जालंधर (The News Air): पंजाब के जालंधर नगर निगम में बिहार के चारा घोटाला की तर्ज पर कूड़ा लिफ्टिंग घोटाला सामने आया है। जैसे बिहार में लालू प्रसाद की सरकार के समय लाखों टन चारा दोपहिया वाहनों पर ढो दिया गया था, बिल्कुल वैसे ही नगर निगम में भी ठेकेदार ने लाखों टन कूड़ा-कचरा दोपहिया वाहनों पर ढो दिया। मामला सामने आने के बाद नगर निगम कमिश्नर ने ठेकेदार की पेमेंट रोक दी है।
नगर निगम ने इस घोटाले की जांच के लिए कमेटी गठित कर दी है। जांच रिपोर्ट के बाद ही अब ठेकेदार को निगम भुगतान करेगा। निगम कमिश्नर के आदेश पर ठेकेदार का कॉन्ट्रैक्ट भी फिलहाल रद कर दिया गया है। ठेकेदार का ठेका खत्म करने बाद अब निगम नया कॉन्ट्रैक्ट होने तक अपने वाहनों से कूड़ा लिफ्टिंग करेगा। इसके लि पूरा रोडमैप तैयार किया जा रहा है।
बिल जिस पर दोपहिया वाहनों के नंबर अंकित हैं और निगम के अधिकारियों ने सत्यापित किए हैं
निगम अधिकारियों ने कैसे पास कर दिए बिल
निगम की विभिन्न डंपिग साइट्स से कूड़ा उठाने के बाद ठेकेदार को वाहनों का वजन करवाना पड़ता है। वह पर्ची निगम में जाती है और उसी के हिसाब से ठेकेदार को पेमेंट होती है। कूड़ा उठाने वाले ठेकेदार ने सभी गाड़ियों का वजन बस्ती बावा खेल स्थित उषा धर्मकंडा और मठारू धर्मकंडा पर करवाया।
बिल में अंकित वाहनों के नंबर परिवहन की साइट पर चेक करने पर दोपहिया वाहनों के निकले
दो पहिया वाहनों के निकले नंबर
दोनों धर्म कांटों से जो वजन करवाने के बाद बिल मिले हैं उन पर तीन वाहनों (टिप्परों) के नंबर पीबी 65-4030 , पीबी 08-0657 और पीबी 08-1884 अंकित हैं। यह तीनों नंबर किसी बड़े वाहन के नहीं बल्कि दोपहिया वाहनों के हैं। भारत सरकार की परिवहन साइट पर इन नंबरों को डालने पर साइट स्पष्ट दिखा रही है कि यह दोपहिया वाहनों के नंबर है।
आंख मूंद कर किए साइन
यहां पर हैरानी की बात तो यह है कि नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों ने भी आंखें मूंद कर या फिर यह कहें कि मिलीभगत करके बिलों पर अपने हस्ताक्षर करके इन्हें सत्यापित कर डाला। बता दें कि ठेकेदार का बिल अकाउंट में जाने से पहले सैनिटरी इंस्पेक्टर , चीफ सैनिटरी इंस्पेक्टर और एएचओ के पास जाता है। इनके हस्ताक्षर होने के बाद ही पेमेंट होती है।