं ने लड्डू बांटे थे कि भाजपा की सरकार के साथ मिलीभगत करके दिल्ली के पैरेंट्स को खूब लूटेंगे।